डायनामाइट से गिराए जाएंगे 121 मीटर ऊंचे टॉवर:इससे 40 मंजिला ट्विन टॉवर्स सीधे जमींदोज होंगे,

सुपरटेक की कंपनियां एक हफ्ते बाद फिर देंगी 3D प्रेजेंटेशन

नोएडा में सुपरटेक एमराल्ड के दोनों ट्विन टॉवर्स को डायनामाइट लगाकर गिराया जाएगा। सोमवार दोपहर इसका 3डी मॉडल प्रजेंटेशन किया गया है। चर्चा के बाद यह तय हुआ कि कंपनियां एक सप्ताह बाद फिर से प्रजेंटेशन देंगी। फिलहाल, जो प्रजेंटेशन हुआ वह CBRI, इंडियन डिमोलिशन एसोसिएशन और MBCC के अधिकारियों के सामने हुआ। एक्सप्लोसिव मैथड पर चर्चा की गई। यह तय हो चुका है 40 मंजिल के इन ट्विन टॉवर्स को गिराने के लिए डायनामाइट का सहारा लिया जाएगा, जिससे यह सीधे जमींदोज हो जाएगी। तमाम रिस्क फैक्टर्स का अध्ययन भी किया गया है।

वर्चुअल मीटिंग के जरिए कार्य योजना के कुछ अंश प्रस्तुत किए गए। इसके बाद ठोस प्लान के साथ कंपनी और सुपरटेक दोनों को उपस्थित होने के लिए निर्देशित किया गया। 30 नवंबर तक दोनों टावरों को गिराया जाना है। दोनों टॉवर्स को ​गिराने का काम खुद सुपरटेक को ही करना है। यह कार्य नोएडा प्राधिकरण और CBRI की देखरेख में किया जाना है। टॉवर्स को गिराने में जो भी खर्च आएगा, सुपरटेक ही वहन करेगा। इसके लिए पहली कंपनी एडिफिस इंजीनियरिंग है। यह कंपनी जल्द ही दोनों टॉवरों का निरीक्षण करेगी। एक अन्य कंपनी भी है, जो निर्माण को ध्वस्त करने का प्रेजेंटेशन पेश करेगी। यह प्रजेंटेशन एनिमेटेड होगा, जिसका थ्री डी मॉडल रखा जाएगा। इसे ड्रोन मैपिंग, स्ट्रक्चरल डिजाइन और स्थलीय निरीक्षण के आधार पर बनाया जाएगा।

121 मीटर ऊंचे हैं टॉवर
नोएडा प्राधिकरण ने बताया कि इस मामले में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण यदि कोई बिंदु है तो वह सुरक्षा है, क्योंकि टावरों की ऊंचाई करीब 121 मीटर है। मानकों के हिसाब से टावरों की दूरी भी सही नहीं है। एमराल्ड में 15 टावर और बने हैं। इन दोनों टावरों से अन्य टावरों की दूरी मानकों पर खरी नहीं है। ऐसे में दूसरी इमारतों को कोई नुकसान न हो, इसका ध्यान रखना ही महत्वपूर्ण है। यदि इमारत को गिराने में एक्सप्लोसिव का प्रयोग करते हैं तो उसका वाइब्रेशन भी होगा। वाइब्रेशन ज्यादा हुआ तो अन्य इमारतों को भी नुकसान हो सकता है।

यही दो सुपरटेक की इमारतें हैं। इनकी ऊंचाई इन्हें गिराने के लिए चैलेंज है। इसी का 3डी प्रजेंटेशन किया जा रहा है।

आसपास के टावर्स को कराया जाएगा खाली
यह भी ध्यान दिया जाएगा कि टॉवर्स को गिराने के दौरान क्या आसपास की इमारतों को भी खाली कराया जा सकता है। इसके लिए एओए को भी इमारत के ध्वस्तीकरण प्लान में शामिल किया जाएगा। साथ ही एनजीटी के नियमों का ध्यान भी रखा जाएगा।

ये है सुप्रीम कोर्ट का आदेश
साल 2014 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ट्विन टॉवर्स को गिराने का आदेश दिया था। इसके ख़िलाफ सुपरटेक ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर मुहर लगा दी। इसके बाद इसे गिराने की तैयारी शुरू कर दी गई।

बिल्डिंग परिसर में जेसीबी से आसपास के एरिया को हटाया जा रहा है। बिल्डिंग गिराने की अभी से तैयारी शुरू कर दी गई है।

निर्माण में की गई थी मनमानी
सुपरटेक दिल्ली-NCR के बड़े बिल्डर ग्रुप का नाम है। एमराल्ड कोर्ट इनका एक प्रोजेक्ट है, जिसके तहत नोएडा में रेसिडेंशियल टॉवर्स बनाए गए थे। टॉवर्स के नाम T16 और हैं। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने भी दोनों टॉवर्स को बनाए जाने में नियमों की अनदेखी की बात सही मानी।

इसमें रहने वालों का भी इंतजाम

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि 3 महीने के अंदर दोनों टॉवर्स गिराए जाएं। साथ ही, मलबा हटाने और दूसरे खर्च सुपरटेक ही उठाएगा। कोर्ट के मुताबिक, इस पूरे प्रोसेस में दूसरी बिल्डिंग को कोई नुकसान नहीं पहुंचे। इन दोनों टॉवर में एक-एक हज़ार फ्लैट हैं। इनमें रहने वाले लोगों को सुपरटेक रकम लौटाएगा, वो भी 12 फीसदी ब्याज के साथ। रकम जमा करने के समय से ये ब्याज काउंट होगा।

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