जानें 60 हजार तक पहुंचने की पूरी कहानी

1999 में अटल की जीत पर 5 हजार और मोदी की पहली जीत पर 25 हजार पहुंचा था सेंसेक्स,

शेयर बाजार शुक्रवार को 60 हजारी हो गया। महज 31 कारोबारी दिनों में ये 55 हजार से 60 हजार पर पहुंचा है। इससे पहले इसी साल 21 जनवरी को सेंसेक्स ने पहली बार 50 हजार का आंकड़ा छुआ था, लेकिन दिन खत्म होते-होते ये 50 हजार के नीचे आ गया। इसके बाद इसमें गिरावट आती रही।

1 फरवरी को जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट भाषण पढ़ने के साथ-साथ बाजार ने बढ़ना शुरू किया और बढ़ता ही रहा। इस पूरे हफ्ते बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज यानी BSE का इंडेक्स सेंसेक्स 4445.86 पॉइंट्स बढ़ा। बजट के दो दिन बाद यानी 3 फरवरी को सेंसेक्स पहली बार 50 हजार के ऊपर बंद हुआ। उसके बाद 4 और 5 फरवरी को 50 हजार के ऊपर ही इसकी क्लोजिंग हुई।

सेंसेक्स 35 साल का हो चुका है। 1986 में इसकी शुरुआत हुई। इसके बाद से के बाद की कहानी भारत की अर्थव्यवस्था की कहानी है। शुरुआत में इसका बेस 100 रखा गया था। चार साल बाद ये चार अंकों पर पहुंचा। तो पांच अंकों तक पहुंचने में इसे 20 साल लगे।

आइये जानते हैं सेंसेक्स कब हजार से 10 हजार, 10 से 20 हजार, 20 से 30 हजार, 30 से 40 हजार और अब 50 हजार तक पहुंचा। और क्यों पहुंचा? इसके बाद इसमें कब और कितनी गिरावट आई?

सबसे पहले सेंसेक्स की शुरुआत की कहानी जान लीजिए…

1986 में जब सेंसेक्स की शुरुआत हुई तो इसका बेस ईयर 1978-79 को रखा गया। और बेस 100 प्वॉइंट बनाया गया। जुलाई 1990 में ये आंकड़ा 1000 प्वॉइंट पर पहुंच गया। 1991 के आर्थिक उदारीकरण के बाद सरकार ने FDI के दरवाजे खोले और बिजनेस करने के कानून को समाप्त बदलाव किया। मार्केट वैल्यू का डिरेगुलेशन किया और अर्थव्यवस्था को सर्विस ओरिएंटेड कर दिया। इसने सेंसेक्स में गति बढ़ाई।

जब सेंसेक्स पहली बार बना तब क्या बदलाव किए थे

इसमें सबसे पहले सर्विस इंडस्ट्री, यानी बैंकिंग, टेलीकॉम और IT सेक्टर्स की कंपनियों को शमिल किया गया। इसके बाद 90 के दशक के अंत और 2000 की शुरुआत में IT कंपनियों में तेजी से हो रहे डेवलपमेंट को देखते हुए पुरानी कंपनियों की जगह TCS और इन्फोसिस को शामिल किया गया।

उदारीकरण के बाद से ही भारत की बड़ी कंपनियां घरेलू बिक्री पर ज्यादा निर्भर नहीं हैं। ये सभी कंपनियां एक्सपोर्ट के जरिए बिजनेस बढ़ाती रही हैं। वहीं IT सेक्टर में आउटसोर्सिंग की वजह से इन्फोसिस जैसी कंपनियों को फायदा हुआ है। टाटा जैसी ऑटोमोबाइल सेक्टर की कंपनी ने UK जैसे विकसित बाजारों में कदम रखा है।

2006: पहली बार 10 हजार के आंकड़े पर पहुंचा सेंसेक्स

फरवरी 2006 में सेंसेक्स पहली बार 10 हजार के आंकड़े को पार कर गया। इसकी एक वजह ग्लोबल कमोडिटी मार्केट में बूम होना भी था। इसके बाद भी सेंसेक्स में तेजी का दौर जारी रहा। 2006 और 2007 में सेंसेक्स में बढ़त जारी रही। ग्लोबल मार्केट में कैश फ्लो बढ़ने से दिसंबर 2007 में सेंसेक्स ने 20 हजार का आंकड़ा छू लिया।

