स्कूल खोलने पर दो मत

त्रेहन बोले- बड़ी तादाद में बच्चे बीमार पड़े तो हमारे पास अच्छी सुविधाएं नहीं, गुलेरिया का कहना- बच्चों के डेवलपमेंट के लिए स्कूल खोलना जरूरी

एक तरफ कोरोना की तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है, इस बीच ये चर्चा भी जोरों पर है कि क्या स्कूल खोलना सुरक्षित होगा और क्या ये सही समय है? मेदांता के चेयरमैन डॉ. नरेश त्रेहन ने स्कूल खुलने को लेकर चिंता जाहिर की है।

बच्चों के टीकाकरण से पहले देश के कई हिस्सों में 1 सितंबर से स्कूल खोले जाने को लेकर मेदांता के चेयरमैन डॉ. नरेश त्रेहन ने चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि भारत में बच्चों को कोरोना की वैक्सीन नहीं दी गई है। अगर बड़ी तादाद में बच्चे बीमार पड़े तो उनकी देखभाल के लिए हमारे पास अच्छी सुविधाएं नहीं हैं। डॉ. त्रेहन ने कहा कि हमारी आबादी को देखते हुए, हमें सावधान रहना होगा। फैक्ट ये है कि अब वैक्सीन मिलना मुश्किल नहीं है।

बच्चों को वैक्सीन लगने के बाद खुलें स्कूल

डॉ. त्रेहन ने कहा कि हमें समझ नहीं आ रहा कि स्कूल खोलने की इतनी जल्दबाजी क्यों है। मेरी लोगों से अपील है कि वैक्सीन जब तक न आ जाए तब तक धैर्य बनाए रखें। एक बार सभी बच्चों को टीके लग जाएं फिर आप स्कूल खोलें। उन्होंने कहा कि हमारी जनसंख्या के आकार को देखते हुए हमें सतर्क रहना चाहिए।

स्कूल न जाने से बच्चों पर असर

एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने एक प्राइवेट चैनल से बातचीत में कहा था कि उनके ख्याल से स्कूलों को खोलने के प्लान पर अब विचार करना चाहिए।

इसके पीछे उन्होंने कई वजह भी गिनाई हैं। जैसे –

बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के लिए ही नहीं, बल्कि उनके हर तरह के डेवलपमेंट के लिए ये बेहद जरूरी है।स्कूलों में मिलने वाली मिड-डे मील योजना से बहुत से बच्चों का पेट भरता है।डिजिटल डिवाइड की वजह से कई गरीब बच्चे ऑनलाइन क्लास नहीं कर पा रहे हैं। कई बच्चे इस वजह से स्कूल सिस्टम से निकल चुके हैं, वैसे बच्चों के लिए स्कूल जाकर पढ़ाई करना समय की मांग है।

अमेरिका में डेल्टा वैरिएंट के खतरे के बीच स्कूल को लेकर ये हैं नई गाइडलाइन

अमेरिका में भी डेल्टा वैरिएंट के बढ़ते मामलों के बीच एक बार फिर स्कूलों को खोल दिया गया है। न्यूयॉर्क सिटी ने स्कूलों में बच्चों को डेल्टा वैरिएंट से बचाने के लिए गाइडलाइन जारी कर दी है। जिसमें वैक्सीनेशन से लेकर बच्चों के कोरोना टेस्ट तक कई महत्वपूर्ण चीजें शामिल हैं।

न्यूयॉर्क सिटी के मेयर डी ब्लासियो ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा है कि हर दूसरे सप्ताह स्कूलों में रैंडमली 10% अनवैक्सीनेटेड लोगों की कोरोना जांच होगी। वहीं स्कूल में मौजूद सभी वयस्क लोगों का वैक्सीनेटेड होना अनिवार्य होगा।

हालांकि अमेरिका में 12 साल से ज्यादा उम्र वालों के लिए भी मई में वैक्सीनेशन शुरू हो चुका है, लेकिन 12 साल से कम उम्र वाले बच्चों के लिए वैक्सीन कब तक उपलब्ध होगी यह अभी तक साफ नहीं हो पाया है।

अमेरिका में बच्चों को डेल्टा वैरिएंट से बचाने के लिए जारी गाइडलाइन की महत्वपूर्ण बातें

अमेरिका में 12 साल से ज्यादा उम्र वाले ज्यादा से ज्यादा बच्चों को कोरोना के टीके लगे हों।मतलब 12 साल से कम उम्र के सभी बच्चों की कोरोना जांच होगी।क्लास में किसी के कोरोना पॉजिटिव आने पर उसके करीबी संपर्क में ऐसे लोगों को 10 दिनों के लिए क्वारैंटाइन किया जाएगा, जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी है।क्वारैंटाइन किए गए एलिमेंट्री स्कूल के बच्चों (अमेरिका में क्लास 6 तक) को ऑनलाइन पढ़ाई करनी होगी। वहीं बड़े बच्चों को घर पर खुद ही अपने असाइनमेंट करने होंगे।चिकित्सीय वजहों से जल्द बीमार पड़ने की आशंका वाले बच्चों को घर पर ही सप्ताह में एक बार व्यक्तिगत रूप से या ऑनलाइन पढ़ाई कराने पर भी विचार किया जा रहा है।

लंच के लिए अलग-अलग क्लासेज का समय भी अलग होगा।स्कूल में टीचर्स व स्टाफ का 100% वैक्सीनेशन होना चाहिए।स्कूल में वॉश बेसिन की पर्याप्त व्यवस्था, लिक्विड सोप रखना होगा जरूरी।सीनियर क्लासेज के स्कूलों के बारे में फीडबैक के बाद छोटी क्लासेज खुलेंगी।

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