श्रीकृष्ण जन्म भूमि और शाही ईदगाह की क्या है कहानी, आइए जानते है कैसे शुरू हुआ विवाद।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को चार महीने के समय के अंदर सर्वे कराकर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है| कोर्ट के इस आदेश के बाद एक बार फिरसे श्रीकृष्ण जन्मभूमि का मुद्दा उठ गया है|

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को चार महीने के समय के अंदर सर्वे कराकर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है| कोर्ट के इस आदेश के बाद एक बार फिरसे श्रीकृष्ण जन्मभूमि का मुद्दा उठ गया है| अब सब लोग जानना चाहते है की आखिर इस विवाद के पीछे का सच क्या है, आखिर ये विवाद शुरू कैसे हुआ|

मथुरा शहर मे श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर यह शाही मस्जिद एक मंदिर के साथ मे ही बनी हुई है| 12 ऑक्टोबर 1968 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान ने शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट के साथ एक समझोत किया था जिसमे मंदिर और मस्जिद दोनों 13.37 एकड़ पर बनने का समझोत हुआ था, यह विवाद इस जमीन को लेकर ही हुआ था जिसमे से अब 10.9 एकड़ जमीन पर श्रीकृष्ण का मंदिर है और बाकी 2.5 एकड़ की जमीन पर शाही ईदगाह बना हुआ है| इस समझोते में मुस्लिम पक्ष ने अपने हिस्से की कुछ जगह छोड़ी और मुस्लिम पक्ष को बदले कुछ ही जगह दी गई| अब हिन्दू पक्ष पूरे 13.37 एकड़ जगह की मांग कर रहा है|

हाई कोर्ट में हिन्दू पक्ष ने पूरे 13.37 एकड़ जमीन लेने की याचिका दायर की गई थी, उस याचिका में मंदिर के साथ बने मस्जिद को हटने की मांग की है| याचिका दर्ज करने के साथ उनसे विडिओ और फोटो की भी मांग की थी| नीचली कोर्ट मे लगातार देरी होने के कारण  याचिकर्ता मनीष यादव ने हाई कोर्ट तक बात लेके जाने की बात की| इसी मामले में हाईकोर्ट में आज सुनवाई हुई| कोर्ट ने यहां वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी सर्वे कराने का आदेश दिया है| चार महीने में ये सर्वे पूरा करना होगा और इसकी रिपोर्ट हाईकोर्ट में जमा करानी होगी| इसके लिए एक वरिष्ठ अधिवक्ता को इस सर्वे के लिए कमिश्वर और दो अधिवक्ताओं को सहायक कमिश्नर के तौर पर नियुक्त किया जाएगा| इस सर्वे कमीशन में वादी और प्रतिवादी के साथ-साथ प्रशासनिक अफसर भी शामिल होंगे|

 

 

 

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