शहीद रतन लाल को अंतिम विदाई लेकिन कब मिलेगा उन्हें इंसाफ ?

नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन की वजह से बीते कुछ दिनों से देश की राजधानी दिल्ली सहम सी गई है। सबसे ज्यादा हंगामा राजधानी दिल्ली में देखने को मिल रहा है। महीने भर से कानून के खिलाफ शाहीनबाग का प्रदर्शन चर्चा में था लेकिन अब इसी कानून का विरोध उत्तर पूर्वी दिल्ली में उग्र रुप ले चुका है। जाफराबाद से शुरु हुआ ये प्रदर्शन उत्तर पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों में फैल चुका है। हालात इतने ज्यादा बिगड़ गए कि उग्र प्रदर्शन में दिल्ली के हेड कॉन्सटेबल रतन लाल शहीद हो गए….जिन्हें नम आंखों से अंतिम विदाई दी गई…रतन लाल तो इस दुनिया को अलविदा कह गए हैं लेकिन अपनी शहादत के पीछे कई सवाल छोड़ गए हैं….

शहीद रतन लाल विंग कमांडर अभिनंदन के बहुत बड़े फैन थे…अभिनंदन जैसी देशभक्ति थी…इसीलिए अभिनंदन का लुक कॉपी करते थे…रतन लाल अपने बच्चों को भी देश सेवा के लिए प्रेरित करते थे…लेकिन सब खत्म हो गया…रतनलाल देश की सेवा करते करते शहीद हो गए।

आखिर क्या कसूर था शहीद रतन लाल का ? वो तो तबियत खराब होने के बावजूद अपनी ड्यूटी कर रहे थे, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने उनकी जान ले ली। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आने से एक शाम पहले ही जाफराबाद में अचानक प्रदर्शन उग्र हुआ। जो धीरे धीरे कई इलाकों में फैल गया। तो क्या जानबूझकर देश की छवि खराब करने के लिए ये प्रदर्शन प्लान किया गया। सवाल तो ये भी उठता है प्रदर्शनकारियों के लगातार उग्र होने के बावजूद भी क्यों इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की जा रही। आखिर कब तक दिल्ली ये सहेगी और कब शहीद रतन लाल को इंसाफ मिलेगा। शहीद रतन लाल को देश सलाम कर रहा है। न्यूज नशा भी शहीद की शहादत को सलाम करता है, लेकिन शहीद के घरवाले की आखों में एक तरफ आंसू हैं तो दूसरी तरफ सवाल। चीख चीखकर पूछ रहे हैं कि आखिर शहीद की शहादत का जिम्मेदार कौन है औऱ कब उन्हें इंसाफ मिलेगा।

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