न्यूज़ नशा की महिला पत्रकारों ने कर दिया शाहीन बाग का स्टिंग ऑपरेशन

विनीता यादव, सुमन कांसरा, अनु जैन रोहतगी, दीपिका सिंघल, प्रियंका त्रिपाठी, अंकिता गर्ग | ये न्यूज नशा की महिला टीम है | यहां पर हर खबर की सच्चाई आप तक ये महिला पत्रकार ही पहुंचाती हैं | ये हम आपको इसलिए बता रहे हैं क्योंकि कई बार कुछ खबरों की सच्चाई आपतक पहुंचाना जोखिम भरा होता है। लेकिन न्यूज नशा की महिला टीम हर जोखिम को पार कर हर खबर की तह तक जाती है | कुछ इसी तरह शाहीन बाग का सच हमने स्टिंग ऑपरेशन कर आप तक पहुंचाया | शाहीन बाग में महिलाएं करीब 40 दिनों से नागरिकता कानून, एनआरसी के विरोध में प्रदर्शन कर रही हैं | सोशल मीडिया पर सवाल उठ रहे हैं कि प्रोटेस्ट स्पोंसर्ड है | इसी की सच्चाई जानने के लिए हमारी महिला टीम शाहीन बाग पहुंची और पड़ताल की जो कि बिल्कुल भी आसान नहीं था | रिपोर्टर दीपिका सिंघल बुर्का पहनकर उन महिलाओं में शामिल हुई | दीपिका ने आम महिला बनकर उन प्रोटेस्ट कर रहीं महिलाओं से बातचीत की | विनीता यादव और सुमन कांसरा कैमरे के पीछे रहीं | इस दौरान प्रोटेस्ट में बैठी महिलाओं को शक भी हुआ और महिलाएं कहने लगी कि ऐसा क्या है यहां जो ये कैमरा लिए यही शूट कर रही है |

इस स्टिंग ऑपरेशन के दौरान तीन बड़े मुद्दों पर पड़ताल की गई :

पहला : क्या महिलाएं शिफ्ट में आती हैं ?

दूसरा : क्या महिलाओं के लिए खाने का इंतज़ाम रोज़ किया जाता है ?

तीसरा : क्या इन महिलाओं को प्रदर्शन में आने के लिए 500 या हजार रुपए दिए जाते हैं ?

 

ये वो तीन बड़े मुद्दे हैं जिनपर रोज़ राजनीती हो रही है | सोशल मीडिया पर ढेरो पोस्ट की जा रही हैं | मीडिया का एक बड़ा तबका भी इन मुद्दों पर चर्चा करता है |

इन ही तीन मुद्दों को जानने के लिए न्यूज़ नशा की ये ख़ास टीम तहकीकात एक लिए शाहीन बाग़ पहुंची | अब हम आपको इन मुद्दों की सच्चाई बताते हैं

ये हैं इन सवालों का सच

पहला बड़ा मुद्दा : क्या महिलाएं शिफ्ट में आती हैं ?

पड़ताल : जी हाँ, न्यूज़ नशा की पड़ताल में पाया गया की प्रदर्शन कर रहीं महिलाएं शाहीन बाग़के प्रदर्शन में शिफ्ट में आती हैं | हमारी रिपोर्टर दीपिका ने आम नागरिक बनकर जब वहां मौजूद औरतों से बात की तो पता लगा की वहां पर औरतें शिफ्ट में आती हैं |

दूसरा बड़ा मुद्दा : क्या महिलाओं के लिए खाने का इंतज़ाम रोज़ किया जाता है ?

पड़ताल : जी हाँ, वहां मौजूद महिलाओं के लिए खाने का पूरा इंतज़ाम किया गया है | बकायदा वहां लंगर होते हैं जो दिनभर चलते हैं | जहाँ से सभी महिलाएं खाना खाती हैं |

तीसरा बड़ा मुद्दा : क्या इन महिलाओं को प्रदर्शन में आने के लिए 500 या हजार रुपए दिए जाते हैं ?

पड़ताल : नहीं, पड़ताल में पाया गया की वहां मौजूद महिलाओं को प्रदर्शन में शामिल होने के लिए कुछ भी पैसे नहीं दिए जाते | इस मुद्दे पर कई नेताओं ने कहा था की वहां मौजूद महिलाओं को पैसे देकर बिठाया गया है | लेकिन पड़ताल में जब हमारी रिपोर्टर ने महिलाओं से बात की तो उन्होंने बताया की उन्हें यहाँ आने के लिए उन्हें पैसे नहीं दिए जाते हैं |

शाहीन बाग की सच्चाई आप तक पहुंचाना इतना भी आसान नहीं था | क्योंकि विनीता यादव और सुमन कांसरा जब शूट कर रही थीं | तो वहां कुछ लोग उनसे सवाल जवाब करने लगे, लेकिन किसी बात की परवाह किए बिना न्यूज़ नशा टीम अपना काम करती रहीं |

ये सब हम आपको इसीलिए बता रहे हैं क्योंकि शाहीन बाग में न्यूज चैनल्स को लेकर लोगों में गुस्सा है। लेकिन यू ट्यूब चैनल के लिए नहीं | किसी भी बड़े चैनल का कोई भी पत्रकार वहां पहुंच रहा है तो लोग न्यूज कवरेज के दौरान उनका विरोध करते हैं | कई बार तो चैनल के पत्रकारों को यू हीं भगा दिया गया | ऐसे में ये समझना बहुत जरुरी हो जाता है कि यहां कमी है तो विश्वास की | शाहीन बाग के लोगों में न्यूज चैनल्स को लेकर गुस्सा इसीलिए है क्योंकि उन्हें लगता है कि वो सच्चाई नहीं दिखाते हैं | इस तरह लोगों का गुस्सा ये दिखाता है कि निष्पक्ष पत्रकारिता में कमी है, लेकिन न्यूज नशा एक तरफा पत्रकारिता न करके निष्पक्ष पत्रकारिता कर आप तक खबरों की सच्चाई पहुंचाता है |

 

 

क्लिक कर देखिए स्टिंग ऑपरेशन की पूरी वीडियो

 

Related Articles

Back to top button