UP: BJP राज्यमंत्री धरने पर.. पति ने डिप्टी-CM को ललकारा, कहा – “ब्राह्मणों की रक्षा, नहीं तो फांसी..”

उत्तर प्रदेश की राजनीति में उस समय हड़कंप मच गया जब योगी सरकार की राज्यमंत्री प्रतिभा शुक्ला खुद कानपुर देहात की अकबरपुर कोतवाली में धरने पर बैठ गईं। उन्होंने आरोप लगाया कि स्थानीय पुलिस ने BJP कार्यकर्ताओं पर SC/ST एक्ट के तहत फर्जी मुकदमा दर्ज किया है। इस घटनाक्रम में उनके पति व पूर्व सांसद अनिल शुक्ला वारसी ने भी सियासी तूफान ला दिया। उन्होंने डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि अगर ब्राह्मणों की रक्षा नहीं कर सकते तो फांसी पर चढ़ जाएं।

सड़क निर्माण बना विवाद की जड़

दरअसल, पूरा मामला बदलापुर कस्बे में सड़क निर्माण कार्य से जुड़ा है। यहां मंत्री निधि से एक सड़क बन रही थी, लेकिन सभासद शमशाद ने काम रोक दिया। इसके बाद ठेकेदार की शिकायत पर पुलिस ने शमशाद और उनके समर्थकों पर सरकारी कार्य में बाधा डालने और रंगदारी मांगने जैसे गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया।

पुलिस कार्रवाई के खिलाफ मंत्री का गुस्सा, थाने में बैठीं धरने पर

जब मंत्री को पता चला कि उनके समर्थकों पर झूठा मुकदमा दर्ज हुआ है, तो वह सीधे अकबरपुर कोतवाली पहुंचीं और इंस्पेक्टर सतीश सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उन्होंने साफ शब्दों में कहा—

“जब तक इंस्पेक्टर को हटाया नहीं जाता, मैं थाने से नहीं जाऊंगी।”

“ब्राह्मणों की रक्षा नहीं कर सकते तो फांसी पर चढ़ा दो”

मंत्री के साथ थाने पहुंचे उनके पति अनिल शुक्ला वारसी ने उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को फोन किया और तमतमाते हुए बोले—

“आपको ब्राह्मणों की रक्षा के लिए डिप्टी सीएम बनाया गया है, लेकिन अगर आप हमारी रक्षा नहीं कर सकते, तो हम यहीं फांसी पर लटक जाएंगे।”

इसके बाद उन्होंने फोन काट दिया और मौके पर मौजूद समर्थकों से कहा—

“रस्सी लाओ, हम फांसी लगा लेते हैं।”

उनका यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और विपक्ष ने योगी सरकार की कार्यप्रणाली पर हमला तेज कर दिया।

“ब्राह्मणों के नाम पर बने डिप्टी सीएम, अब चुप क्यों हैं?”

वारसी ने डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि

“उनकी नियुक्ति सिर्फ ब्राह्मणों को संतुष्ट करने के लिए की गई थी। लेकिन जब उनके सामने अन्याय हो रहा है, तो वे चुप क्यों हैं?”

यह टिप्पणी न सिर्फ सत्ताधारी पार्टी के भीतर का असंतोष दर्शाती है, बल्कि ब्राह्मण वोट बैंक को लेकर भाजपा की रणनीति पर भी गंभीर सवाल उठाती है।

विपक्ष का वार, भाजपा में घमासान

समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने भी इस पूरे घटनाक्रम पर कटाक्ष किया और ट्वीट में लिखा:

“अब ‘डपटी’ मुख्यमंत्री भी चुप हैं। जब मंत्री खुद धरने पर हों, तो समझ जाइए राज्य की हालत क्या है।”

भाजपा के अंदरूनी हलकों में भी इस घटनाक्रम को लेकर बेचैनी है क्योंकि यह मामला न सिर्फ कानून व्यवस्था, बल्कि जातीय संतुलन और राजनीतिक नेतृत्व की दिशा को लेकर सवाल खड़ा करता है।

सत्ता के गलियारों में भीतर ही भीतर सुलग रही चिंगारी

इस पूरे मामले ने स्पष्ट कर दिया है कि उत्तर प्रदेश सरकार के भीतर आंतरिक कलह और जातीय असंतुलन बढ़ता जा रहा है। जब खुद एक मंत्री को पुलिस के खिलाफ धरने पर बैठना पड़े और पूर्व सांसद पति को सत्ताधारी दल के उपमुख्यमंत्री पर हमला बोलना पड़े, तो यह केवल स्थानीय विवाद नहीं, बल्कि राज्य की राजनीति में गहराते संकट का संकेत है।

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