“ये सूत्र नहीं, मूत्र है”- ये क्या बोल गए तेजस्वी यादव, मीडिया सन्न.. जानिए किस बात पर दिया ऐसा जवाब, देखें वीडियो

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वोटर वेरिफिकेशन और मतदाता सूची का विशेष Special Intensive Revision (SIR) सत्र ने राजनीतिक अटकलों को हवा दे दी है। इसी को लेकर राजद नेता तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग और केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने चुनाव आयोग पर सूत्रों के हवाले से भ्रामक सूचना फैलाने और एक अजीबोगरीब वाक्यांश “सूत्र को मूत्र समझते हैं” कहकर उनका तीखा मज़ाक उड़ाया है।

वोटर वेरिफिकेशन और 7.9 लाख तक वोटर की आशंका

तेजस्वी यादव का दावा है कि अगर वेरिफिकेशन के दौरान केवल 1% वोटर भी छूट गए तो यह आंकड़ा राज्य में लगभग 7.9 लाख मतदाताओं के मताधिकार के नुकसान का कारण बन सकता है। यानी हर विधानसभा सीट पर करीब 3,251 वोटर हटाए जा सकते हैं। यह RJD के लिए गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि पिछली बार RJD 52 सीटें सिर्फ 5 हजार वोट से हार गई थी। ऐसे में सिर्फ 3,200 वोटों के कटने से बड़ा असर संभव है।

माइग्रेंट वर्कर के नाम हटाए जा रहे ?

तेजस्वी यादव ने उन वोटरों पर सवाल उठाए, जो काम के सिलसिले में बिहार से बाहर रहते हैं। वे चिंतित हैं कि बिना “उचित जांच या जानकारी” के उनके नाम मतदाता सूची से हटा दिए जा रहे हैं, जिससे उनका वोट का अधिकार खतरे में पड़ सकता है। उन्होंने सवाल किया कि क्या यह सब किसी साज़िश के तहत हो रहा है, और क्या यह केंद्र के निर्देश पर किया जा रहा है? उन्होंने यह भी पूछा कि क्या मतदाताओं को नाम कटने की सूचना दी जा रही है ?

चुनाव आयोग पर तेजस्वी का तीखा प्रहार

तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाया कि वह स्वयं सामने आकर सफाई देने के बजाय “सूत्रों” के माध्यम से खबरें प्लांट करवा रहा है। उन्होंने कहा: “ये वही सूत्र हैं जो ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस्लामाबाद, लाहौर और कराची पर कब्जा कर चुके थे। इसलिए हम ऐसे सूत्र को मूत्र समझते हैं।

 

विपक्ष की आपत्तियां और सुप्रीम कोर्ट की दखल

SIR प्रक्रिया को लेकर विपक्षी दलों ने विरोध जताते हुए इसे “मतबंदी की साजिश” बताया है। उन्होंने इसे युवाओं और प्रवासी कामगारों के मताधिकार को छीनने की कोशिश करार दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड को मतदाता पहचान के लिए वैध माना जाए। विपक्ष ने कहा कि इन दस्तावेज़ों को खारिज करना लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है।

चुनाव आयोग का पक्ष

चुनाव आयोग का कहना है कि SIR एक नियमित प्रक्रिया है और इसका उद्देश्य मतदाता सूची को शुद्ध और अद्यतन करना है। राज्य भर में लगभग 8 करोड़ मतदाताओं की जांच 25 जुलाई तक पूरी की जानी है। आयोग का मानना है कि यह प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष है, और इसका उद्देश्य किसी भी पक्ष को फायदा पहुंचाना नहीं है।

विश्लेषण और निष्कर्ष

विपक्ष का मुख्य आरोप है कि समय, दस्तावेजों की मान्यता और SIR की प्रक्रिया से पक्षपात हो रहा है।
सुप्रीम कोर्ट की दखल और आधार से जुड़े निर्देश विपक्ष की चिंताओं को बल देते हैं।
तेजस्वी यादव का “सूत्र को मूत्र” वाला बयान चुनाव आयोग की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर सीधा हमला है।
वहीं आयोग का दावा है कि यह प्रक्रिया लोकतंत्र को मज़बूत बनाने के लिए आवश्यक है।

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