न गवाह, न सबूत ! फिर कैसे पकड़ी गई सोनम ? जानिए किन आधुनिक तकनीकों का पुलिस ने किया इस्तेमाल ?

23 मई को इंदौर के ट्रांसपोर्ट कारोबारी राजा रघुवंशी अपनी पत्नी सोनम के साथ मेघालय हनीमून पर गए थे, लेकिन वहां से केवल राजा की लाश मिली और सोनम गायब हो गई। मामले ने तूल तब पकड़ा जब कोई प्रत्यक्षदर्शी या पुख्ता सबूत न मिलने पर भी पुलिस ने महज डिजिटल फुटप्रिंट के आधार पर केस को सुलझा लिया। आखिर कैसे? पढ़िए वो 7 तकनीकी तरीके जिनसे पुलिस ने एक-एक कर कातिलों की परतें खोलीं।

📞 1. CDR जांच: कॉल डिटेल से मिला पहला बड़ा सुराग

CDR यानी कॉल डिटेल रिकॉर्ड वह आधार बना जिससे राजा रघुवंशी की हत्या का रहस्य खुलना शुरू हुआ। पुलिस ने राजा और सोनम दोनों के कॉल रिकॉर्ड निकाले। इसमें यह सामने आया कि सोनम लगातार राज कुशवाह नामक व्यक्ति से संपर्क में थी—सिर्फ 16 से 23 मई के बीच में ही उसने उसे 30 बार कॉल किया था। इनमें से कई कॉल 30 सेकेंड से 1 मिनट तक की थीं।

🛰️ 2. टावर डंप डेटा: घटनास्थल के नेटवर्क से निकला सच

टावर डंप, यानी उस इलाके के मोबाइल टावर से जुड़े हजारों कॉल डेटा की जांच कर पुलिस ने राजा और सोनम के आसपास सक्रिय मोबाइल नंबरों को छांटा।
करीब दो लाख नंबरों में से कुछ दर्जन नंबर ऐसे निकले जो घटना के वक्त उस इलाके में सक्रिय थे, और इन्हीं में से सोनम के संपर्क में रहने वाले तीन संदिग्ध भी थे।

🔢 3. मोबाइल नंबर सीरीज: एमपी-सीजी की सीरीज

मोबाइल नंबर की सीरीज राज्यवार होती है। मेघालय पुलिस ने जिन संदिग्ध नंबरों को छांटा, उनमें कई मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की सीरीज वाले नंबर थे।
ये वही लोग थे जो सोनम और राजा की गतिविधियों के समय एक ही नेटवर्क टावर की सीमा में एक्टिव थे, जिससे इनकी भूमिका पर शक गहराता गया।

🧭 4. GPS ट्रैकिंग: लोकेशन की पूरी कहानी

राजा और सोनम ने जिस स्कूटर को किराए पर लिया था, उसमें GPS ट्रैकर था। पुलिस ने स्कूटर की ट्रैवेल हिस्ट्री और जीपीएस लोकेशन निकालकर ये तय किया कि स्कूटर किन इलाकों में गया था और वहां कौन-कौन एक्टिव था। यह जांच संदिग्धों की घेराबंदी में मददगार साबित हुई।

📲 5. सोशल मीडिया फॉरेंसिक: सोनम की चुप्पी ने उगला राज

राजा ने अपने सोशल मीडिया पर हनीमून की तस्वीरें पोस्ट की थीं, लेकिन सोनम ने एक भी तस्वीर साझा नहीं की। पुलिस का इस असामान्य व्यवहार पर ध्यान गया और पुलिस ने उनके सोशल नेटवर्क, बातचीत और बिहेवियर पैटर्न को खंगालना शुरू किया। यह तकनीकी विश्लेषण सोनम की भूमिका पर संदेह को और मजबूत करता गया।

💳 6. फाइनेंशियल ट्रैकिंग: अकाउंट डिटेल्स से हुआ खुलासा

जांच में यह सामने आया कि सोनम के अकाउंट में उसके पिता ने 20 लाख रुपये ट्रांसफर किए थे। इसके बाद सोनम ने देवास निवासी जितेंद्र रघुवंशी के अकाउंट से पेटीएम और फोनपे लिंक कर पेमेंट किए ताकि खुद को ट्रैक होने से बचा सके, लेकिन पुलिस ने अकाउंट्स को सर्विलांस पर रखकर उसकी यह चालबाजी भी पकड़ ली।

🎥 7. CCTV फुटेज: वीडियो ने किया सोनम को बेनकाब

मेघालय में सीमित संख्या में CCTV कैमरे हैं, लेकिन होटल और होम स्टे में लगे फुटेज में सोनम एक कांट्रैक्ट किलर के साथ नजर आई। जब पुलिस ने यह वीडियो सोनम को दिखाया, तो वह टूट गई और सारा सच सामने आ गया।

जब तकनीक ने गवाहों की जगह ली

इस केस में न कोई गवाह था, न कोई सीधा सबूत, लेकिन डिजिटल तकनीकों की मदद से मेघालय पुलिस ने हत्याकांड की पूरी स्क्रिप्ट पढ़ डाली। आकाश राजपूत, विशाल सिंह चौहान, आनंद कुर्मी, राज कुशवाह और खुद सोनम—इन सभी को पकड़ने में कॉल डिटेल से लेकर सीसीटीवी तक हर डिजिटल साक्ष्य ने निर्णायक भूमिका निभाई। यह केस भारतीय कानून व्यवस्था के लिए एक उदाहरण है कि टेक्नोलॉजी के जरिए भी सच्चाई तक पहुंचा जा सकता है।

Related Articles

Back to top button