वक्फ कनून मामले में आया नया ट्विस्ट, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फिर भेजा नोटिस, सवालों के घेरे में..

भारत के सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर वक्फ अधिनियम से संबंधित संवैधानिक प्रश्नों पर गंभीर रुख अपनाया है। हाल ही में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली एक नई याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। यह मामला धार्मिक संपत्तियों के प्रबंधन और अधिकारों से जुड़ा है, जिस पर पहले से कई याचिकाएं अदालत में लंबित हैं।
नई याचिका पर केंद्र को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के तहत किए गए संशोधनों को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता ने अदालत के समक्ष तर्क दिया कि संशोधित प्रावधान भारतीय संविधान के अनुच्छेदों का उल्लंघन करते हैं और नागरिकों के मौलिक अधिकारों को प्रभावित करते हैं। कोर्ट ने इस याचिका पर गंभीरता दिखाते हुए तत्काल नोटिस जारी किया।
लंबित याचिकाओं के साथ हुई नई अर्जी की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि इस नई याचिका को पहले से लंबित उन याचिकाओं के साथ जोड़ा जाए, जो वक्फ अधिनियम, 1995 की वैधता को चुनौती देती हैं। कोर्ट का यह कदम न्यायिक प्रक्रिया के एकीकृत और समग्र दृष्टिकोण को दर्शाता है, जिससे संबंधित मामलों की सुनवाई समन्वित तरीके से हो सकेगी।
वक्फ विवादों और सवालों के घेरे में
वक्फ अधिनियम, 1995 भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और निगरानी से संबंधित एक प्रमुख कानून है। यह अधिनियम मुस्लिम समुदाय की धार्मिक और चैरिटेबल संपत्तियों की व्यवस्था करता है। हालांकि, इस कानून को लेकर वर्षों से कई विवाद उठते रहे हैं—खासकर इसकी पारदर्शिता, संपत्ति पर नियंत्रण, और अन्य धार्मिक समुदायों के अधिकारों को लेकर।
2025 का संशोधन और उसकी संवैधानिकता पर सवाल
वर्ष 2025 में वक्फ अधिनियम में जो संशोधन किए गए हैं, उनमें वक्फ बोर्ड की शक्तियों में विस्तार, सर्वेक्षण प्रक्रिया में बदलाव, और संपत्ति अधिग्रहण संबंधी प्रावधान शामिल हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि ये संशोधन न केवल संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 25 (धार्मिक स्वतंत्रता) का उल्लंघन करते हैं, बल्कि यह न्यायपालिका के दखल की सीमाओं पर भी सवाल उठाते हैं।
न्यायिक प्रक्रिया और भविष्य की दिशा
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आने वाले समय में वक्फ कानूनों की समीक्षा और सुधार के लिए अहम साबित हो सकता है। यह मामला न केवल मुस्लिम समुदाय के अधिकारों से जुड़ा है, बल्कि इसमें धर्मनिरपेक्षता, संपत्ति अधिकार और न्यायिक जवाबदेही जैसे बुनियादी मुद्दे भी शामिल हैं। अब इस याचिका के साथ जुड़े अन्य मामलों की सुनवाई एक साथ की जाएगी, जिससे अदालत समग्र निष्कर्ष तक पहुँच सकेगी।