पूर्वांचल और अवध में होगी बीजेपी व सपा के सहयोगियों की असली परीक्षा, जानें प्लान

ओमप्रकाश राजभर, स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान जैसे पिछड़े वर्ग के चेहरों की असली परीक्षा

लखनऊ. यूपी विधानसभा चुनाव का रण अब अवध और पूर्वांचल की माटी पर लड़ा जा रहा है. चौथे, पांचवें, छठे और सातवें चरण में पूर्वांचल और अवध में मतदान होना हैं. इन सभी चरणों में बीजेपी और समाजवादी पार्टी  के सहयोगियों की असली परीक्षा होनी है. दरअसल, इस चरण में पिछड़े वर्ग के कई नेताओं की जिम्मेदारी है कि वे बीजेपी और सपा को वैतरणी पार करवाएं. इनमें से कई नेता ऐसे हैं जो पिछले चुनाव में बीजेपी के साथ थे लेकिन इस बार वे साइकिल पर सवार हैं. इसलिए माना जा रहा है कि इस बार पूर्वांचल और अवध में अपना दल एस की अनुप्रिया पटेल, निषाद पार्टी के संजय निषाद, सुभासपा के ओमप्रकाश राजभर, स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान जैसे पिछड़े वर्ग के चेहरों की असली परीक्षा होगी.

जानें ओमप्रकाश राजभर के बारें में

इस लिस्ट में सबसे पहले बात करते हैं ओमप्रकाश राजभर की. बसपा से अपनी राजनीति शुरू करने वाले राजभर ने 2002 में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का गठन किया. इसके बाद उन्होंने कई चुनाव लड़े, लेकिन खाता खुला 2017 में जब उन्होंने बीजेपी से गठबंधन किया. 2022 में राजभर बीजेपी को हराने के लिए सपा के साथ गठबंधन किया है. ओमप्रकाश राजभर पिछड़ी जातियों जैसे बिंद, कुम्हार, प्रजापति, कुशवाहा और कोइरी की राजनीति करते हैं. सपा ने उन्हें 18 सीटें दी है. ओमप्रकाश राजभर और उनके बेटे अरविंद राजभर भी मैदान में हैं. बेटे अरविंद राजभर वाराणसी की शिवपुर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. उनका मुकाबला योगी सरकार में मंत्री अनिल राजभर से हैं. एक ही जाति से होने की वजह से अरविंद राजभर की राह आसान नहीं होगी. वहीं राजभर खुद जहूराबाद से चुनाव लड़ रहे हैं, जहां उन्हें त्रिकोणीय टक्कर मिल रही है. बीजेपी के कालीचरण राजभर और बसपा की शादाब फातिमा ने उन्हें त्रिकोणीय मुकाबले में फंसा लिया है.

कुर्मी वोट बीजेपी गठबंधन को डलवाने की जिम्मेदारी 

अपना दल एस की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल पूर्वांचल में कुर्मी वोट बैंक का सर्वमान्य चेहरा हैं. पूर्वांचल की राजनीति में कुर्मी वोटर्स की महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है. 2017 के चुनाव में अपना दल ने बीजेपी के साथ मिलकर 11 सीटों पर चुनाव लड़ा था. उसके 9 प्रत्याशी विजयी रहे थे. इस बार अपना दल को बीजेपी ने 17 सीटें दी हैं. लिहाजा अनुप्रिया पटेल की चुनौती भी बड़ी है कि वह कुर्मी बाहुल्य सीटों पर बीजेपी गठबंधन को जिताएं.

संजय निषाद की भी होगी परीक्षा 

निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ संजय निषाद इस बार बीजेपी गठबंधन के साथ मैदान में हैं. निषाद जाति का नेतृत्व करने वाले संजय निषाद का दावा है कि यूपी की 403 सीटों में से 160 पर निषादों का प्रभाव है. 2017 में निषाद पार्टी ने अपने सिंबल पर 72 उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन सिर्फ ज्ञानपुर सीट पर ही जीत मिली. यह भी कहा जाता है कि ज्ञानपुर सीट से विजय मिश्रा की जीत पार्टी की नहीं उनकी खुद की थी. इस बार बीजेपी ने उन्हें 16 सीटें दी हैं. अब उनके दवाओं की परीक्षा छठे और सातवें चरण में होगी.

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