TBM से तैयार होगी भारत की सबसे लंबी रेल टनल, इस वजह से ली जा रही टीबीएम की मदद

भारत की संबसे लंबी रेल टनल टीबीएम यानी टन बोरिंग मशीन की मदद से तैयार होगी। देवप्रयाग से जनासू तक जहां सबसे लंबी डबल ट्यूब रेल सुरंग का निर्माण होना। वहां स्लेटी चट्टान होने के कारण टीबीएम का इस्तेमाल करना पड़ रहा है।

ऋषिकेश-कार्णप्रयाग रेल परियोजना पर बनने वाली देश की सबसे लंबी डबल ट्यूब रेल सुरंग (14.08 किमी) को तैयार करने के लिए टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) की मदद ली जाएगी। इसके लिए जर्मनी से दो मशीनें मंगाई जा रही हैं, जो अगले वर्ष जून और अगस्त में भारत पहुंचेंगी।

Ads by Jagran.TV

भारतीय रेलवे की ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना देश की सबसे चुनौतीपूर्ण परियोजना भी है। 16216 करोड़ की लागत से तैयार हो रही 125 किमी लंबी इस रेल परियोजना की 105 किमी रेल लाइन 17 सुरंगों के भीतर से गुजरेगी। देश में अब तक की सबसे लंबी (14.08 किमी) रेल सुरंग भी इसी परियोजना पर तैयार हो रही है। देवप्रयाग (सौड़) से जनासू तक यह रेल सुरंग डबल ट्यूब टनल (आने-जाने के लिए अलग-अलग सुरंग) होगी।

परियोजना के प्रबंधक ओमप्रकाश मालगुड़ी बताते हैं कि इस टनल की खुदाई के लिए अत्याधुनिक तकनीकी टनल बोङ्क्षरग मशीन (टीबीएम) का इस्तेमाल किया जा रहा है। 14.8 किमी लंबी इस टनल का 11 किमी हिस्सा टीबीएम और शेष हिस्सा ड्रिल व ब्लास्ट तकनीकी से तैयार होगा। परियोजना के पैकेज-4 के इस काम को देश की प्रतिष्ठित कंपनी एलएंडटी अंजाम दे रही है। बताया कि एलएंडटी ने सुरंगों के निर्माण को जर्मनी की कंपनी हेरान कनेक्ट से दो टीबीएम तैयार करने का करार किया है। बताया कि भू-संरचना और टनल के आकार के हिसाब से इन मशीनों को डिजाइन किया जाता है, जिसमें करीब एक वर्ष का समय लग जाता है। यह दोनों मशीनें अगले वर्ष जून व अगस्त में यहां पहुंच जाएंगी।

स्लेटी चट्टान होने के कारण करना पड़ रहा टीबीएम का इस्तेमाल

हिमालयी क्षेत्र की ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना में प्रत्येक जगह अलग-अलग भू-संरचना है। देवप्रयाग से जनासू तक जहां सबसे लंबी डबल ट्यूब रेल सुरंग का निर्माण होना है, वहां भू-गर्भ में स्लेटी चट्टानें हैं, जिन्हें फिलाइट राक के नाम से जाना जाता है। यह स्लेटी चट्टानें पानी आने की स्थिति में फिसलने लगती हैं, जिससे ड्रिल व ब्लास्ट तकनीकी से यहां टनल निर्माण करना चुनौतीपूर्ण होता है। इसलिए यहां टीबीएम के जरिये टनल तैयार करने का निर्णय लिया गया। मालगुड़ी ने बताया कि टीबीएम तकनीकी से छह से दस मीटर सुरंग रोजाना तैयार की जा सकती है।

यह भी पढ़ें

गणेश गोदियाल बोले, भू-कानून और देवस्थानम बोर्ड पर हो रही लीपापोती; मानहानि नोटिस पर ये कहा

रामपुर कांडी में बनेगी वर्टिकल साफ्ट

लंबी सुरंग के निर्माण को लिए बीच-बीच में एडिट टनल बनाई जाती है। ताकि उससे सुरंग तक पहुंच बनी रहे। इस सुरंग के लिए एडिट टनल की जगह वर्टिकल साफ्ट (कुंआनुमा सुरंग) तैयार की जा रही है। वरिष्ठ परियोजना प्रबंधक मालगुड़ी ने बताया कि जनासू से करीब तीन किमी पहले रामपुर कांडी गांव के निकट एक वर्टिकल साफ्ट तैयार की जा रही है। यहां पर भूमि की सतह से टनल की गहराई 30 मीटर है। इस वर्टिकल साफ्ट से मशीनें टनल में उतारी जाएंगी और टनल का कुछ निर्माण ड्रिल व ब्लास्ट मैथड से किया जाएगा।

Related Articles

Back to top button