अटल की पुण्यतिथि पर HPU में हंगामा, इस बात पर हुआ बवाल

शिमला.हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में एक बार फिर से अशांति देखी गई. सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान जबरदस्त हंगामा देखने को मिला. इस कार्यक्रम में राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की और शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर भी मौजूद रहे. कार्यक्रम में भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री पवन राणा भी विशेष अतिथि के रूप में मौजूद रहे. समारोह में भाजपा नेताओं, एचपीयू में भाजपा समर्थित कर्मचारी नेताओं और एबीवीपी के छात्र नेताओं को बुलाया गया था, अन्य किसी कर्मचारी संगठन और छात्र संगठन के नेताओं को न बुलाने पर एसएफआई कार्यकर्ता खासे नाराज थे. सुबह के समय वीसी ऑफिस के बाहर एसएफआई कार्यकर्ता जमा हुए और प्रशासन के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया.

वीसी की गाड़ी रोकी

वीसी दफ्तर के बाहर जैसे ही वाइस चांसलर प्रो. सिकंदर कुमार की गाड़ी पहुंची तो उसे रोकने का प्रयास किया गया. छात्र वीसी का घेराव करना चाह रहे थे, इस बीच मौके पर मौजूद भारी पुलिस बल ने उन्हें रोका. छात्र काफी गुस्से में थे जिसके चलते पुलिसकर्मियों से उलझ गए. पुलिस और एसएफआई कार्यकर्ताओं के बीच जमकर धक्का-मुक्की हुई. इसके बाद राज्यपाल और शिक्षा मंत्री की गाड़ी भी वीसी ऑफिस पहुंची, उस दौरान भी एसएफआई की ओर से जमकर नारेबाजी की गई.

एक बार वीसी ऑफिस से छात्रों को बातचीत के लिए बुलाया गया, लेकिन कोई हल निकल पाया. बाद में राज्यपाल की ओर से एसएफआई के कुछ नेताओं को बुलाया गया, बुलावा मिलने के बाद छात्रों ने प्रदर्शन खत्म कर दिया. इस दौरान एचपीयू प्रशासन ने वीसी ऑफिस के सभी गेट बंद कर दिए. मुख्य गेट पर ताला जड़ दिया और अन्य दो गेट पर सुरक्षाकर्मी तैनात कर दिए. मीडिया को भी अंदर आने से रोका गया. मीडियाकर्मियों की ओर से कार्यक्रम को कवर की दलील दी गई लेकिन फिर उन्हें अंदर जाने नहीं दिया गया.

आजा काला दिन : एसएफआई

इस बाबत एसएफआई के राज्य सचिव अमित ठाकुर और एचपीयू परिसर सचिव रॉकी ने कहा कि आज का दिन विश्वविद्यालय के इतिहास का एक काले दिन के रूप में याद रखा जाएगा. जहां पर हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की पूरी मान मर्यादा प्रतिष्ठा को ताक पर रखते हुए सरकारी संसाधनों का उपयोग आरएसएस की बैठक को आयोजित करने के लिए किया गया. उन्होंने कहा कि आज के इस कार्यक्रम में केवल आरएसएस और उससे संबंधित कर्मचारियों को ही समारोह के अंदर बुलाया गया था और विश्वविद्यालय रजिस्ट्रार के द्वारा जो अधिसूचना जारी की गई थी उसमें एबीवीपी को विशेष तौर पर आमंत्रित किया था क्योंकि एबीवीपी एकमात्र ऐसा छात्र संगठन था जब वाइस चांसलर की योग्यता के ऊपर सवाल खड़े हुए तो वह संगठन ढाल बनकर प्रो. सिकंदर कुमार के साथ खड़ा रहा.

एसएफआई ने इस पूरे कार्यक्रम पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय का कार्यक्रम न होकर भाजपा और आरएसएस का कार्यक्रम था, अगर विश्वविद्यालय का कार्यक्रम था तो क्यों नहीं विश्वविद्यालय के सभी छात्र संगठनों के प्रतिनिधियों को वहां पर बुलाया गया. 2 दिन पहले ही विवि में कर्मचारियों के चुनाव हुए, इन चुनावों में चुने हुए प्रतिनिधियों को भी कार्यक्रम का हिस्सा नहीं बनाया गया. एसएफआई नेताओं ने कहा कि हैरानी की बात यह थी की इस कार्यक्रम के अंदर भाजपा के संगठन मंत्री पवन राणा को भी आमंत्रित किया गया था जो यह साफ तौर पर दर्शाता है की कुलपति सिकंदर कुमार अपने आकाओं को खुश करने के लिए किसी भी हद तक गुजरने को तैयार हैं, चाहे वह विश्वविद्यालय की गरिमा और प्रतिष्ठा को दांव पर रखने की भी बात क्यों न हो. एसएफआई ने एलान किया कि वाइस चांसलर की योग्यता के मामले को फिर से हाईकोर्ट में चुनौती देगी. शिक्षक और गैर शिक्षक भर्तियों के मामले को लेकर भी न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जाएगा.

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