पत्रकार राणा अय्यूब की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

नई दिल्ली, 31 जनवरी

सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार राणा अय्यूब की याचिका पर जस्टिस कृष्ण मुरारी और वी रामासुब्रमण्यम की बेंच ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।

राणा अय्यूब के वकील वृंदा ग्रोवर ने गाजियाबाद कोर्ट से जारी समन को चुनौती देते हुए कहा कि मामला गाज़ियाबाद कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। राणा अय्यूब का निवास मुंबई का है और उन्होंने जिस ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से चंदा जुटाया, वो भी मुंबई का है। जिस खाते में पैसे मंगाए गए, वो भी मुंबई का है। ऐसे में गाजियाबाद कोर्ट का कोई क्षेत्राधिकार नहीं बनता है।

सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने राणा अय्यूब की दलीलों का विरोध किया। उन्होंने कहा कि यह समन लोगों से चंदे में लिए करोड़ों रुपयों के गबन के लिए जारी हुआ है। मनी लॉन्ड्रिंग दूसरे अनूसूचित अपराध से जुड़ा हुआ है। अगर कोई व्यक्ति सिंगापुर में मनी लॉन्ड्रिंग करता है तो क्या ईडी सिंगापुर में केस दाखिल करेगी। गाजियाबाद के कुछ लोगों ने राणा अय्यूब के अभियान के लिए चंदा दिया इसलिए गाजियाबाद कोर्ट के पास क्षेत्राधिकार है।

इससे पहले 25 जनवरी को कोर्ट ने गाजियाबाद कोर्ट से कहा था कि वो 27 जनवरी को होने वाली सुनवाई स्थगित कर दें। दरअसल, गाजियाबाद कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में समन जारी कर 27 जनवरी को पेश होने का आदेश दिया था। राणा अय्यूब ने गाजियाबाद कोर्ट के इस समन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है।अयूब पर आरोप है कि उन्होंने ऑनलाइन क्राउड-फंडिंग प्लेटफॉर्म, ‘केटो’ के जरिए अभियान चलाकर चैरिटी के नाम पर आम जनता से 2.69 करोड़ रुपये की रकम जुटाई और उस पैसे का निजी इस्तेमाल किया।

इस मामले में ईडी ने वर्ष 2021 में यूपी पुलिस ने दर्ज एक एफआईआर के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जांच शुरू की थी। ईडी की जांच के मुताबिक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर जुटाई गई धनराशि राणा अय्यूब के पिता और बहन के खाते में ट्रांसफर की गई थी। अय्यूब ने अपने लिए 50 लाख रुपये की एफडी भी बनवाई थी। जबकि चैरिटी के लिए लगभग 29 लाख रुपये का इस्तेमाल किया था।

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