क्रीम से चेहरा गोरा करने की कीमत: तैरने लगे इंद्रधनुषी छल्ले, हैरान कर देगा UP का चौंका देने वाला मामला

गोरा और चमकता चेहरा पाने की चाह में लोग खुद को गंभीर स्वास्थ्य संकट में डाल रहे हैं। कानपुर के हैलट अस्पताल में हर महीने ऐसे 60 मरीज पहुंच रहे हैं, जिनकी आंखों में स्टेरॉयड युक्त क्रीम या आई ड्रॉप के इस्तेमाल के बाद ग्लूकोमा जैसी खतरनाक बीमारी विकसित हो गई है। ग्लूकोमा आंखों की वह स्थिति है जिसमें ऑप्टिक तंत्रिका को नुकसान पहुंचता है और आंखों की रोशनी स्थायी रूप से जा सकती है।

चेहरे की सुंदरता के चक्कर में आंखों की तबाही

लोग चेहरे के दाग-धब्बे हटाने, मुंहासे मिटाने और गोरा दिखने के लिए बिना डॉक्टर की सलाह के स्टेरॉयड युक्त क्रीमों का प्रयोग कर रहे हैं। इन क्रीमों से शुरू में तो त्वचा में फर्क नजर आता है, लेकिन कुछ ही दिनों में इसका गंभीर साइड इफेक्ट सामने आने लगता है। रोगियों को आंखों के चारों ओर इंद्रधनुषी छल्ले दिखाई देने लगते हैं, आंखों में लाली, जलन, दबाव और सिरदर्द जैसी समस्याएं शुरू हो जाती हैं।

स्टेरॉयड युक्त आई ड्रॉप भी बना रही आंखों का दुश्मन

डॉक्टरी सलाह के बिना मेडिकल स्टोर से ली गई स्टेरॉयड आई ड्रॉप भी आंखों की सेहत बिगाड़ रही है। खुजली, जलन या हल्की समस्या में भी लोग खुद ही आई ड्रॉप खरीदकर इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे आंखों में दबाव (इंट्राओकुलर प्रेशर) बढ़ जाता है, जिससे ग्लूकोमा की आशंका पैदा हो जाती है।

हर महीने दर्ज हो रहे 60 से अधिक मामले, 7% मरीज गंभीर

हैलट के नेत्र विभाग में पिछले एक साल में ऐसे 720 मरीज सामने आ चुके हैं, जिनमें से करीब 7% गंभीर अवस्था में अस्पताल पहुंचे। मरीजों का कहना है कि उन्होंने 10 से 15 दिन तक क्रीम या आई ड्रॉप का इस्तेमाल किया और फिर अचानक समस्याएं बढ़ने लगीं। आंखों के चारों ओर रंगीन घेरे, धुंधलापन और तेज सिरदर्द के साथ वे अस्पताल पहुंचे।

नेत्र विशेषज्ञ ने दी चेतावनी: खुद इलाज न करें

हैलट के नेत्र विभाग की प्रोफेसर डॉ. शालिनी मोहन ने स्पष्ट किया है कि स्टेरॉयड का लगातार और बेतरतीब इस्तेमाल ऑप्टिक तंत्रिका को नुकसान पहुंचाता है। उन्होंने बताया, “जब आंखों में प्रेशर बढ़ने लगता है तो वह ग्लूकोमा का रूप लेता है, और यह स्थिति धीरे-धीरे आंखों की रोशनी खत्म कर देती है।”

चेहरे की क्रीम से आंखों तक खतरा कैसे?

स्टेरॉयड क्रीम त्वचा से अवशोषित होकर आंखों तक असर डाल सकती है, जिससे इंट्राओकुलर प्रेशर में वृद्धि होती है। वहीं, आई ड्रॉप सीधे आंखों में जाकर इस प्रभाव को कई गुना बढ़ा देती है। अधिकतर मरीजों ने बताया कि उन्होंने डॉक्टर से सलाह नहीं ली थी, और मेडिकल स्टोर से सीधे दवा खरीद ली।

विशेषज्ञ की सलाह: स्टेरॉयड युक्त उत्पादों से रहें सतर्क

डॉ. शालिनी मोहन का कहना है कि स्टेरॉयड युक्त क्रीम या आई ड्रॉप का प्रयोग करने से पहले विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें। सौंदर्य के चक्कर में आंखों की रोशनी खोना किसी भी तरह से समझदारी नहीं है। उन्होंने जनता से अपील की है कि सोशल मीडिया या विज्ञापनों के झांसे में आकर खुद पर दवाओं का प्रयोग न करें।

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