यूनिसेफ ने बताया अब तक भारत की ऐसे की मदद

नई दिल्ली, 3 जून 2021 – यूनिसेफ जीवन रक्षक वस्तुओं की आपूर्ति करके भारत को कोविड-19 महामारी से निपटने में आपातकालीन समर्थन कर रहा है। 26 ऑक्सीजन संयंत्रों में से 9 स्थापित किए जा रहे हैं, और 4,500 से अधिक ऑक्सीजन कॉन्सनट्रेटर्स और 200 आरटी-पीसीआर टेस्टिंग मशीनें वितरित की जा चुकी हैं या वितरित की जा रही हैं।

कोविड-19 की दूसरी लहर से जूझ रहे भारत को सांस की बीमारियों से पीड़ित मरीजों के इलाज के लिए ऑक्सीजन की कमी का सामना करना पड़ रहा है। ऑक्सीजन केयर, टेस्टिंग और स्क्रीनिंग की सुविधा उपलब्ध करने हेतु यूनिसेफ गुजरात, अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा के अस्पतालों में 9 ऑक्सीजन उत्पादक संयंत्र स्थापित करने में मदद कर रहा है। ये 26 ऑक्सीजन उत्पादक संयंत्र अरुणाचल प्रदेश, गुजरात, नागालैंड, महाराष्ट्र, मेघालय और त्रिपुरा के अस्पतालों में स्थापित किए जाएंगे।

भारत में यूनिसेफ की प्रतिनिधि डॉ. यास्मीन अली हक ने कहा कि, “कोविड-19 के मामलों में अचानक हुई वृद्धि की वजह से भारत की स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं पर भारी दबाव है। संकट से निपटने के लिए ऑक्सीजन की सख्त जरूरत है। कोविड-19 से पीड़ित गंभीर मरीजों के लिए समय पर ऑक्सीजन मिलना उनका जीवन बचाने के लिए बेहद जरुरी है।” “दुनिया भर में मौजूद हमारे दाताओं और समर्थकों को विशेष धन्यवाद, जिनकी मदद से ऑक्सीजन उत्पादक संयंत्र और 4,500 से अधिक ऑक्सीजन कॉन्सनट्रेटर्स प्रदान करके यूनिसेफ इस कठिन समय में लोगों की जान बचाने में सहयोग कर सका। ऑक्सीजन प्रणाली को दुरुस्त करके, हम मौजूदा आपातकाल के साथ-साथ भविष्य की स्वास्थ्य संबंधी कई जरूरतों की पूर्ति कर सकेंगे।”

यूनिसेफ अगले कुछ महीनों में, 14 ऑक्सीजन उत्पादक संयंत्र और खरीदेगा। इन संयंत्रों के माध्यम से पाइप द्वारा ऑक्सीजन की आपूर्ति सीधे अस्पतालों में लगे मरीजों के बेड तक की जाती है। इसका इस्तेमाल कोविड-19 के गंभीर मामलों, बीमार नवजात शिशुओं तथा निमोनिया से पीड़ित बच्चों के साथ-साथ बच्चों को जन्म देने वाली माताओं को होने वाली जटिलताओं के इलाज में सहायता करने और सर्जरी के दौरान रोगियों को स्थिर रखने हेतु किया जाएगा।

यूनिसेफ अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, सिक्किम, राजस्थान, गुजरात, पश्चिम बंगाल और बाकी राज्यों में एक्सेस टू कोविड-19 टूल्स एक्सेलेरेटर (एसीटी-ए) पहल के तहत खरीदे गए 4,650 जीवन रक्षक ऑक्सीजन कॉन्सनट्रेटर्स भी वितरित कर रहा है। इन कॉन्सनट्रेटर्स में पर्यावरण से हवा भर जाती है और इससे ऑक्सीजन का एक निरंतर मिलने वाला स्रोत मिलता है। पहले खरीदे गए अन्य 3,000 ऑक्सीजन कॉन्सनट्रेटर्स का इस्तेमाल अभी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में किया जा रहा है। इसके अलावा, 512 हाई फ्लो नेज़ल कैनुलास भी 10 राज्यों को उपलब्ध कराया गया है।

यूनिसेफ द्वारा प्रदान की जाने वाली अन्य आपूर्ति और सहायता इस प्रकार हैं:

भारत में कोविड-19टीकाकरण और बाद में होने वाले बच्चों के नियमित टीकाकरण का समर्थन करने हेतु यूनिसेफ ने वॉक-इन कूलर्स, वॉक-इन फ्रीजर, आइस लाइनेड रेफ्रिजरेटर, डीप फ्रीजर, सोलर डायरेक्ट ड्राइव फ्रिज, कोल्ड बॉक्स और वैक्सीन कैरियर, जिसमें फ्रीज-फ्री वैक्सीन कैरियर और वोल्टेज स्टेबलाइजर्स भी शामिल हैं, 238,272से अधिक कोल्ड चेन उपकरण खरीदे हैं और इनकी आपूर्ति की है। ये उपकरण कोल्ड चेन पॉइंट की संख्या को 1389तक बढ़ाकर राष्ट्रीय और राज्य स्तर के साथ-साथ 523जिलों में वैक्सीन भंडारण के तंत्र को मजबूती प्रदान करते हैं।

  • देश में टेस्टिंग प्रणाली का समर्थन करने हेतु यूनिसेफ ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की साझेदारी में 25राज्यों की 73प्रयोगशालाओं में 85आरटी-पीसीआर टेस्टिंग मशीनें स्थापित की हैं। इसके अलावा, और 200मशीनें वितरित की जाएंगी। 100आरएनए संग्रह मशीनों की भी खरीद की जा रही है।
  • 74मास थर्मल स्कैनर खरीदे और वितरित किए गए हैं और 24हवाई अड्डों तथा 11बंदरगाहों पर आने वाले यात्रियों में बुखार की जांच हेतु स्थापित किए जा रहे हैं।
  • मई 2021में, यूनिसेफ ने पूरे भारत में 5मिलियन ट्रिपल लेयर्ड मास्क और 1.75मिलियन फेस शील्ड वितरित किया था। कार्यकर्ता गांवों और अस्पतालों में अपनी आवश्यक सेवाएं जारी रख सकें, इसके लिए ये व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण काफी महत्वपूर्ण हैं।

यूनिसेफ राज्य सरकारों और बाकी भागीदारों के साथ काम कर रहा है ताकि कोविड-19 की वजह से अनाथ हुए बच्चों के बाकी के रिश्तेदारों जैसे दादा-दादी का पता लगाया जा सके, परामर्श सहायता प्रदान की जा सके या उन्हें आश्रय गृहों में लाया जा सके और नेशनल चाइल्डलाइन को इसकी सूचना दी जा सके। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अनुसार, कोविड-19 की वजह से 1 अप्रैल से 25 मई के बीच 577 बच्चों ने अपने माता-पिता को खो दिया है। यूनिसेफ उन बच्चों के लिए समुदायों, अस्पतालों आदि के लिए सलाह और प्रोटोकॉल बनाने में राज्य सरकारों के साथ भी मिलकर काम कर रहा है, जिन्होंने अपने माता-पिता में किसी एक को या दोनों को खो दिया है या उनके माता-पिता अस्पताल में हैं और उनको अस्थायी देखभाल की जरुरत है। हम फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं की क्षमता भी बढ़ा रहे हैं, ताकि वे इन बच्चों का समर्थन कर सकें।

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