MP से राज्यसभा जा रहे एल मुरुगन की कहानी:मां-बाप तमिलनाडु के गांव में आज भी दिहाड़ी मजदूर

बेटा केंद्रीय राज्यमंत्री बना तो मां ने कहा था- हम फावड़ा चलाकर ही खुश

मध्यप्रदेश में राज्यसभा के लिए 4 अक्टूबर को चुनाव है। BJP की तरफ से केंद्रीय राज्यमंत्री एल मुरुगन ने मंगलवार को पर्चा दाखिल किया। वहीं, कांग्रेस ने इस सीट के लिए उम्मीदवार नहीं उतारा है। ऐसे में एल मुरुगन की निर्विरोध जीत तय है। केंद्र में मत्‍स्‍य पालन, पशुपालन और सूचना तथा प्रौद्योगिकी मंत्रालय संभाल रहे मुरुगन की कहानी दिलचस्प है। किसी का बेटा देश का केंद्रीय राज्यमंत्री बन जाए, तो अक्सर परिवार के जीवनयापन में भी बदलाव देखने मिल जाता है। मुरुगन के माता-पिता के साथ ऐसा नहीं है। वे आज भी तमिलनाडु में नमक्कल जिले के कुनूर गांव के खेतों में काम करते हैं। मुरुगन की मां वरुदम्मल बेटे की सफलता का श्रेय खुद नहीं लेना चाहती हैं।

मुरुगन के मंत्री बनने पर उनकी मां ने कहा था- हमने अपने बेटे का भविष्य बनाने के लिए कुछ नहीं किया, लेकिन आज उसने जो जगह पाई है, वह उसी की मेहनत है। हमें उस पर गर्व है। मुरुगन के मां-बाप ने उनकी पढ़ाई उधार लेकर कराई और हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। बेटे के मंत्री बनने की जानकारी उन्हें पड़ोसियों से मिली थी।

तमिलनाडु में जाना-माना नाम है मुरुगन
2020 के तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में वो एक पॉपुलर फिगर थे। उनकी वजह से दो दशकों बाद BJP ने 4 सीटें जीती थी। पेशे से वकील मुरुगन ने 15 साल कोर्ट में प्रैक्टिस की। कानून में पोस्ट ग्रेजुएशन करने वाले मुरुगन ने मानवाधिकार कानूनों में डॉक्टरेट की है। प्रदेश BJP प्रमुख बनने से पहले राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के उपाध्यक्ष थे।

दलित नेता के रूप में मुरुगन सक्रिय
तमिलनाडु की मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मुरुगन परिश्रमी, अत्यंत सक्रिय और ऊर्जावान युवा हैं। जब उन्हें पार्टी ने अपना प्रदेश प्रमुख बनाया तो उन्होंने इसे चुनौती के रूप में लिया। 20 साल से अधिक समय से जमीनी कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहे दलित नेता मुरुगन BJP में शामिल होने से पहले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े थे। उन्हें उनके संगठनात्मक कौशल के लिए भी जाना जाता है।

डॉ. मुरुगन का कार्यकाल 2 साल रहेगा
केंद्रीय मंत्री डॉ. मुरुगन का राज्यसभा सांसद के तौर पर कार्यकाल 2 साल का रहेगा। दरअसल, केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री और मध्यप्रदेश के दलित नेता थावरचंद गेहलोत का 4 साल का कार्यकला हो चुका था, गहलोत के इस्तीफा देने के बाद खाली हुई सीट पर शेष 2 साल के लिए उपचुनाव हो रहे हैं। राज्यसभा सांसद का कार्यकाल 6 साल का होता है।

MP में 11 सीटें, एक है रिक्त
मध्यप्रदेश में राज्यसभा की कुल 11 सीटें हैं। एक सीट रिक्त है। शेष बची 10 में से 6 सीटों पर BJP, जबकि 4 पर कांग्रेस काबिज है। वर्तमान में ज्योतिरादित्य सिंधिया, दिग्विजय सिंह, संपतिया उईके, एमजे अकबर, विवेक तन्खा, अजय प्रताप सिंह, कैलाश सोनी, धर्मेंद्र प्रधान, राजमणि पटेल, सुमेर सिंह सोलंकी मध्यप्रदेश से राज्यसभा सांसद हैं।

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