यूपी बीजेपी प्रभारी राधामोहन सिंह कल सुबह 11 बजे राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मुलाकात करेंगे

 विधानसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में सियासी हलचल तेज है. यूपी में योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट में बदलाव या विस्तार की चर्चाएं भी गरमाई हुई हैं. इस हलचल के बीच  दिल्ली में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, राष्ट्रीय महासचिवों और प्रभारियों की बैठक के बाद यूपी के प्रभारी राधा मोहन सिंह अचानक शनिवार देर शाम लखनऊ पहुंचे और पहुंचते ही उन्होंने पार्टी दफ्तर में प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के साथ बैठक की. अब आज राधामोहन सिंह  सुबह 11 बजे यूपी की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से मुलाकात करेंगे.

बता दें कि राधा मोहन सिंह उस समय यूपी के दौरे पर हैं जब अगले साल विधानसभा चुनाव से पहले राज्य मंत्रिमंडल के विस्तार की अटकलें तेज  हैं. आज राधामोहन सिंह पहले राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से फिर उसके बाद विधानसभा अध्यक्ष से भी मुलाकात करेंगे.

राधा मोहन सिंह के यूपी यूं अचानक पहुंचने को लेकर ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले, योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार जल्द ही अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल करेगी. इसी के चलते लगातार दिल्ली और लखनऊ में बैठकें चल रही हैं. संघ और संगठन के पदाधिकारियों का न सिर्फ यूपी का दौरा जारी है बल्कि लगातार बैठकें भी चल रही हैं.

यूपी में पंचायत चुनाव रिजल्ट और कोरोना ने बढ़ाई है भाजपा की टेंशन
भाजपा का यूपी पंचायत चुनावों में परफॉर्मेंस काफी खराब रहा है. इधर कोविड-19 स्थिति से निपटने के लिए सरकार के प्रयासों पर विपक्ष और कई लोगों ने सवाल उठाए हैं और इन सबको देखते हुए संघ और संगठन विधानसभा चुनाव से पहले नेताओं का फीडबैक ले रही है. इसके लिए कुछ दिनों पहले भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष ने भी यूपी का दौरा किया था और योगी कैबिनेट के मंत्रियों से बात की थी.

भाजपा ने सीएम योगी आदित्यनाथ सरकार में अपने राज्य के नेताओं और मंत्रियों से प्राप्त फीडबैक के आधार पर अब एक रणनीति तैयार करने की योजना बनाई है. इसके साथ ही राज्य सरकार की छवि को मजबूत करने और राज्य में लोगों से जुड़े मुद्दों को हल करने का भी निर्णय लिया है.

योगी के नेताओं ने पार्टी को दिया है फीडबैक
सूत्रों की मानें तो भाजपा के आला नेताओं से बैठक के दौरान योगी सरकार के कई नेताओं ने कोविड -19 से निपटने, लोगों के बीच मोहभंग और सरकार और पार्टी नेताओं के बीच समन्वय की कमी जैसे मुद्दों को पदाधिकारियों के सामने उठाया था.

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