तालिबान पहले मेहमान के लिए तैयार

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी आज काबुल जाएंगे, अफगानिस्तान में स्थिरता के लिए लॉबिंग भी शुरू की

तालिबान अपने पहले मेहमान की खातिर के लिए तैयार है। अगर सबकुछ तय कार्यक्रम के मुताबिक चला तो पािकस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी आज काबुल पहुंचेंगे। टोलो न्यूज ने इस बात की जानकारी दी और कहा कि कुरैशी का काबुल का प्रोग्राम तय हो चुका है। अगर कुरैशी काबुल पहुंचते हैं तो तालिबानी कब्जे के बाद अफगानिस्तान जाने वाले वो पहले विदेशी लीडर होंगे।

पाकिस्तान ने रूस-जर्मनी समेत 5 देशों से बात की
राजनीतिक विश्लेषकों ने टोलो न्यूज से कहा कि कुरैशी के काबुल जाने की वजह सिर्फ यही है कि वो नई अफगानी सरकार में अपना रोल निभाएं। पाकिस्तान ने अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार के लिए लॉबिंग शुरू कर दी है।

कुरैशी ने शनिवार को रूस, जर्मनी, तुर्की, नीदरलैंड, बेल्जियम के नेताओं से फोन पर बात की। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लेवरोव के साथ बातचीत के दौरान कुरैशी ने इस बात पर जोर दिया कि अफगानिस्तान में स्थिरता पािकस्तान और पूरे इलाके के लिए बेहद अहम है।

कुरैशी ने इस बातचीत में कहा कि पाकिस्तान अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया के लिए लगातार समर्थन कर रहा है। राजनीतिक समझौता इस देश की स्थिरता और शांति के लिए सबसे अच्छा रास्ता है।

शुरुआत से ही तालिबान को सपोर्ट कर रहा पाकिस्तान
अफगानिस्तान पर तालिबानी कब्जे के बाद कुरैशी ने कहा था कि अफगानिस्तान में अशरफ गनी की सरकार ने तालिबान के खिलाफ जो प्रोपेगैंडा चलाया था, वह झूठा साबित हुआ है। कुरैशी का कहना है कि तालिबान ने तो सभी को माफ करने का ऐलान किया है और वह लड़कियों की पढ़ाई को भी नहीं रोक रहा। तालिबान के अभी तक उठाए गए शांतिपूर्ण कदमों का स्वागत करते हैं।

पश्चिमी परिभाषाओं जैसा नहीं होगा अफगानी लोकतंत्र- तालिबान
अफगानिस्तान में नई सरकार बनाने को लेकर तालिबान का को-फाउंडर मुल्ला अब्दुल गनी बिरादर पहले ही काबुल पहुंच चुका है। बरादर ने दूसरे तालिबानी नेताओं से इस बात पर चर्चा की है कि तालिबान की सरकार की सूरत कैसी हो।

एक तालिबानी अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर टोलो न्यूज को नई सरकार के बारे में जानकारी दी है। अधिकारी ने कहा कि अफगानिस्तान की नई लोकतांत्रिक सरकार का स्वरूप वैसा नहीं होगा, जैसा पश्चिमी देशों की परिभाषाओं में बताया जाता है। लेकिन, ये बात तय है कि हम सभी के अधिकारों की रक्षा करेंगे।

तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जे के साथ ही कहा था कि हम शांति चाहते हैं और हम इस्लामिक कानूनों के तहत महिला अधिकारों की भी रक्षा करेंगे। हालांकि, अफगान छोड़ रहे लोग इस पर बिल्कुल यकीन नहीं कर रहे हैं। उन्होंने तालिबान के इन बयानों को टेम्परेरी शो करार दिया है।

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