यूपी में गजब का पोस्टर वॉर : BJP बोली – “अखिलेश जी टोपी मत पहनाइए”, सपा ने कहा – “टोपी वाला देगा 2027 में शॉक”

उत्तर प्रदेश की सियासत इन दिनों पोस्टर और होर्डिंग की जंग में उलझ गई है। राजधानी लखनऊ में समाजवादी पार्टी (सपा) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच ‘टोपी बनाम चश्मा’ को लेकर पोस्टर वार छिड़ गया है। मंगलवार को सपा मुख्यालय के बाहर एक नया होर्डिंग लगाया गया जिसमें बीजेपी के हालिया तंज का मुंहतोड़ जवाब देते हुए लिखा गया—
“टोपी से तंज और चश्मे पर सवाल, काम पर बहस करो छोड़ो ये गुमराह करने की चाल…”
“टोपी वाला देगा 2027 में शॉक”: सपा नेता का तीखा वार
यह होर्डिंग सपा नेता मोहम्मद इखलाक की ओर से लगाया गया है, जिन्होंने बीजेपी द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर लगाए गए होर्डिंग—”चश्मा हटाइए अखिलेश जी टोपी मत पहनाइए”—का जवाब दिया। इखलाक ने कहा, “जिसने किताब थमाई, दिया था बच्चों को लैपटॉप, वही टोपी वाला तुम्हें 2027 में देगा शॉक।”
“लाल टोपी नेता जी की विरासत है”
मोहम्मद इखलाक ने सख्त लहजे में कहा कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की ‘लाल टोपी’ सिर्फ एक पहनावा नहीं, बल्कि मुलायम सिंह यादव की विरासत और विचारधारा की पहचान है। उन्होंने कहा कि नेताजी ने PDA (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक) समाज की जिम्मेदारी अखिलेश को दी थी और वह उसे पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
“शिक्षा बंद, नफरत चालू”: स्कूलों की बंदी पर सपा का हमला
इखलाक ने कहा कि उत्तर प्रदेश में लगभग 5000 स्कूलों को बंद किया जा रहा है, जिनमें गरीब, दलित और पिछड़े वर्ग के बच्चे पढ़ते हैं। उन्होंने कहा—
“मदरसे बंद करते-करते अब स्कूल बंद कर रहे हैं। ये शिक्षा से दूर करके समाज को अंधेरे में रखना चाहते हैं।”
“शिक्षा से डरते हैं ये लोग, सवालों से घबराते हैं”
सपा नेता ने बीजेपी पर आरोप लगाया कि सरकार नहीं चाहती कि गरीब और अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चे पढ़-लिखकर जागरूक हों और उनसे सवाल करें। उन्होंने कहा—
“इनकी राजनीति का आधार नफरत है, शिक्षा नहीं।”
उन्होंने यह भी कहा कि BJP की प्राथमिकता शिक्षा या विकास नहीं, बल्कि धार्मिक ध्रुवीकरण और राजनीतिक गुमराह करने की चालें हैं।
2027 की तैयारी में सपा आक्रामक
सपा का यह पोस्टर सिर्फ जवाब नहीं, बल्कि 2027 के चुनाव का सियासी बिगुल भी माना जा रहा है। पार्टी साफ कर चुकी है कि वह मुलायम सिंह यादव की विचारधारा, युवाओं को लैपटॉप और शिक्षा जैसे मुद्दों के साथ मैदान में उतरने वाली है।
जब सवाल काम पर हों, तो टोपी और चश्मा सिर्फ प्रतीक बन जाते हैं
इस पूरे पोस्टर वार से साफ है कि अब सियासत विचारधारा बनाम छवि की ओर बढ़ रही है। जहां एक तरफ सपा काम, शिक्षा और युवाओं के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित कर रही है, वहीं भाजपा प्रतीकों और प्रतीकात्मक नारों से विपक्ष को घेरने की कोशिश में है। आगामी चुनावों से पहले यह पोस्टर वार किसे कितना फायदा या नुकसान पहुंचाएगा, यह तो वक्त ही बताएगा।