क्रिकेट मैच में भयंकर बवाल ! सड़कों पर उतरे लोग.. पथराव, आंसू गैस छोड़नी पड़ी.. बड़े अधिकारी मौके पर..

शिलिगुड़ी के बगराकोट इलाके में बुधवार को एक लोकल क्रिकेट मैच को लेकर दो गुटों के बीच तनाव इतना बढ़ गया कि मामला सड़क पर जमकर पत्थरबाजी तक पहुंच गया। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में लोग एक-दूसरे पर पथराव करते और घरों व गाड़ियों को नुकसान पहुंचाते दिख रहे हैं।
29 जून से शुरू हुआ था विवाद
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह विवाद 29 जून को शुरू हुआ था, जब एक युवक के साथ क्रिकेट मैच के दौरान मारपीट हुई थी। इसके बाद बदले की भावना में मंगलवार को महावीरस्थान इलाके में दूसरे गुट के युवक पर हमला किया गया। इसी कड़ी में बुधवार को बगराकोट में दोनों गुटों में सीधा टकराव हो गया।
सड़क पर पत्थरबाजी, घरों और वाहनों को नुकसान
बुधवार दोपहर को बगराकोट इलाके में गुस्साए लोगों ने जमकर पत्थरबाजी की। झड़प में कई गाड़ियों के शीशे टूट गए और घरों को भी नुकसान पहुंचा। स्थानीय लोगों में भय का माहौल फैल गया और स्थिति बेकाबू होती देख पुलिस को तुरंत मौके पर बुलाया गया।
पुलिस ने छोड़े आंसू गैस के गोले, कई गिरफ्तार
हालात पर काबू पाने के लिए मौके पर पहुंची पुलिस ने पहले भीड़ को समझाने की कोशिश की, लेकिन जब झगड़ा थमता नहीं दिखा तो पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े। पुलिस ने हिंसा में शामिल कई लोगों को गिरफ्तार किया है और इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
वरिष्ठ अधिकारी पहुंचे मौके पर, हालात अब नियंत्रण में
घटना की गंभीरता को देखते हुए सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस कमिश्नर सी. सुधाकर, डिप्टी कमिश्नर बी.सी. ठाकुर समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे। डिप्टी कमिश्नर ठाकुर ने बताया, “एक लोकल क्रिकेट मैच की वजह से दो गुटों में तनाव बढ़ा। हमने हालात को नियंत्रित करने की हरसंभव कोशिश की और आंसू गैस का सहारा लेना पड़ा। कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया है और इलाके में पुलिस चौकियां लगाई गई हैं।”
स्थानीय लोगों में दहशत, प्रशासन पर उठे सवाल
घटना के बाद स्थानीय लोगों में दहशत का माहौल है। नागरिकों ने प्रशासन से सवाल पूछे हैं कि आखिर ऐसा तनाव कैसे पनप गया और समय रहते नियंत्रण क्यों नहीं पाया गया। अब यह मामला सोशल मीडिया पर भी तेजी से वायरल हो रहा है।
क्रिकेट जैसा खेल, जो आमतौर पर सौहार्द और मनोरंजन का प्रतीक होता है, शिलिगुड़ी में हिंसा और तनाव का कारण बन गया। यह घटना न केवल सामाजिक समरसता पर सवाल उठाती है, बल्कि प्रशासनिक सतर्कता की भी परीक्षा लेती है।
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