खतरे में है नौनिहालों का जीवन, उत्तराखंड में 1300 स्कूल भवनों की हालत बेहद खराब

देहरादून. भूकंप और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के लिए संवेदनशील उत्तराखंड में लगभग 1300 स्कूल भवन जीर्ण-शीर्ण पडे़ हुए हैं. मैदान से लेकर पहाड़ तक के इलाकों में फैले इन भवनों में 1116 प्राइमरी स्कूलों के तो 172 इंटर कॉलेजों के भवन शामिल हैं. हालात इतने खराब हो चुके हैं कि कब कोई बड़ी अनहोनी हो जाए, कहा नहीं जा सकता. ऐसे में हजारों बच्चों का जीवन दांव पर लगा हुआ है. खासकर प्राकृतिक आपदाओं के कारण. उत्तराखंड भू-गर्भीय दृष्टि से बेहद संवेदनशील क्षेत्र है. इसका एक बड़ा भाग जोन-4 और जोन-5 की कैटेगरी में आता है. इस हिमालयी राज्य में बाढ़, भू-स्खलन, भूकंप आम बात है. ऐसे में जीर्ण-शीर्ण स्कूल भवन कभी भी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकते हैं.

सबसे अधिक खराब हालत टिहरी जिले के भवनों का है. टिहरी में सबसे अधिक 156 प्राइमरी स्कूल और 17 इंटर कॉलेज ऐसे हैं जिनके भवन जीर्ण-शीर्ण हो चुके हैं या उन्हें मरम्मत की जरूरत है. दूसरे नंबर पर पौड़ी जिले में 133 प्राइमरी स्कूल और 38 इंटरमीडिएट कॉलेजों के भवन क्षतिग्रस्त हैं. इसके अलावा सीमांत जिले पिथौरागढ़ के भी 128 प्राइमरी स्कूल भवन और 24 इंटर कॉलेजों के भवनों को जीर्णोंद्धार की दरकार है. नैनीताल में 119 प्राइमरी स्कूल, 16 इंटर कॉलेज, अल्मोड़ा में 108 प्राइमरी स्कूल, 22 इंटर कॉलेजों के भवन जीर्ण-शीर्ण हैं. सिर्फ पहाड़ों में ही नहीं राजधानी देहरादून के हालात और भी खराब हैं. यहां 120 प्राइमरी स्कूल भवन और एक इंटर कॉलेजों के भवन की हालत दयनीय बनी हुई है.

ये हालात तब हैं जब राज्य के बजट में अच्छा खासा हिस्सा शिक्षा पर खर्च होता है. चालू वित्तीय वर्ष में 9450 करोड़ का बजट सिर्फ शिक्षा के लिए रखा गया है. राज्य सेक्टर के अलावा समग्र शिक्षा अभियान में स्कूल भवनों के मेंटेनेंस के लिए अच्छा खासा बजट होता है. बावजूद इसके जर्जर स्कूल भवनों की सुध नहीं लेना, बड़ा सवाल है. सबकुछ जानकारी में होने के बावजूद कभी किसी दिन कोई बड़ी घटना हो गई तो इसका जिम्मेदार कौन होगा.

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