असम में शरण ले रहे बंगाल हिंसा के हजारों पीड़ित, सुनिए कहानी उन्ही की जुबानी

गुवाहाटी. पश्चिम बंगाल में जारी हिंसा के बीच हालात इतने खराब हो गए हैं कि लोगों ने असम (Assam) में शरण लेना शुरू कर दिया है. अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक, हजारों लोगों ने असम में प्रवेश किया है . चुनाव के बाद से ही राज्य में हिंसा का दौर जारी है. बंगाल में बीजेपी नेता और समर्थक आरोप लगा रहे हैं कि कई पार्टी कार्यकर्ताओं को मारा गया, बलात्कार किया गया और बुरी तरह पीटा गया. साथ ही घर में आग लगाए जाने के भी दावे किए जा रहे हैं. बीजेपी ने टीएमसी कैडर पर इन हमलों के आरोप लगाए हैं. असम के मंत्री हेमंत बिस्वा शर्मा ने शरणार्थियों के असम में प्रवेश करने की जानकारी दी है.

बीती 4 मई को शर्मा ने ट्वीट के जरिए बताया है कि बंगाल बीजेपी के 300-400 कार्यकर्ता हिंसा और उत्पीड़न के बाद असम के ढुबरी में आए हैं. उन्होंने बताया कि असम में उन्हें भोजन और रहने के लिए स्थान दिया जा रहा है. स्वास्थ्य मंत्री ने बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से ‘लोकतंत्र का गंदा नाच’ बंद करने की अपील की है. खास बात है कि हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने असम में लगातार दूसरी बार सत्ता हासिल की है. बंगाल से भागे कई लोग ढुबरी में रह रहे हैं. इस दौरान असम बीजेपी के अध्यक्ष रंजीत कुमार दास ने उन लोगों से मुलाकात की.

हिंसा की कुछ कहानियां –

‘उनके लिए यह आंख के बदले आंख जैसा है’

‘मंगलवार सुबह कुछ लोग मुझे खोजते हुए आए. उन्होंने मेरी यह कहते हुए हत्या करने की कोशिश की है कि मैंने बीजेपी के लिए वोट दिया और अब यह बदले का समय है. यह उनके लिए आंख के बदले आंख की तरह था. मैं कैसे भी खुद को बचाकर असम आ गया. फिलहाल मैं मेरे ही जैसे 250 लोगों के साथ ढुबरी के रंगपगली गांव में हूं. मैं वाकई डरा हुआ हूं और मैं यह नहीं जानता कि कहां और कैसे मैं मां का अंतिम संस्कार करूंगा.’

मेघू दास

दास पश्चिम बंगाल के कूच बिहार में स्थित झौकुटी गांव से हैं और हिंसा से काफी डरे हुए हैं. वे असम में शरणार्थी के तौर पर रह रहे हैं. दास की मां की कोविड के चलते 6 दिन पहले मौत हो गई है.

एक अन्य व्यक्ति ने गोपनियता की शर्त पर बताया कि भीड़ में कुछ हिंदुओं को छोड़कर अधिकांश मुस्लिम थे. जिला अधिकारियों से मिला जानकारी के अनुसार, बंगाल में हुई राजनीतिक हिंसा के 2 हजार से ज्यादा पीड़ित असम में आए हैं. कई लोगों ने अपने परिवारों के साथ यहां शरण ली है. प्रशासन ने कहा है कि अंतरराज्यीय सीमा के दूसरी तरफ हालात सामान्य होने तक शरणार्थियों की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जाएगा. बीजेपी अध्यक्ष दास ने सीएम बनर्जी के शपथ समारोह को काला दिन बताया है.

नदी तैर कर असम पहुंचा

‘मैं कल सुबह बाजार गया था, जहां हम दोनों चाय की दुकान के पास खड़े हुए थे. दूसरी तरफ से आ रहे तृणमूल कांग्रेस के जुलूस ने हमपर पत्थर फेंकने शुरू कर दिए. मैं अपने इलाके का बूथ अध्यक्ष था और वे चिल्ला रहे थे कि ये बूथ प्रेसिडेंट है, इसे पकड़ो. हालात की गंभीरता को देखते हुए, मैंने भागना शुरू कर दिया. मेरे पीछे करीब 50 लोग पड़े थे. मैं पास की नदी में कूद गया और पार कर असम आ गया. मुझे अब शांति मिली है. अगर मैं कल पकड़ा जाता, तो मैं अभी अस्पताल में होता.’

‘मेरा अपराध यह है कि मैंने बीजेपी का समर्थन किया. उन्होंने हमपर हमला किया, हमारी संपत्ति और मवेशी लूट लिए और महिलाओं के साथ गलत व्यवहार किया. हमारे खुद के जानने वाले थे. हम भाग्यशाली थे कि खुद को बचा लिया.’

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