लाल किले की घटना से सिर शर्म से झुक गया, किसान आंदोलन होगा कमजोर : अमरिंदर

चंडीगढ़ : दिल्ली में ख़ासकर लाल किले पर गणतंत्र दिवस के मौके पर हुई हिंसा की निंदा करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने इसे देश का अपमान बताते हुये कहा कि इससे देश को बदनामी झेलनी पड़ी है और इससे किसान आंदोलन कमज़ोर हुआ है ।

उन्होंने आज यहां स्पष्ट किया कि वह कृषि कानूनों के ग़लत और देश के संघीय ढांचे के खि़लाफ़ होने के कारण किसानों के साथ खड़े रहेंगे। उन्होंने कहा कि लाल किला आज़ाद भारत का प्रतीक है और आज़ादी एवं राष्ट्रीय झंडे को लाल किले पर लहराने के लिए न जाने कितने भारत माता के सपूतों ने अपने प्राण न्योछावर किये ।

उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने आज़ादी की समूची लड़ाई अहिंसा से लड़ी। राष्ट्रीय राजधानी में कल जो कुछ हुआ, उससे मेरा सिर शर्म से झुक जाता है। जिसने भी लाल किले में हिंसा की है उसने पूरे मुल्क को बदनामी का पात्र बनाया है और दिल्ली पुलिस को मामले की जांच करके कार्रवाई करनी चाहिए।

कैप्टन सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार को इस मामले की जाँच करनी चाहिए लेकिन किसी किसान नेता को बेवजह तंग न किया जाये। जिन्होंने हिंसा की वे लोग किसान नहीं बल्कि रास्ते से भटके हुए हैं । यदि सरकार लोगों की आवाज़ नहीं सुनती तो ऐसी समस्याएँ पैदा होती रहेंगी। एक सरकार, लोगों के लिए और लोगों द्वारा होती है और यह लोगों की राय को नजऱअंदाज़ नहीं कर सकती।

उनके अनुसार भाजपा नीत राजग सरकार अगले संसदीय चुनाव में लोगों की पसंद नहीं बन सकेगी, क्योंकि 70 प्रतिशत आबादी किसानों की है। कृषि कानून ग़लत हैं और कृषि राज्यों का विषय है ,फिर भी अध्यादेश लाने से पहले हमसे नहीं पूछा गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आम आदमी पार्टी द्वारा गुमराह करने वाला प्रचार किया जा रहा है और सत्य तो बल्कि यह है कि पंजाब को तो विशेषज्ञों की समिति में शामिल भी नहीं किया गया था, क्योंकि केंद्र को पता था कि पंजाब इन कानूनों का विरोध करेगा।

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