भ्रष्टाचार का पर्याय बना सीतापुर आरटीओ ऑफिस

उत्तर प्रदेश, जनपद सीतापुर खैराबाद का एआरटीओ ऑफिस बना दलालों का अड्डा जहां उत्तर प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार मुक्त सरकार का दावा करती है वही जनपद सीतापुर के आरटीओ ऑफिस में उच्च अधिकारियों के नाक के नीचे जमकर बंदरबांट चलता है|

आरटीओ ऑफिस खैराबाद में हमेशा दलाली होती है कोई भी कार्य दलालों के बिना हो जाए यह संभव नहीं , लेकिन कुछ उपभोक्ताओं का कहना है कि अगर दलालों का सहारा नहीं लेते हैं तो कार्यालय का चक्कर ही लगाते रहेंगे कोई भी कार्य नहीं होगा।

लाइसेंस बनवाने के लिए एक टेस्ट देना पड़ता है और टेस्ट के नाम पर अस्थायी लाइसेंस पर 1200 – 1500 रुपये और स्थायी लाइसेंस पर 3000-4000 रुपये लिए जाते हैं। इसके अतिरिक्त आरटीओ ऑफिस से जुड़े हुए प्रत्येक कार्य में आरसी , गाड़ी के कागज बनवाने, कागज की समय सीमा बढ़वाने , गाड़ियों का ट्रांसफर करवाने जैसे सभी कार्यों में काफी मात्रा में दलाली चलती है।

क्योंकि आरटीओ ऑफिस में हर शाख पे उल्लू बैठा है यदि आपका ठीक-ठाक दलाल है तो कोई भी गलत कार्य आसानी से कार्यालय में करवाया जा सकता है|

उपभोक्ताओं का आरोप है कि कार्यालय में सारा लेन-देन का कार्य हर पटलों पर बैठे हुए दलालों, बाबूओं और अधिकारियों की मिलीभगत से किया जाता हैं। लाइसेंस उपभोक्ता करना है कि कम से कम 15 दिन से चक्कर लगा रहा है|

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पटल पर बैठे दलाल कभी बाबू के पास तो कभी अधिकारी के पास भेज देते हैं। कभी कहते हैं कि बाबू खाना खाने गये और कभी बाबू छुटटी पर हैं। उनका कहना है कि वो रिश्वत नहीं दे रहे हैं इसलिए उन्हें गुमराह किया जा रहा है। परंतु आश्चर्य की बात यह है की समस्याओं के लिए जिम्मेदार आखिर कौन ?

आज एक ट्रैक्टर जिसे आरटीओ परिवर्तन उदित नारायण पाण्डेय जी ने बिसवां में सीज कर कोतवाली बिसवां में बन करा दिया था जिसको छोड़वाने के लिए खुद ट्रेक्टर मालिक गया जिसे बड़े बाबू ने मोटा खर्रा बना कर 55 हजार रुपये जुर्माना के बताए ट्रेक्टर मालिक हतास होकर दलाल के पास गया है|

दलाल ने 30 हजार में छोड़वा देने को वादा किया एक हजार अलग से लेने को कहा जिसमे किसान अपना ट्रेक्टर में 19 हजार बचते नजर आए तो उसने दलाल को पैसे दिए और 31 हजार में ट्रैक्टर छूट गया जिससे साफ अंदाज लगाया जा सकता है कि किस तरह ये बाबू दलालों को पाल रहे है किस तरह भ्रष्टाचार आरटीओ ऑफिस में फैला हुआ है ।

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