DU में केरल के छात्रों की बढ़ती संख्या पर RSS से जुड़े प्रोफेसर की नई थ्योरी;

लव और नारकोटिक्स जिहाद के बाद मार्क्स जिहाद: निशाने पर कम्युनिस्ट और केरल बोर्ड

लव जिहाद, नारकोटिक्स जिहाद और अब मार्क्स जिहाद। केरल में नारकोटिक्स जिहाद का मुद्दा अभी ठंडा भी नहीं पड़ा कि दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर ने ‘मार्क्स जिहाद’ का मुद्दा छेड़ दिया है। यह मुद्दा इसलिए भी और बड़ा हो गया है, क्योंकि प्रो. राकेश कुमार पांडे RSS के न केवल स्वयंसेवक हैं, बल्कि संघ की एक संस्था नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (NDTF) के पूर्व अध्यक्ष भी हैं। प्रो. पांडे ने केरल बोर्ड पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं।

किरोड़ीमल कॉलेज में फिजिक्स डिपार्टमेंट में प्रो. राकेश कुमार पांडे ने DU में दाखिला लेने वाले केरल बोर्ड के विद्यार्थियों पर निशाना साधते हुए कहा है कि एक ही बोर्ड के सैकड़ों छात्र भला बेस्ट 4 सब्जेक्ट में 100% अंक कैसे ला सकते हैं? कमाल है इन 4 सब्जेक्ट्स में किसी के भी 99% नहीं! उन्होंने 100% अंकों के सहारे DU में दाखिला लेने वाले केरल बोर्ड के विद्यार्थियों की साल दर साल बढ़ती संख्या को एक साजिश करार दिया है।

अपने बयान को साफ तौर पर समझाते हैं- ‘जिहाद क्या होता है? जब किसी भावना या फिर चीज का इस्तेमाल किसी खास धर्म की विचारधारा को फैलाने के लिए किया जाए तो उसे जिहाद कहते हैं। लव को मैनिपुलेट कर लव जिहाद किया जाता है। नारकोटिक्स जिहाद में नशे का इस्तेमाल कर जिहाद किया जाता है। ठीक इसी तरह अंकों का इस्तेमाल कर एक खास विचारधारा को फैलाने का काम किया जा रहा है। DU में साल दर साल केरल से बेहतरीन अंडर ग्रेजुएट डिपार्टमेंट में दाखिला लेने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। इस पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है। इसे रोकने के लिए एंट्रेंस टेस्ट होना चाहिए।

अब ये भी जान लीजिए कि प्रो. पांडे ने आखिर क्या कहा था?

प्रोफेसर राकेश कुमार पांडेय ने 6 सितंबर को एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि DU के एक कॉलेज के 20 सीटों वाले पाठ्यक्रम में 26 छात्रों को केवल इसलिए प्रवेश देना पड़ा, क्योंकि उन सभी के पास केरल बोर्ड से 100% अंक थे। पिछले कुछ वर्षों से केरल बोर्ड ‘मार्क्स जिहाद’ लागू कर रहा है।

मार्क्स जिहाद जैसे विवादित बयान का क्या है आधार?
प्रो. पांडे से जब पूछा गया कि आखिर इतने बड़े आरोप का आपके पास प्रमाण क्या है? वे कहते हैं- ‘ऐसी साजिशों के सीधे सुबूत मिलना कठिन है। यहां न हथियार होते हैं और न सामने कोई आतंकी, आप जिस पर आरोप मढ़ सकें। इसीलिए इसे बेहद बारीकी से समझने की जरूरत है। DU में दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों के ट्रेंड का एनालिसिस कर आप इस आरोप की गंभीरता को समझ सकते हैं। प्रोपेगैंडा या एक खास विचारधारा को फैलाने के लिए हर बार अलग-अलग तरीके खोजे जाते हैं।

प्रो. पांडे ने इसको लेकर ब्लॉग भी लिखा
प्रो. पांडे कहते हैं- मैंने 2016 से लेकर 2020 तक के आंकड़े इकट्ठे किए। 9 दिसंबर 2020 में एक ब्लॉग लिखा था-वार्निंग साइन। इसमें केरल बोर्ड से आने वाले विद्यार्थियों की साल दर साल तेजी से बढ़ती संख्या का ग्राफ बताया था।

