इंदौरी पोहे की कहानी:महाराष्ट्र के 26 साल के युवक ने 1949 में आकर खोली थी पहली दुकान,

अब 2600 दुकानों पर नाश्ते में रोज 170 क्विंटल पोहा खा रहे हैं इंदौरी

पुरुषोत्तम जोशी। ये वही शख्स हैं जिनकी 1948-49 में छोटी सी शुरुआत ने इंदौरी पोहे को आज देश-दुनिया तक मशहूर कर दिया। दरअसल, पोहा पहले महाराष्ट्रियन-मारवाड़ी परिवारों के किचन तक सीमित था। यह उनका पारंपरिक व्यंजन माना जाता था। आजादी मिली ही थी और सब कुछ धीरे-धीरे ठीक होने लगा। रोजगार की तलाश में महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के निजामपुर से पुरुषोत्तम जोशी इंदौर आए। उनकी यहां बुआ रहा करती थीं।

उन्हें इंदौर ऐसा भाया कि यहीं के होकर रह गए। पहले गोदरेज कम्पनी में सेल्समैन का काम करने लगे, लेकिन उन्हें कुछ अपना ही करने की चाहत थी। लिहाजा, इन्होंने ही सबसे पहले इंदौरियों को पोहे की दुकान के जरिए जायका चखाया। तिलकपथ पर उपहार गृह नाम से दुकान खोली। इससे पहले इंदौर में पोहा बेचने वाली कोई दुकान नहीं थी। तब 10 से 12 पैसे प्लेट की दर से मिलने वाला पोहा आज 15 रुपए प्लेट पर पहुंच चुका है। एक से शुरू हुई दुकानों की संख्या अब 2600 के पार हो गई हैं। ये वे दुकानें हैं जहां पूरे दिन पोहा बेचा जाता है।

पोहे में वैरायटी का क्रेज है। उसल, पनीर के साथ पोहा सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है, तो पोहे में खास तरह के मसालों को मिलाने का भी दुकानदारों का अपना अंदाज है।

पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर अमिताभ बच्चन तक इंदौरी पोहे की तारीफ कर चुके हैं।KBC में भी इंदौरी पोहे से जुड़ा सवाल पूछा जा चुका है।

1 दिन में 170 क्विंटल से ज्यादा की खपत
इंदौर में सुबह की शुरुआत पोहे से होती है। स्टेशन के बाहर बड़े कड़ाहों से उठती पोहे की महक आपको अपनी ओर खींच लेती है। इंदौर में अमूमन 80% लोग दिन की शुरुआत पोहा के नाश्ते से करते हैं। 56 दुकान के गोपाल शर्मा बताते हैं कि इंदौर में रोजाना पोहे की 170 क्विंटल से ज्यादा की बिक्री होती है। सुबह 5 बजे से ही चौराहों पर ठेले लगा दिए जाते हैं। कोरोना काल से पहले पोहा 24 घंटे मिलता था। पोहे में मुनाफा देख राजस्थान के कारीगर भी यहां ठेले लगाते हैं, जो दिन में 50 किलो तक पोहा बेच देते हैं।

पोहे के साथ जलेबी हो तो टेस्ट और भी बढ़ जाता है।

1950 में कांग्रेस के अधिवेशन में नेहरू को पोहा परोसा गया
पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर अमिताभ बच्चन तक इंदौरी पोहे की तारीफ कर चुके हैं। 1950 में कांग्रेस के अधिवेशन में नेहरू इंदौर आए थे तब उन्हें पोहा परोसा गया था। KBC यानी कौन बनेगा करोड़पति में भी इंदौरी पोहे पर सवाल आ चुका है।

सुबह दुकानों पर सिर्फ पोहा-जलेबी का नाश्ता पहली पसंद।

फेमस पोहे के ठिकाने
इंदौर में वैसे तो हर प्रमुख चौराहे पर पोहा आपको मिलेगा, लेकिन कुछ ‘ठिए’ स्पेशल हैं। 56 दुकान के पोहे, पत्रकार कॉलोनी में रवि अल्पहार के पोहे, राजबाड़ा पर लक्ष्मी मंदिर के पास की दुकान के पोहे, रात में सरवटे बस स्टैंड के पोहे, JMB दुकान के पोहे, मल्हारगंज टीम- टीम चाय के पोहों का इंदौरियों में क्रेज है।

नवंबर 2019 में वीवीएस लक्ष्मण, गौतम गंभीर और कमेंट्रेटर जतिन सप्रू ने भी इंदौर आकर पोहा जलेबी का आनंद लिया था।

क्रिकेटर्स भी दीवाने
बात साल 2019 की है। इंदौर के होल्कर स्टेडियम में विराट कोहली बांग्लादेश के खिलाफ टेस्ट के दूसरे दिन बिना खाता खोले 0 पर आउट होकर पवेलियन लौट गए। तब इंदौर के लोगों ने यह कहकर खिंचाई की थी कि अगर कोहली पोहा खाकर खेलने जाते तो शतक मार के ही वापस आते। इसी सीरीज के दौरान गौतम गंभीर, वीवीएस लक्ष्मण और कमेंट्रेटर जतिन सप्रू की फोटो पोहा-जलेबी खाते हुए खूब वायरल हुई थी। द वॉल के नाम से मशहूर क्रिकेटर राहुल द्रविड़ तो इंदौरी पोहा खाने के शौकीन हैं।

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