यूपी विधानसभा उपाध्यक्ष चुनाव: हार कर भी फायदे में सपा, 48 विधायक होने पर भी 60 मत मिले

यूपी विधानसभा उपाध्यक्ष चुनाव में सपा की रणनीति सार्थक रही। वह हार कर भी नफे में है। पार्टी अब विधान परिषद सभापति का चुनाव कराने की मांग कर रही है। इसके जरिए भाजपा को घेरने की तैयारी है।

सपा ने संख्या बल कम होने के बाद भी विधानसभा उपाध्यक्ष पद के चुनाव में प्रत्याशी मैदान में उतारा। भाजपा प्रत्याशी से पहले सपा प्रत्याशी ने नामांकन किया। संसदीय परंपरा का हवाला देकर भाजपा से सहयोग मांगा। सदन में अधिकारिक तौर पर भले नितिन अग्रवाल को सपा में गिना जा रहा है, लेकिन जग जाहिर है कि वह भाजपा के साथ हैं और उसी के उम्मीदवार के तौर पर उपाध्यक्ष पद जीते हैं।

ऐसे में सपा संख्या बल के हिसाब से सदन में 49 विधायकों में अपना 48 ही मान रही थी। लेकिन उसे 48 के बजाय 60 मत मिले। उसे सदन में संख्या बल अधिक दिखाने का प्रमाण मिला। साथ ही भाजपा को पिछड़ा वर्ग विरोधी साबित करने का हथियार भी। इससे उत्साहित पार्टी अब विधान परिषद सभापति का चुनाव कराने की भी मांग करने लगी है।

परिषद में सपा के 48 सदस्य हैं। सपा एमएलसी हीरालाल यादव ने कहा कि परिषद में अभी कार्यवाहक सभापति हैं। उन्होंने कहा कि गठबंधन के जरिए खुद को बड़ा दल बताने वाली भाजपा चुनाव कराए ताकि वास्तविकता सामने आ सके।
परिषद में दलीय स्थिति
सपा 48
भाजपा 33
बसपा 6
कांग्रेस 1
अपना दल 1
शिक्षक दल 2
निर्दलीय समूह 2
निर्दल 2
रिक्त 5
कुल -100

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