Shocking: यूपी में समाजवादी नेताओं संग गंदा खेल, पार्टी के झंडे जैसे ‘शादी के कार्ड’ से बड़ा फ्रॉड..

उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां समाजवादी पार्टी (सपा) के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं के बैंक खातों से लाखों रुपये उड़ा लिए गए। हैरान करने वाली बात यह है कि इस ठगी का जरिया एक डिजिटल शादी कार्ड बना, जिसे सपा के झंडे के रंग में तैयार कर नेताओं के व्हाट्सएप ग्रुपों में भेजा गया था। कार्ड खोलते ही उनके मोबाइल हैक हो गए और साइबर अपराधियों ने खातों पर नियंत्रण पा लिया।
सपा के झंडे जैसे रंगों में था कार्ड, इसी से फैला झांसा
इस ई-शादी कार्ड को समाजवादी पार्टी के झंडे की तरह हरे और लाल रंग में डिजाइन किया गया था, जिससे सपा नेताओं को लगा कि यह पार्टी से जुड़े किसी व्यक्ति का कार्ड है। कार्ड में सपा प्रतीकों और रंगों का उपयोग कर विश्वास जमाया गया। व्हाट्सएप ग्रुप पर जैसे ही यह कार्ड फैला, कई लोगों ने इसे खोला और तभी साइबर हमले की शुरुआत हुई।
APK फॉर्मेट में था कार्ड, क्लिक करते ही मोबाइल हो गया हैक
शादी कार्ड एक APK फाइल के रूप में भेजा गया था, जिसे खोलते ही यूजर के मोबाइल में एक मैलवेयर इंस्टॉल हो गया। इसके बाद यूजर का फोन हैंग होने लगा, और बैंकिंग ऐप्स, UPI और अन्य संवेदनशील जानकारियां हैकर्स के पास पहुंच गईं। इसके बाद तुरंत ही लोगों के बैंक खातों से रकम कटने लगी।
कई नेताओं के खातों से गए पैसे, कुछ का फोन भी लॉक हुआ
इस साइबर जाल में लंभुआ विधानसभा क्षेत्र के कई नेता फंसे।
- ग्राम प्रधान मनीष यादव के खाते से ₹74,000 निकाले गए, हालांकि कुछ समय बाद ₹24,000 वापस आ गए।
- पंचायत सचिव लवनीत शर्मा के खाते से ₹90,000 उड़ाए गए।
- हरिकेश यादव के खाते से ₹56,000 निकले।
- युवा ब्रिगेड के जिला सचिव नवनीत यादव के खाते से ₹1.25 लाख उड़ाए गए।
कुछ के फोन भी पूरी तरह लॉक हो गए, जिससे वे किसी से संपर्क नहीं कर सके।
पीड़ितों ने दर्ज कराई साइबर सेल में शिकायत
जैसे ही लोगों को समझ आया कि यह एक साइबर ठगी है, उन्होंने तुरंत सुलतानपुर साइबर क्राइम सेल में शिकायत दर्ज कराई। कई पीड़ितों ने पुलिस से कार्रवाई की मांग की है और आग्रह किया है कि डिजिटल सुरक्षा को लेकर नेताओं को सतर्क किया जाए।
राजनीतिक जुड़ाव को बनाया गया झांसे का जरिया
यह पूरा मामला इसलिए और गंभीर हो जाता है क्योंकि कार्ड को समाजवादी पार्टी के नाम पर भेजा गया। इसका सीधा असर पार्टी से जुड़े लोगों की प्रतिष्ठा और सुरक्षा पर पड़ा है। कार्ड के जरिए भेजा गया संदेश भी राजनीतिक प्रतीकों से भरपूर था, जिससे यह एक ‘विश्वसनीय’ निमंत्रण जैसा लगा और अधिकांश नेताओं ने बिना संदेह के खोल लिया।
डिजिटल सावधानी की जरूरत और चेतावनी
यह घटना एक बार फिर चेतावनी देती है कि डिजिटल युग में कोई भी लिंक या फाइल खोलने से पहले उसकी सत्यता की जांच जरूरी है। पार्टी लाइन या भावनात्मक जुड़ाव को टूल बनाकर अब साइबर ठग नेताओं और प्रभावशाली व्यक्तियों को निशाना बना रहे हैं।