गोवा में टीएमसी! कांग्रेस को क्या संदेश देना चाहती हैं ममता? पढ़िए

अगले साल फरवरी माह में होने वाला गोवा का विधानसभा चुनाव राष्ट्रीय राजनीति में छाया हुआ है. अपेक्षाकृत एक छोटा राज्य होने के बावजूद गोवा की चर्चा दिल्ली तक होने के पीछे इन दिनों केवल एक ही कारण है. वो राज्य में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी ) के चुनाव लड़ने की घोषणा. टीएमसी ने गोवा में न केवल चुनाव लड़ने की घोषणा की है बल्कि उसने इस चुनाव में अपनी सर्वोच्च नेता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को ही उतार दिया है. ऐसे में गोवा की राजनीति में ममता की एंट्री के साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर ये सवाल पूछा जाने लगा है कि क्या वह भाजपा को टक्कर देने गोवा जा रही हैं या फिर उनका मकसद कांग्रेस को और कमजोर करना है ताकि राष्ट्रीय स्तर पर वह खुद को विपक्ष का एक मजबूत चेहरा बना सकें? हम आज के विश्लेषण में इसी सवाल का जवाब ढूंढ़ेंगे.

TMC के राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार का हिस्सा
इसी साल पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा को बुरी तरह शिकस्त देने के बाद टीएमसी खुद को एक राष्ट्रीय पार्टी के रूप में स्थापित करने में लगी है. उसका मकसद 2024 का लोकसभा चुनाव है. इसके लिए वह उन राज्यों में अपनी पांव पसारने की कोशिश कर रही है जहां भाजपा सत्ता में हैं और कांग्रेस लगातार कमजोर हो रही है. इसी कारण पार्टी ने त्रिपुरा, असम, मेघालय, उत्तर प्रदेश और अब गोवा के विधानसभा चुनाव में उतरने की घोषणा की है. उत्तर प्रदेश को छोड़कर ये सभी अपेक्षाकृत छोटे राज्य हैं. इन राज्यों में टीएमसी कम समय में संगठन खड़ा करने का दम रखती है. गोवा में 40 सदस्यीय विधानसभा है.

2024 पर है नजर
टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी की नजर 2024 के लोकसभा चुनाव पर है. टीएमसी चौबीस के आम चुनाव से पहले देश की जनता को यह दिखाना चाहती है कि कांग्रेस नहीं बल्कि टीएमसी राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा को टक्कर दे रही है और ममता बनर्जी एक राष्ट्रीय नेता हैं. ऐसे में अगर 2024 के चुनाव के लिए राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी दलों का कोई गठबंधन बनता है तो उसमें ममता बनर्जी एक प्रमुख चेहरा होंगी. इसी कारण पार्टी ममता बनर्जी को एक राष्ट्रीय नेता के रूप में पेश कर रही हैं. पिछले दिनों अभिषेक बनर्जी ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि राष्ट्रीय स्तर पर ममता बनर्जी ही एक ऐसी नेता हैं जो पीएम मोदी को टक्कर दे सकती हैं.

कांग्रेस और भाजपा के असंतुष्टों के लिए खोले द्वार
टीएमसी ने पश्चिम बंगाल से बाहर पार्टी के विस्तार के लिए कांग्रेस और भाजपा के असंतुष्ट नेताओं के लिए द्वार खेल दिए हैं. इसी कड़ी में पिछले दिनों कांग्रेस की वरिष्ठ नेता रहीं सुष्मिता डे और मोदी सरकार में मंत्री रह चुके बाबुल सुप्रियो को पार्टी की सदस्यता दिलाई गई. अब गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री लुईजिन्हो फ्लेरियो ने कांग्रेस छोड़ टीएमसी का दामन थाम लिया है.

गोवा में कांग्रेस का सफाया करने पर तुली टीएमसी
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे लुईजिन्हो फ्लेरियो को अपने साथ लाने के बाद टीएमसी गोवा में अपनी स्थिति मजबूत बनाने में लगी है. उसकी नजर कांग्रेस और अन्य छोटे दलों के कई नेताओं पर है. दूसरी तरफ बीते विधानसभा चुनाव के बाद से कांग्रेस लगातार कमजोर हुई है. 2017 में हुए गोवा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के 18 विधायक थे जो अब घटकर केवल चार रह गए हैं. इसके साथ ही गोवा के निर्दलीय विधायक रोहन खाउंते और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) विधायक चर्चिल अलेमाओ ने शुक्रवार को ममता बनर्जी से मुलाकात की.

ममता ने साधा कांग्रेस पर निशाना
अपनी तीन दिवसीय गोवा यात्रा के समापन के वक्त ममता बनर्जी ने शनिवार को कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ताकतवर होंगे क्योंकि देश की सबसे पुरानी पार्टी राजनीति को लेकर गंभीर नहीं है. ममता ने आरोप लगाया कि उसके (कांग्रेस के) फैसले न लेने का खामियाजा के कारण देश को भुगतना पड़ रहा है. वहीं उन्होंने भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वह अब दिल्ली की ‘दादागीरी’ बर्दाश्त नहीं करेंगी.

ममता ने कांग्रेस के बारे में कहा, ‘‘मैं अभी सब कुछ नहीं कह सकती क्योंकि वे राजनीति को गंभीरता से नहीं लेते. कांग्रेस की वजह से मोदी जी और अधिक ताकतवर हो रहे हैं…अगर कोई निर्णय नहीं ले सकता तो उसके लिए देश को क्यों भुगतना चाहिए?’’ टीएमसी अध्यक्ष ने कहा, ‘‘कांग्रेस को पहले भी मौका मिला. भाजपा के खिलाफ लड़ने के बजाय वे मेरे राज्य में मेरे खिलाफ लड़े. क्या आपको नहीं लगता कि उन्होंने मेरे खिलाफ चुनाव लड़ा, बंगाल में मेरे राजनीतिक दल के खिलाफ चुनाव लड़ा….’’

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