भतीजे से टिकट मिलने के बावजूद, BJP पर बरस पड़ीं ‘उमा भारती’.. कहा – “कोई एहसान नहीं किया.. उनकी मजबूरी”

मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की तेजतर्रार नेता उमा भारती ने अपनी ही पार्टी BJP पर करारा हमला बोला है। उन्होंने साफ-साफ शब्दों में कहा है कि उनके भतीजे राहुल सिंह लोधी को टिकट मिलना कोई “एहसान” नहीं, बल्कि “पार्टी की मजबूरी” थी। उमा ने यह बयान सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक के बाद एक किए गए ट्वीट्स की श्रृंखला में दिया। उनके इस हमले ने मध्य प्रदेश की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है।

ट्वीट्स में छलका राजनीतिक अनुभव और पीड़ा

उमा भारती ने 16 जुलाई को सिलसिलेवार ट्वीट्स करते हुए BJP में अपने लंबे संघर्ष और परिवार के योगदान को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि अगर उन्हें और उनके परिवार को उचित अवसर मिला होता, तो आज उनके घर से 2-3 सांसद और विधायक होते।
उन्होंने बताया कि पार्टी की सेवा करते-करते उनके परिवार को लूट और डकैती जैसे झूठे आरोपों का भी सामना करना पड़ा, लेकिन कोर्ट ने हर बार उन्हें निर्दोष ठहराया। ऐसे में राहुल को टिकट देना कृपा नहीं, बल्कि पार्टी की रणनीतिक विवशता है।

बुंदेलखंड की ज़रूरत थी राहुल लोधी?

उमा भारती ने ट्वीट में साफ किया कि राहुल लोधी को टिकट देने का निर्णय उनके प्रभाव या संबंधों के चलते नहीं, बल्कि बुंदेलखंड की राजनीति को देखते हुए लिया गया है। उन्होंने लिखा कि BJP को वहां संतुलन बनाए रखने के लिए यह कदम उठाना पड़ा। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि राहुल और उनके भाई बचपन से RSS के बाल स्वयंसेवक रहे हैं और पार्टी के साथ गहरे जुड़े हुए हैं।

राहुल लोधी की विवादित पृष्ठभूमि भी बनी मुद्दा

गौरतलब है कि राहुल लोधी ने 2018 में खजुराहो के खुरई विधानसभा सीट से चुनाव जीता था, लेकिन बाद में हाईकोर्ट ने उनके चुनाव को रद्द कर दिया था। कोर्ट ने पाया कि नामांकन पत्र में तकनीकी त्रुटि के कारण चुनाव अमान्य था। इस पृष्ठभूमि के चलते राहुल को दोबारा टिकट दिए जाने पर पहले से ही सवाल उठ रहे थे, जिन्हें उमा भारती के बयान ने और हवा दे दी है।

बीजेपी में टिकट बंटवारे पर बगावत के सुर

उमा भारती का यह बयान ऐसे समय में आया है जब बीजेपी में टिकट बंटवारे को लेकर असंतोष और आंतरिक खींचतान की खबरें लगातार आ रही हैं। हरियाणा से लेकर मध्य प्रदेश तक कई नेताओं को दरकिनार कर दिया गया है, जिससे नाराजगी बढ़ रही है। उमा का कहना है कि यह सब ‘राजनीतिक संतुलन’ के नाम पर हो रहा है, लेकिन इसमें व्यक्तिगत बलिदानों और वर्षों की निष्ठा को नजरअंदाज किया जा रहा है।

परिवारवाद नहीं, मजबूरी है BJP की रणनीति

उमा भारती का यह बयान सिर्फ राहुल लोधी के टिकट तक सीमित नहीं है, बल्कि यह BJP के आंतरिक लोकतंत्र, टिकट वितरण नीति और वरिष्ठ नेताओं की उपेक्षा पर भी सवाल उठाता है।
उन्होंने यह स्पष्ट किया कि राहुल को टिकट देना उनके लिए कोई उपकार नहीं, बल्कि पार्टी की चुनावी मजबूरी है, जो बुंदेलखंड की राजनीति को साधने के लिए जरूरी थी।
यह बयान दर्शाता है कि पार्टी के भीतर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा, और सीनियर नेताओं की उपेक्षा अब सार्वजनिक आलोचना में बदल रही है।

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