Solar Storm: 32 साल बाद फिर आ रहा है विनाशकारी तूफान, बिजली, मोबाइल सहित इन चीजों पर हो सकता है असर

इससे पहले साल 1989 और 1859 में भी ऐसे तूफान आ चुके हैं। 1859 में टेलिग्राफ नेटवर्क ऐसे ही तूफान के कारण नष्ट हुआ था।

Solar Storm: सूरज की सतह से पैदा हुआ एक शक्तिशाली सौर तूफान तेजी से पृथ्वी की तरफ बढ़ रहा है। यह तूफान जल्द ही पृथ्वी से टकरा सकता है। ऐसा होने पर आपके टीवी-रेडियो या मोबाइल फोन में रुकावट आ सकती है। इसके अलावा सैटेलाइट सिग्नल, विमानों की उड़ान, रेडियो सिग्नल, कम्यूनिकेशन और मौसम पर भी इसका प्रभाव दिख सकता है। स्पेसवेदर वेबसाइट के अनुसार ये सौर तूफान सूर्य के वायुमंडल में पैदा हुआ है। इससे पहले साल 1989 में ऐसा तूफान आया था, तब कनाडा के क्यूबेक शहर में 12 घंटे तक बिजली गुल रही थी।

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA के अनुसार इसकी रफ्तार 1609344 किलोमीटर है। आगे यह रफ्तार और भी तेज हो भी हो सकती है। विशेषज्ञों की मानें तो अंतरिक्ष में महातूफान आने पर पूरी दुनिया की बिजली गुल हो सकती है।

पृथ्वी का वायुमंडल में बढे़गी गर्मी

सौर तूफान धरती के पास आने पर धरती का बाहरी वायुमंडल गरम हो सकता है। ऐसा होने पर पृथ्वी की कक्षा में घूमने वाली सैटेलाइट्स प्रभावित होंगी। इससे GPS नैविगेशन, मोबाइल फोन सिग्नल और सैटलाइट टीवी में समस्या आएगी। बिजली के तारों में करंट तेज हो सकता है, जैसा कि आकाशीय बिजली गिरने पर होता है। ऐसी स्थिति में ट्रांसफॉर्मर भी उड़ सकते हैं। हालांकि आकाशीय बिजली किसी एक जगह पर गिरती है और उससे एक या दो ट्रांसफॉर्मर प्रभावित होते हैं, पर सोलर तूफान एक साथ पूरी पृथ्वी के ट्रांसफॉर्मर उड़ा सकता है। वैज्ञानिकों के अनुसार इसकी आशंका न के बराबर है क्योंकि धरती का चुंबकीय क्षेत्र इसके खिलाफ सुरक्षा कवच का काम करता है।

ध्रुवों पर दिखेगा खूबसूरत नजारा

वैज्ञानिकों ने बताया है कि धरती को दोनों ध्रुवों पर इस घटना की वजह से खूबसूरत नजारा दिखाई देगा। उत्तरी या दक्षिणी अक्षांशों पर रहने वाले लोग रात के वक्त खूबसूरत ऑरोरा को देख पाएंगे। ऑरोरा ध्रुव के पास रात के समय आसमान में चमकने वाली रोशनी को कहते हैं।

1989 और 1959 में क्या हुआ था

इससे पहले साल 1989 और 1859 में भी ऐसा ही तूफान आया था। 1989 में तूफान के कारण कनाडा के क्यूबेक शहर की बिजली चली गई थी। यहां करीब 12 घंटे तक लोगों को बिना बिजली के रहना पड़ा था। इससे पहले 1859 में जियोमैग्‍नेटिक तूफान आया था। इसकी वजह से यूरोप और अमेरिका में टेलिग्राफ नेटवर्क नष्ट हो गया था।

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