इसे कहते हैं अनुशासन! टीका न लगवाने पर राष्ट्रपति को भी नहीं देखने दिया फुटबॉल मैच, बैरंग लौटाया

ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो का कहना है कि उन्हें सैंटोस बनाम ग्रेमियो फुटबॉल मैच में प्रवेश से वंचित कर दिया गया था क्योंकि उनके पास COVID-19 टीकाकरण प्रमाणपत्र नहीं था। उन्होंने कहा, “कार्ड, टीकाकरण पासपोर्ट क्यों है? मैं सिर्फ सैंटोस खेल देखना चाहता था। उन्होंने कहा कि उसे टीका लगवाना होगा। ऐसा क्यों है?”

बोल्सोनारो ने रविवार को संवाददाताओं से कहा कि उनके पास उन लोगों की तुलना में अधिक एंटीबॉडी हैं जिन्होंने वैक्सीन के शॉट्स प्राप्त किए हैं। मेट्रोपोल्स ने रविवार को ग्वारुजा, साओ पाउलो में प्रेस के साथ राष्ट्रपति की बातचीत का एक वीडियो जारी किया है।

स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बोल्सोनारो फिलहाल साओ पाउलो में छुट्टियां मना रहे हैं। ब्राजील के नेता ने कोरोना वायरस टीकों के प्रति संदेह व्यक्त किया है और टीका नहीं लगाया गया है। जुलाई 2020 में वह कोरोना पॉजिटिव हुए थे। कुछ हफ़्ते के लिए क्वारंटाइन रहने के बाद वह काम पर लौट आए। वह  लॉकडाउन का विरोध हैं और मास्क पहनने वाले नियमों की अवहेलना करते हैं।

ब्राजील में कोरोना से मरने वालों की संख्या 6 लाख के पार
ब्राजील में कोरोना संक्रमण से मरने वालों की संख्या छह लाख के पार हो गई है। मौत के मामले में वह दुनिया में दूसरे नंबर पर है, जबकि संक्रमण के मामले में अमेरिका, भारत के बाद तीसरे नंबर है। हालांकि मौत के आंकड़ें खुद गवाही दे रहे हैं कि कोरोना से निपटने में सरकार की तरफ से कहीं न कहीं चूक हुई है। आइए यहां हम आपको बताते हैं उसके द्वारा की गईं पांच गलतियां, जिसने पूरी दुनिया को सबक दिया है।

राष्ट्रपति ने महामारी को गंभीरता से नहीं लिया: ब्राजील के राष्ट्रपति जैर बोलसोनारो ने कई मौकों पर कोरोना महामारी का मजाक उड़ाया था। उन्होंने महामारी को लेकर कई अजीबोगरीब बयान दिए थे। बोलसोनारो ने कोरोना वायरस को सामान्य फ्लू कहकर खारिज कर दिया था। वहीं, दूसरी तरफ पूरी दुनिया इस महामारी से निपटने के लिए कारगर कदम उठा रहे थे। इस वजह से देश में उनकी आलोचना भी हुई थी। राष्ट्रपति के इस गैरजिम्मेदाराना बयान की वजह से देश को इतना बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ा।

मास्क और सामाजिक दूरी का भी नहीं किया पालन: जैर बोलसोनारो ने महामारी का मजाक तो उड़ाया ही, साथ ही उन्होंने मास्क लगाने और सामाजिक दूरी जैसे उपायों का भी विरोध किया था। उन्होंने मास्क की उपयोगिता को भी कठघरे में खड़ा किया था। उन्होंने कहा था कि इस संबंध में बेहद कम साक्ष्य हैं कि मास्क कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने में प्रभावी है। हालांकि यह बात अलग है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन सहित सभी स्वास्थ्य एजेंसियों ने कोरोना से जंग में मास्क को कारगर हथियार बताया।

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