शानदार.. जिंदाबाद.. जबरदस्त ! पंचर बनाने वाले पिता की दो-दो बेटियां बनीं यूपी पुलिस में सिपाही, देखें खबर

उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के एक छोटे से गांव कादरचौक से प्रेरणादायक खबर सामने आई है। यहां पंचर और साइकिल मरम्मत की दुकान चलाने वाले देव सिंह की दो बेटियों ने अपनी मेहनत से यूपी पुलिस में सिपाही पद पर चयनित होकर पूरे गांव का नाम रोशन कर दिया। आर्थिक तंगी और पारिवारिक संघर्षों के बीच बेटियों की इस सफलता ने उनके पिता की आंखों में गर्व और भावुकता के आंसू ला दिए हैं।
मेहनत का फल: सुजाता और प्रगति बनीं सिपाही
देव सिंह की बेटियां सुजाता गौतम और प्रगति गौतम का चयन उत्तर प्रदेश पुलिस में सिपाही पद पर हुआ है। 15 जून को जब दोनों को नियुक्ति पत्र मिला, तो पूरे परिवार में जश्न का माहौल छा गया। इन बहनों ने न सिर्फ अपने पिता की उम्मीदों को पूरा किया, बल्कि ग्रामीण परिवेश से निकलकर यह साबित कर दिया कि इच्छाशक्ति और परिश्रम से कोई भी सपना साकार हो सकता है।
बेटा लापता, बेटियों ने लौटाई घर की खुशियां
इनकी कहानी में एक दुखद पहलू भी है—देव सिंह का इकलौता बेटा अभिनव करीब दो साल पहले लापता हो गया था। परिवार ने उसे ढूंढने की बहुत कोशिश की, लेकिन आज तक उसका कुछ पता नहीं चल सका। इस दर्द के बीच बेटियों की यह सफलता उनके जीवन में एक नई रोशनी लेकर आई है। पिता देव सिंह ने भावुक होते हुए कहा, “हमने झोपड़ी में दिन बिताए, लेकिन कभी बेटियों की पढ़ाई में कमी नहीं आने दी। आज मेरी बेटियों ने नाम रोशन किया है।”
गांव में हुआ भव्य स्वागत, ट्रेनिंग के लिए रवाना
ट्रेनिंग के लिए रवाना होने से पहले गांववालों ने सुजाता और प्रगति का भव्य स्वागत किया। पूरे कादरचौक ग्राम पंचायत में जश्न का माहौल रहा। गांव के प्रधान दिनेश कुमार और एडीओ पंचायत शिवकुमार सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे। सभी ने इन बहनों को फूल-मालाओं से सम्मानित कर उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं।
सुजाता ने पहले की थी पंचायत सहायक की नौकरी
गौरतलब है कि चयन से पहले सुजाता गौतम ब्लॉक स्तर पर पंचायत सहायक के रूप में काम कर चुकी हैं। वहीं प्रगति गौतम ने भी पढ़ाई के साथ-साथ घरेलू जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया। दोनों बहनों की यह सफलता उन लाखों ग्रामीण बेटियों के लिए मिसाल है, जो सीमित संसाधनों में भी आगे बढ़ना चाहती हैं।
अब छोटी बहन को पढ़ाने का सपना
देव सिंह की एक और बेटी है, जिसे लेकर उन्होंने कहा, “मैं अब उसे भी खूब पढ़ाऊंगा, ताकि वह भी अपनी बहनों की तरह काबिल बन सके।” यह जज्बा दर्शाता है कि जब परिवार का साथ हो और मेहनत में कोई कसर न छोड़ी जाए, तो कोई भी मंजिल दूर नहीं होती।