मैनपुरी में भीष्म पितामह बने शिवपाल!

मैनपुरी में भीष्म पितामह बने शिवपाल!

पत्रकार –  गौरव मैत्रेय, न्यूज़नशा

भीष्म अथवा भीष्म पितामह महाभारत के सबसे महत्वपूर्ण पात्रों में से एक थे । इन्हें अपनी उस भीष्म प्रतिज्ञा के लिये भी सर्वाधिक जाना जाता है । जिसके कारण इन्होंने राजा बन सकने के बावजूद आजीवन हस्तिनापुर के सिंहासन के संरक्षक की भूमिका निभाई।  आज वह वक्त उठकर मैनपुरी की धरती पर उतरा है । और उतरना भी चाहिए,  क्योंकि चाहे युद्धभूमि हो या राजनैतिक भूमि हो,  चुनावी महासंग्राम मैनपुरी की धरती पर पहली बार होने जा रहा है। और इससे पहले भी कई बार हुआ है।  लेकिन महाराज  रूपी नेता जी के निधन के बाद संरक्षक के तौर पर भीष्मापितामह रुपी शिवपाल को मैदान में उतारा गया है । इससे पहले ना कभी हुआ है और ना फिर कभी होगा । क्योंकि शिवपाल रूपी भीष्म ने अखिलेश रूपी अर्जुन को पहले ही जीत की बधाई दे दी है ।

बात यहां पर नहीं रुकती , इसके पीछे की कथनी एक और भी है।  भारतीय जनता पार्टी ने जिस प्रत्याशी को उम्मीदवार बनाकर मैदान में उतारा है।  वह भी भीष्म पितामह का ही  शिष्य है । और उसका भी हक है,  जीत का आशीर्वाद लेने का।  लेकिन भीष्म पितामह मैनपुरी से बंधे हुए हैं,  मैनपुरी के लोगों से बंधे हैं । और उन्होंने प्रतिज्ञा कर रखी है , जब तक वह जीवित हैं तब तक मैनपुरी में बाहरी हस्तक्षेप नहीं हो सकता। ऐसे में चुनाव और अधिक दिलचस्प होता जा रहा है । एक तरफ प्रतिज्ञाएं हैं , तो दूसरी तरफ शिष्य धर्म का पालन भी करना है ।भीष्म पितामह को अपनी प्रतिज्ञाओं को दोहराते हुए अर्जुन के साथ मैदान में उतरना जरूरी हो गया है।  और वह मैदान में उतर भी चुके हैं ।

क्योंकि समाजवादी पार्टी ने उन्हें स्टार प्रचारक बनाया है। समाजवादी पार्टी से फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। मैनपुरी उप चुनाव में मुलायम के छोटे भाई शिवपाल की भूमिका को लेकर राजनीतिक गलियारों में काफ़ी चर्चा है। सपा संस्थापक की विरासत को बचाए रखने के लिए मैनपुरी लोकसभा सीट से डिंपल यादव की उम्मीदवारी की घोषणा के तुरंत बाद,  पार्टी ने इस सीट पर बड़ी जीत सुनिश्चित करने के लिए तैयारियां शुरू कर दी है।  इस सीट पर 1996 से ही सपा का उम्मीदवार निर्वाचित होता रहा है । और इस बात को पकड़ कर भीष्म पितामह पूरी दृढ़ इच्छा से निभाना चाहते हैं । कहीं ना कहीं मैनपुरी की विरासत और सैफई परिवार की डोर मुलायम की यादों से जुड़ी है । मैनपुरी की जनता वह केवल नेता जी के सपनों को पूरा करने के लिए अखिलेश के साथ खड़ी है । शिवपाल के साथ खड़ी है।  यह कहना कोई बड़ी बात नहीं होगी,  कि यह चुनाव नेताजी की आस्था के विजय का चुनाव होगा।  लेकिन मैनपुरी की जनता क्या है,  सांस नेताजी के एहसासों में आज भी जिंदा है । यही कारण है की, भीष्म पितामह अपनी प्रतिज्ञाओ से बंधे हैं।  और वह अपनी हर एक प्रतिज्ञा का  पूरी तरीके से पालन करेंगे और अर्जुन रूपी अखिलेश को अंतिम समय तक कुरुक्षेत्र में साथ देते नजर आएंगे।

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