देश में पहली बार प्राइवेट कंपनी बनाएगी सेना के लिए एयरक्राफ्ट, जानें कितने लोगों को मिलेगा रोजगार

ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट C-295 की डील डन,

भारत ने शुक्रवार को 56 ‘C-295’ ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट की खरीद के लिए स्पेन की एयरबस डिफेंस एंड स्पेस के साथ करार किया है। करीब 20 हजार करोड़ रुपए में ये डील हुई है। नए एयरक्राफ्ट वायुसेना के एवरो-748 की जगह लेंगे। ये प्रोजेक्ट मेक इन इंडिया का हिस्सा है। ऐसा पहली बार होगा जब कोई प्राइवेट कंपनी सेना के एयरक्राफ्ट बनाएगी।

8 सितंबर को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की सिक्योरिटी कमेटी की मीटिंग में इन एयरक्राफ्ट को खरीदने की मंजूरी मिली थी। भारत स्पेन से कुल 56 C-295 एयरक्राफ्ट खरीदेगा। इनमें से 16 स्पेन से रेडी टू-फ्लाई कंडीशन में आएंगे। बाकी 40 का निर्माण देश में ही होगा। देश में बनने वाले एयरक्राफ्ट्स को टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स बनाएगी। इसमें टाटा को एयरबस डिफेंस एंड स्पेस से मदद मिलेगी।

आइए समझते हैं, पूरी डील क्या है? इस एयरक्राफ्ट की क्या खासियत है? चीन और पाकिस्तान के पास किस तरह के ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट हैं? भारत के पास अभी कौन से ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट हैं?

डील क्या है?

अगले दस साल में 56 C-295MW ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट खरीदे जाएंगे। ये एयरक्राफ्ट एयरबस डिफेंस एंड स्पेस स्पेन से खरीदे जाएंगे। इनकी टोटल कीमत 20 हजार करोड़ रुपए होगी। अगले 48 महीने के भीतर 16 एयरक्राफ्ट रेडी-टू-फ्लाई कंडीशन में स्पेन से आएंगे। बचे 40 का निर्माण टाटा ग्रुप अगले 10 साल में देश में करेगा। दावा किया जा रहा है कि इससे 15 हजार हाई स्किल्ड जॉब क्रिएट होंगी। इसके साथ ही 10 हजार लोगों को इनडायरेक्ट रोजगार मिलेगा।

डील पर रतन टाटा ने क्या कहा?

टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन रतन टाटा ने डील फाइनल होने पर एयरबस डिफेंस, टाटा एडवांस सिस्टम्स लिमिटेड और भारत की डिफेंस मिनिस्ट्री को बधाई दी। उन्होंने इसे देश के एविएशन और एवियोनिक्स प्रोजेक्ट्स के लिए महान कदम बताया है। वहीं, एयरबस डिफेंस के सीईओ माइकल शेलहॉर्न ने कहा कि इससे भारत के एयरोस्पेन इकोसिस्टम का विकास होगा।

इन एयरक्राफ्ट की खासियत क्या होगी?

ये एयरक्राफ्ट शॉर्ट टेक-ऑफ और लैंडिंग के लिए जाने जाते हैं। कंपनी का कहना है कि एयरक्राफ्ट 320 मीटर की दूरी में ही टेक-ऑफ कर सकता है। वहीं, लैंडिंग के लिए 670 मीटर की लंबाई काफी है। पहाड़ी इलाकों में एयरक्राफ्ट के ऑपरेशन के लिए ये बड़ी खासियत है।एयरक्राफ्ट अपने साथ अधिकतम 7,050 किलोग्राम का पेलोड उठा सकता है। एक बार में अपने साथ 71 सैनिक या 5 कार्गो पैलेट को ले जा सकता है।लगातार 11 घंटे तक उड़ान भर सकता है। 2 लोगों के क्रू केबिन में टचस्क्रीन कंट्रोल के साथ स्मार्ट कंट्रोल सिस्टम से लैस है।C-295MW ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट में पीछे रैम्प डोर है, जो सैनिकों या सामान की तेजी से लोडिंग और ड्रॉपिंग के लिए ज्यादा सुविधाजनक है।एयरक्राफ्ट में 2 प्रैट एंड व्हिइटनी PW127 टर्बोट्रूप इंजन लगे हुए हैं। इन सभी विमानों को स्वदेश निर्मित इलेक्ट्राॅनिक वारफेयर सूइट से लैस किया जाएगा।

भारत इन्हें क्यों खरीद रहा है?

