इंडिया में एंट्री का रास्ता साफ

टेस्ला को चार मॉडल बनाने या इंपोर्ट करने की इजाजत, मिल सकता है आयात शुल्क में आंशिक कटौती का लाभ

आप जल्द ही टेस्ला की गाड़ियों को सड़कों पर दौड़ता देख पाएंगे। कंपनी को इलेक्ट्रिक गाड़ियों के चार मॉडल देश में ही बनाने या उनको इंपोर्ट करने की इजाजत मिली है। उनको यहां की सड़कों पर चलने लायक होने का सर्टिफिकेट मिल गया है। इससे जुड़ी जानकारी केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय की वेबसाइट पर मौजूद है।

टेस्ला को मिल सकती है कस्टम्स ड्यूटी में आंशिक कटौती की राहत

खबर यह भी है कि सरकार टेस्ला को कस्टम्स ड्यूटी में आंशिक कटौती की राहत दे सकती है। सूत्रों ने बताया कि इसके लिए उसने कंपनी से भारत में निवेश की योजना का ब्योरा मांगा गया है। उन्होंने बताया कि संबंधित मंत्रालय कंपनी की मांग पर विचार कर रहे हैं और अंतिम फैसला कंपनी का प्लान मिलने के बाद लेंगे।

टेस्ला के मॉडल को यहां की सड़कों के लायक होने का सर्टिफिकेट

सड़क एवं परिवहन मंत्रालय की वेबसाइट के मुताबिक, ‘टेस्ट से पक्का हो गया है कि टेस्ला की गाड़ियां भारतीय बाजार के हिसाब से सही हैं। ये एमिशन और सेफ्टी नार्म्स पर खरी उतरी हैं। यहां की सड़क पर चलने लायक स्थिति में भी हैं।’ एक टेस्ला फैन क्लब ने हाल में इस बाबत ट्वीट किया था। उसने कहा था कि भारत में मॉडल 3 और मॉडल Y के वैरिएंट आ सकते हैं।

सबसे सस्ती गाड़ी मॉडल 3 की कीमत अमेरिका में 40,000 डॉलर ​​​​​

टेस्ला की सबसे सस्ती गाड़ी मॉडल 3 की कीमत अमेरिका में 40,000 डॉलर है। एक बार चार्ज करने पर 263 किलोमीटर तक जा सकती है। इसमें पांच लोगों के बैठने की जगह है। टॉप स्पीड 140 किलोमीटर प्रति घंटा है। 5.3 सेकेंड में 60 मील प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ सकती है।

मॉडल Y सात सीट वाली गाड़ी है। इसकी कीमत अमेरिका में 54,000 डॉलर है। यह एक बार चार्ज होने पर 326 किलोमीटर तक जा सकती है। इसकी टॉप स्पीड 135 किलोमीटर प्रति घंटा है। 4.8 सेकेंड में 60 मील प्रति घंटे की स्पीड में आ सकती है।

टेस्ला के लिए आसान नहीं होगा भारत में कारोबार जमाना

हालांकि, टेस्ला के लिए भारतीय कार बाजार में पकड़ बनाना आसान नहीं होगा। इसकी कई वजहें हैं- पहली, यहां हर साल जितनी गाड़ियां बिकती हैं, उनमें सिर्फ एक पर्सेंट ही इलेक्ट्रिक होती हैं। दूसरी, टेस्ला की इलेक्ट्रिक गाड़ियां बहुत महंगी होती हैं। तीसरी, यहां चार्जिंग फैसिलिटी कम है। चौथी, यहां इंपोर्टेड गाड़ियों पर हेवी टैक्स लगता है।

इंपोर्टेड गाड़ियों से टेस्टिंग, कामयाबी मिलने पर फैक्टरी लगाएगी

टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने पिछले महीने ट्वीट किया था कि इंडिया में इंपोर्ट ड्यूटी काफी ज्यादा है। टैक्स के लिहाज से यहां इलेक्ट्रिक गाड़ियों को डीजल और पेट्रोल गाड़ियों के बराबर माना जाता है। उन्होंने यह भी कहा था कि अगर उन्हें इंपोर्टेड गाड़ियों से कारोबार जमाने में कामयाबी मिलती है, तो यहां फैक्टरी भी लगा सकते हैं।

टेस्ला चाहती है कि उसकी गाड़ियों को लक्जरी नहीं, EV माना जाए

टेस्ला पूरी तरह से असेंबल गाड़ियों पर लगने वाली इंपोर्ट ड्यूटी को घटाकर 40% करने की मांग कर रही है। यहां 40,000 डॉलर से सस्ती गाड़ियों पर 60% और उससे महंगी गाड़ियों पर 100% इंपोर्ट ड्यूटी लगती है। कंपनी चाहती है कि उसकी गाड़ियों को लक्जरी नहीं इलेक्ट्रिक व्हीकल माना जाए।

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