बड़ी खबर: Donald Trumph की धमकी, कहा – “24 घंटे में और बढ़ा दूंगा टैरिफ”, भारत ने भी दिया जवाब

अमेरिका और भारत के बीच व्यापार तनाव नए मुकाम पर पहुंच गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मंगलवार को धमकी दी कि वे भारत पर लगाए गए टैरिफ को अगले 24 घंटों में और बढ़ाने जा रहे हैं। ट्रम्प ने भारत को “अविश्वसनीय व्यापारिक साझेदार” बताते हुए सीधे आरोप लगाया कि भारत रूस के साथ व्यापार कर यूक्रेन युद्ध को अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन दे रहा है। भारत ने इसका तीखा जवाब देते हुए अमेरिका पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया।
भारत अमेरिका से ले रहा फायदा, बदले में कुछ नहीं दे रहा – ट्रम्प
सीएनबीसी को दिए इंटरव्यू में ट्रम्प ने कहा, “भारत अमेरिका से बहुत व्यापार करता है, लेकिन अमेरिका को उससे कोई फायदा नहीं मिलता। भारत के टैरिफ दुनिया में सबसे ज्यादा हैं और कोई इस पर बात नहीं करता।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत पर 25% टैरिफ लगाने का जो फैसला पहले किया गया था, वह 7 अगस्त से लागू होगा, लेकिन वे इसे अगले 24 घंटों में और बढ़ाएंगे।
भारत पर रूस को फंड करने का आरोप
ट्रम्प ने यह भी आरोप लगाया कि भारत रूस से व्यापार कर “रूसी वॉर मशीन” को ईंधन दे रहा है। उन्होंने कहा, “भारत रूस से सस्ता तेल खरीदकर उसे लाभ में बेच रहा है, जबकि यूक्रेन में हजारों लोग मर रहे हैं। यह स्वीकार्य नहीं है।” उन्होंने दावा किया कि इसीलिए अमेरिका को कड़े आर्थिक कदम उठाने की जरूरत है।
अमेरिका भी तो रूस से यूरेनियम और खाद ले रहा
ट्रम्प के बयानों के बाद भारत ने कड़ा जवाब दिया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “भारत को निशाना बनाना अनुचित और तर्कहीन है। हम अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए हर आवश्यक कदम उठाएंगे।”
भारत ने स्पष्ट किया कि:
- अमेरिका खुद अपने परमाणु उद्योग के लिए रूस से यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, और ईवी उद्योग के लिए पैलेडियम, उर्वरक और रसायन आयात कर रहा है।
- यूरोपीय संघ ने 2024 में रूस के साथ 67.5 बिलियन यूरो का द्विपक्षीय व्यापार किया है, जो भारत से कहीं ज्यादा है।
- अमेरिका ने 2024 में रूस से 3 अरब डॉलर का आयात किया, और 2025 के पहले 5 महीनों में ही यह आंकड़ा 2.09 अरब डॉलर तक पहुंच गया है।
- यूक्रेन युद्ध के बाद खुद अमेरिका ने भारत को रूस से तेल आयात के लिए प्रोत्साहित किया था।
जयशंकर बोले- अब किसी एक देश का दबदबा नहीं चलेगा
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी एक कार्यक्रम में अप्रत्यक्ष रूप से ट्रम्प पर निशाना साधते हुए कहा कि दुनिया की व्यवस्था अब एकध्रुवीय नहीं रह गई है। “हम अपने फैसले खुद लेंगे, और जो हमारे हित में होगा, वही करेंगे,” उन्होंने कहा।
चीन को क्यों छोड़ रहे हैं ट्रम्प? भारत पर तो हमलावर रवैया
रूस से सबसे ज्यादा तेल खरीदने वाला देश चीन है, जिसने दिसंबर 2022 से जून 2025 तक रूस के कुल क्रूड ऑयल का 47% हिस्सा खरीदा। भारत ने 38% खरीदा। इसके बावजूद ट्रम्प ने चीन पर कोई टिप्पणी नहीं की, जो उनके रुख पर सवाल खड़ा करता है।
रूस का आरोप- अमेरिका टैरिफ को बना रहा हथियार
रूस ने इस मुद्दे पर अमेरिका की कड़ी आलोचना की। रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने कहा कि अमेरिका टैरिफ को राजनीतिक हथियार बना रहा है और विकासशील देशों पर नव-उपनिवेशवादी नीति लागू कर रहा है। उन्होंने कहा, “इतिहास की दिशा आर्थिक दबाव से नहीं बदलेगी। रूस के साथ ग्लोबल साउथ और ब्रिक्स जैसे देश खड़े हैं।”
ट्रम्प बोले- भारत ईमानदारी से पेश नहीं आ रहा
ट्रम्प के करीबी सलाहकार स्टीफन मिलर ने फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा, “भारत खुद को हमारा दोस्त बताता है, लेकिन अमेरिकी सामानों पर भारी टैरिफ लगाता है और रूस से तेल खरीदकर युद्ध को फंड कर रहा है।”
मिलर ने स्वीकार किया कि ट्रम्प और मोदी के रिश्ते अच्छे रहे हैं, लेकिन चेतावनी दी कि अगर भारत ने संतुलन नहीं बनाया, तो अमेरिका के पास सारे विकल्प खुले हैं।
रॉयटर्स की रिपोर्ट: भारत की तेल कंपनियां रूस से दूरी बना रहीं
30 जुलाई को रॉयटर्स ने दावा किया कि इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम जैसी कंपनियों ने रूस से तेल की खरीद रोक दी है क्योंकि छूट कम हो रही है और शिपिंग में दिक्कतें आ रही हैं। भारतीय रिफाइनरियों को डर है कि यूरोपीय संघ द्वारा लगाए गए नए प्रतिबंधों के कारण भविष्य में व्यापार और जटिल हो सकता है।
अमेरिका से तेल आयात दोगुना, दवाओं की कीमतों में भी राहत
टैरिफ के ऐलान के बाद भारत ने अप्रैल-जून तिमाही में अमेरिका से कच्चे तेल का आयात 114% बढ़ाया है। इसके अलावा, भारत की नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) ने 37 जरूरी दवाओं की कीमतें 10-15% तक घटा दी हैं, जिनमें पेरासिटामोल, एटोरवास्टेटिन और एमोक्सिसिलिन शामिल हैं।
ट्रम्प का रुख भारत के लिए चुनौती, लेकिन भारत भी तैयार
डोनाल्ड ट्रम्प के बयानों ने अमेरिका-भारत व्यापार संबंधों में तनाव को एक नए स्तर पर पहुंचा दिया है। हालांकि भारत ने तथ्यों और आंकड़ों के साथ मजबूत पलटवार किया है। अब देखना यह होगा कि आगामी अमेरिकी चुनाव और वैश्विक भू-राजनीति इन संबंधों को किस दिशा में ले जाते हैं।