भारतीय वायुसेना में ये एवरो एयरक्राफ्ट की जगह लेंगे। वायुसेना के पास 56 एवरो ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट हैं, जो उसने 1960 के दशक में खरीदे थे। इन्हें तत्काल बदले जाने की जरूरत है। इसके लिए मई 2013 में कंपनियों को रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (RFP) भेजा गया था। मई 2015 में रक्षा खरीद परिषद (DAC) ने टाटा ग्रुप और एयरबस के C-295 एयरक्राफ्ट के टेंडर को अप्रूव किया था।

C-295MW भारत के रक्षा क्षेत्र को कैसे बढ़ावा देगा?

रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि भारत में बड़ी संख्या में डिटेल पार्ट्स, सब-असेंबली और एयरोस्ट्रक्चर के प्रमुख कॉम्पोनेंट असेंबलियों का निर्माण किया जाएगा। मैन्युफैक्चरिंग प्रक्रिया के दौरान टाटा कंसोर्टियम के सप्लायर विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त नेशनल एयरोस्पेस और डिफेंस कॉन्ट्रैक्टर एक्रिडिएशन प्रोग्राम (NADCAP) मान्यता प्राप्त करेंगे और बनाए रखेंगे।

डिलीवरी के पूरा होने से पहले भारत में C-295MW विमानों के लिए ‘D’ लेवल सर्विसिंग फैसिलिटी (MRO) स्थापित करने की योजना है। उम्मीद की जाती है कि यह फैसिलिटी सी-295 विमान के विभिन्न वैरिएंट्स के लिए एक रीजनल MRO हब के रूप में कार्य करेगी।

इसके अलावा, OEM भारतीय ऑफसेट भागीदारों से योग्य उत्पादों और सेवाओं की सीधी खरीद के माध्यम से अर्थव्यवस्था को और बढ़ावा देने के माध्यम से अपने ऑफसेट दायित्वों का निर्वहन भी करेगा। यह कार्यक्रम स्वदेशी क्षमताओं को मजबूत करने और बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार की एक अनूठी पहल है।

C-295 भारत के लिए कितने खास?

भारतीय वायुसेना में ये एवरो एयरक्राफ्ट को रिप्लेस करेंगे। वायुसेना में ये 60 साल पहले इंडक्ट किए गए थे। कई सालों से इन्हें बदलने की डिमांड की जा रही थी।माना जा रहा है कि वायुसेना में शामिल होने के बाद इन्हें समुद्री रास्तों पर भी तैनात किया जा सकता है, जो इस सेक्टर में AN-32 को रिप्लेस करेंगे। भारत के पास करीब 100 से ज्यादा AN-32 सर्विस में हैं। सेना इन्हें भी रिप्लेस करने की तैयारी में है।साथ ही 40 एयरक्राफ्ट का निर्माण देश में ही किया जाएगा। इससे देश में एयरोस्पेस कंंस्ट्रक्शन ईको सिस्टम को बढ़ावा मिलेगा। MSME सेक्टर की कई कंपनियां इन एयरक्राफ्ट के निर्माण में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तौर पर जुड़ेंगी।भारत के प्राइवेट सेक्टर को एयरोस्पेस कंस्ट्रक्शन के मार्केट में एंट्री का मौका मिलेगा। इम्पोर्ट पर निर्भरता कम होगी और एक्सपोर्ट को बढ़ावा मिलेगा।

चीन-पाकिस्तान के पास कौन से ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट हैं?

पाकिस्तान की वायुसेना के पास फिलहाल 6 तरह के ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट है। इनमें लॉकहीड C-130 और गल्फस्ट्रीम के वैरिएंट्स भी हैं।

चीन के पास 200 से ज्यादा ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट हैं। इनमें आधुनिक तकनीक से लैस Y-20 भी शामिल है।

C-295 का इतिहास भी जान लीजिए

जून 1997 में पेरिस एयर शो में स्पेन की कंपनी CASA ने इस एयरक्राफ्ट को लॉन्च किया था। 1998 में C-295 ने अपनी पहली उड़ान भरी थी। अगले ही साल स्पेन की एजेंसियों द्वारा इसे मिलिट्री में इस्तेमाल की परमिशन मिली और स्पेन की मिलिट्री ने 9 एयरक्राफ्ट ऑर्डर किए। नवंबर 2001 में स्पेन की वायुसेना ने इनका इस्तेमाल शुरू किया। फिलहाल स्पेन के पास 15 C-295 एयरक्राफ्ट हैं।

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