तुर्की का बड़ा फैसला:राष्ट्रपति एर्दोगन ने अमेरिका, फ्रांस और जर्मनी समेत 10 देशों के राजदूतों को देश से निकाला

तुर्की ने घरेलू मामलों में दखल देने के आरोप में अमेरिका, फ्रांस समेत 10 देशों के राजदूतों को देश से निकालने का आदेश दिया है। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने शनिवार को अपने विदेश मंत्रालय से इस आदेश को पूरा करने का निर्देश दिया है।

बताया जा रहा है कि अमेरिका समेत इन देशों ने सामाजिक कार्यकर्ता उस्मान कवला की रिहाई का समर्थन किया है। जिसके बाद तुर्की के राष्ट्रपति ने यह कार्रवाई की है। राष्ट्रपति एर्दोगन ने उत्तर पश्चिमी तुर्की के एस्किसेहिर शहर में एक भाषण में इसकी जानकारी दी।

एर्दोगन ने सख्त लहजे में कहा कि इस कार्रवाई से ये देश तुर्की को जानेंगे और समझेंगे। हालांकि तुर्की की इस कार्रवाई पर अभी तक किसी भी देश का बयान नहीं आया है।

4 साल से जेल में है कवला
उस्मान कवला चार साल से जेल में हैं, उन पर 2013 में देशव्यापी विरोध-प्रदर्शनों के लिए फंडिंग करने का आरोप है। तुर्की की सरकार ने यह भी आरोप लगाया है कि 2016 में हुए असफल तख्तापलट के पीछे भी उस्मान कवला का ही हाथ था, हालांकि उन्होंने इन आरोपों से हमेशा इनकार किया है। कवला को 2017 में गिरफ्तार किया गया था।
उस्मान कवला चार साल से जेल में हैं, उन पर 2013 में देशव्यापी विरोध-प्रदर्शनों के लिए फंडिंग करने का आरोप है।

इन 10 देशों के राजदूतों पर कार्रवाई
18 अक्टूबर को एक संयुक्त बयान में, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, कनाडा, डेनमार्क, नीदरलैंड, नॉर्वे, स्वीडन, फिनलैंड और न्यूजीलैंड के राजदूतों ने कवला के रिहाई की मांग की थी। इन देशों ने कवला मामले पर सरकार को जल्द फैसला लेने का दबाव बनाया था। जिसके बाद तुर्की की विदेश मंत्रालय ने इन सभी देशों के राजदूतों को तलब किया और उनके बयान को गैर जिम्मेदाराना बताया था। चार दिन बाद यानी शनिवार को उन्हें तुर्की छोड़ने का निर्देश जारी कर दिया गया।

48 से 72 घंटे के अंदर देश छोड़ना होगा
तुर्की के विदेश मंत्रालय ने इन देशों के राजदूतों को परसोना नॉन ग्राटा घोषित किया है। इसका मतलब ये है कि राजदूत तुर्की के लिए अब अनवांटेड बन गए हैं। इन राजदूतों को 48 से 72 घंटे के अंदर तुर्की की सीमा से बाहर जाना होगा।

तुर्की की बढ़ सकती हैं मुश्किलें
आमतौर पर कोई भी देश राजदूत को नहीं बल्कि दूसरे राजनयिकों को देश निकाला देते हैं। तुर्की की यह कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय नियमों के खिलाफ जा सकती है। ऐसे में पहले से अमेरिका के कड़े प्रतिबंध झेल रहे इस्लामिक देश तुर्की पर और सख्त पाबंदियां लग सकती हैं। फ्रांस समेत अन्य पश्चिमी देश तुर्की पर इन प्रतिबंधों को लगा सकते हैं।

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