वैक्सीन के मामले में आत्मनिर्भरता

दुनियाभर से वैक्सीन नहीं मिली तो ताइवान ने बना ली अपनी वैक्सीन, पहली डोज खुद राष्ट्रपति साई इंग वेन ने लगवाई

एशिया के अन्य हिस्सों से अलग ताइवान पर वैक्सीनेशन अभियान को तेज करने का अधिक दबाव नहीं है, क्योंकि यहां संक्रमण के मामले काफी कम हैं। ​​​​​​​

चीन के पड़ोसी व धुरविरोधी देश ताइवान ने कोरोना की अपनी पहली वैक्सीन ‘मेडिजन’ बना ली है। खास बात यह है कि इसकी पहली डोज खुद राष्ट्रपति साई इंग वेन ने लगवाई। इस दौरान उन्होंने कहा- ‘वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है। मैंने पहली डोज इसलिए लगवाई, ताकि जनता के मन में कोई संदेह न रहे।’ इसके बाद वैक्सीन के लिए 7 लाख लोगों ने रजिस्ट्रेशन करा लिया। इस वैक्सीन के दोनों डोज के बीच 28 दिनों का अंतराल होना जरूरी बताया गया है।

दरअसल, ताइवान में वैश्विक ड्रग कंपनियों से वैक्सीन की डिलीवरी में समय लग रहा था। इससे टीकाकरण धीमा हो गया था। इसके बाद देश ने खुद की वैक्सीन विकसित कर पूरी आबादी को डोज देने का फैसला किया है। ताइवान चीन का धुरविरोधी माना जाता है। उसका पड़ोसी होने के बावजूद उसने चीन से मदद नहीं ली। अभी तक यहां अमेरिकी वैक्सीन लग रही थी। हालांकि, एशिया के अन्य हिस्सों से अलग ताइवान पर वैक्सीनेशन अभियान को तेज करने का अधिक दबाव नहीं है, क्योंकि यहां संक्रमण के मामले काफी कम हैं।

40% आबादी को सिंगल और 3% को दोनों डोज
2.38 करोड़ की आबादी वाले ताइवान में अब तक 15,932 कोरोना के मरीज मिल चुके हैं। 828 मौतें हो चुकी हैं, जबकि 14868 लोग ठीक भी हो चुके हैं। देश में हर दिन औसत 10 मरीज मिल रहे हैं। वहीं, 40% आबादी को वैक्सीन का एक डोज और 3% आबादी को दोनों डोज लगाए जा चुके हैं।

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