2020 में 940 विद्यार्थियों ने अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम में दाखिला लिया। इन सभी बच्चों के 4 बेस्ट सब्जेक्ट में 100% मार्क्स थे। 2016 में यह आंकड़ा 150 था और 2019 में बढ़कर 450 हो गया। नोटिस करने वाली बात यह है कि इसमें केरल के विद्यार्थियों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ। 2016 में केरल बोर्ड से महज 3 ऐसे छात्र थे जिनके 4 बेस्ट सब्जेक्ट में 100%अंक हों जबकि 2019 में यह संख्या बढ़कर 205 हो गई।

महज 3 सालों में केरल बोर्ड के DU में दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों का ग्राफ 3 से 205 पहुंच गया। क्या यह नंबर किसी साजिश का इशारा नहीं करते? DU के बेस्ट कॉलेजेस के ऐसे सब्जेक्ट में केरल के विद्यार्थियों ने दाखिला लिया कट ऑफ 99.5% था। कुल मिलाकर प्रो. राकेश कुमार पांडे का ब्लॉग केरल बोर्ड की मार्क्स प्रक्रिया पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।

क्या पहले कभी इस मुद्दे को DU प्रशासन के सामने उठाया?
प्रो. राकेश कुमार कहते हैं, 2019 में मैंने इस मसले को उठाया था। कुलपति को एक मेल भी किया था, लेकिन उनका जवाब अब तक नहीं आया। प्रशासन ने इस पर ध्यान नहीं दिया। क्या आपने अपनी संस्था यानी NDTF में इस मुद्दे पर चर्चा की थी? प्रो. पांडे कहते हैं कि बिल्कुल मैंने इस मुद्दे को उठाया, लेकिन इस पर कोई कदम नहीं उठाया गया।

केरल ही क्यों निशाने पर?
देश में केरल ही एक ऐसा राज्य बचा है जहां लेफ्ट विचारधारा वाली पार्टी की सरकार है। यहां के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन राज्य में सबसे ज्यादा समय (1998 से लेकर 2015) तक CPIM की राज्य कमेटी के अध्यक्ष रहे। प्रो. पांडे का आरोप है कि JNU की तरह DU को भी वामपंथी विचारधारा का अड्डा बनाने की कोशिश जारी है। राज्य में अभी एक बेहद मशहूर चर्च के पादरी ने नारकोटिक्स जिहाद के मसले को उठाया था। लव जिहाद का मुद्दा तो केरल में सालों से चल रहा है। अब इन दो जिहाद में एक नया ‘मार्क्स जिहाद’ भी जुड़ गया है।

RSS से क्या है प्रो. राकेश पांडे का कनेक्शन?
प्रो. राकेश पांडे कहते हैं, ‘मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा के बीच पला-बड़ा हूं। मेरे पिता जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से पूरी जिंदगी जुड़े रहे। घर में RSS के बड़े-बड़े पदाधिकारियों का जाना आना रहता था। बड़ा हुआ तो मैं शाखा जाने लगा। पहले एक मॉन्टेसरी स्कूल में पढ़ने गया, लेकिन मन नहीं लगा। आखिरकार 5वीं तक की शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर में ली। 2019 तक नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (NDTF) का अध्यक्ष रहा।

यह RSS की एक संस्था है। हालांकि NDTF ने प्रो. राकेश कुमार पांडे के बयान से अपना पल्ला झाड़ लिया है। संस्था के मौजूदा अध्यक्ष एके बागी ने कहा, ‘प्रो. राकेश पांडे हमारी संस्था में किसी भी पद में नहीं हैं। यह उनका अपना निजी बयान होगा। संस्था का इससे कोई लेना-देना नहीं। लेकिन सवाल उठता है कि 2019 में जब प्रो. राकेश कुमार पांडे ने इस मसले को उठाया होगा तो उस वक्त वे NDTF के अध्यक्ष भी रहे होंगे, इस सवाल के जवाब में प्रो. बागी कहते हैं, ‘मेरी जानकारी में नहीं कि उस वक्त इस मुद्दे को प्रो. पांडे ने उठाया था।’

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