सत्यम घोटाले और ग्लोबल रिसेशन से गिरा बाजार

जो बाजार 22 महीने में 10 से 20 हजार तक पहुंचा था, वो 2008 की आर्थिक मंदी में टूटकर दस हजार के करीब पहुंच गया। 2009 में हुए सत्यम घोटले के बाद ये और गिरा और दस हजार के भी नीचे आ गया। 2009 के लोकसभा चुनाव और UPA की जीत के बाद ये फिर से तेजी से बढ़ने लगा और नवंबर 2010 में ये फिर से 21 हजार के आंकड़े तक पहुंच गया।

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मोदी पहली बार सत्ता में आए तो 25 हजारी हुआ सेंसेक्स

16 मई 2014 को लोकसभा चुनाव के नतीजे आए। नरेंद्र मोदी पहली बार सत्ता में आए। मोदी सरकार का सेंसेक्स ने भी स्वागत किया और पहली बार 25 हजार के आंकड़े को छुआ। दस महीने बाद 4 मार्च 2015 को सेंसेक्स ने 30 हजार के आंकड़े को छू लिया।

सितंबर 2016 में दुनियाभर के बाजारों में मंदी के संकेत और चीन के खराब आर्थिक अनुमान के कारण सेंसेक्स एक बार फिर से 25 हजार के नीचे आ गया। इसके बाद बिहार चुनाव नतीजों और नोटबंदी के दौरान भी BSE को बड़े झटके लगे। नोटबंदी के अलगे दिन 9 नवंबर 2016 को सेंसेक्स में 1689 अंकों की गिरावट आई थी।

मोदी सरकार की जीत पर 40 हजारी हुआ सेंसेक्स

23 मई 2019 को लोकसभा चुनाव के नतीजे आए। एक बार फिर नरेंद्र मोदी सरकार की सत्ता में वापसी हुई। बाजार ने भी नतीजों पर जश्न मनाया और पहली बार 40 हजार के आंकड़े को छुआ। 4 दिसंबर 2019 को बाजार 45 हजार के आंकड़े को छू चुका था। इसके बाद कोरोना ने दस्तक दी और बाजार का गिरना शुरू हुआ।

23 मार्च 2020 यानी जनता कर्फ्यू के अगले दिन बाजार 25,981 के निचले स्तर तक पहुंच गया। यानी चार महीने से भी कम समय में करीब 20 हजार अंकों की गिरावट आई, लेकिन लॉकडाउन के दौरान बाजार ने धीरे-धीरे बढ़ना शुरू किया।

2021- पहली बार 50 हजार के आंकड़े पर पहुंचा सेंसेक्स

साल 2021 शुरुआती महीने में सेंसेक्स ने फिर बड़ी छलांग लगाई है। इस बार उसने 50 हजार के आंकड़े को छुआ है। इसकी सबसे बड़ी वजह अमेरिका में नए राष्ट्रपति बाइडेन का सत्ता में आना है। इससे पहले अनेक देशों की अर्थव्यवस्था कोरोना महामारी के समय लगे लॉकडाउन के बीच धराशायी हो गई, लेकिन वैक्सीन आने के बाद से सेंसेक्स ने फिर रफ्तार पकड़ी है। इस बार वो अपने जादुई के आंकड़े पर आकर खड़ा हो गया है।

सेंसेक्स पर कब-कब संकट आया?

सेंसेक्स के इतिहास में 2008 में मार्केट धराशायी हुआ। उस वक्त ग्लोबल इकॉनोमी 2008 और 2009 में अपने बुरे दौर से गुजर रही थी।21 जनवरी 2009 को सेंसेक्स को 1408 प्वाइंट गिरा। इसके चलते एक घंटे के लिए ट्रेडिंग को बंद कर दिया गया था।इसी साल अक्टूबर में बाजार 8509.56 प्वाइंट पर बंद हुआ। ये आंकड़ा पिछले 10 साल में सबसे कम था।2009 का साल भी मार्केट के लिए सही नहीं था। इसकी वजह सत्यम फ्रॉड था।अगर सेंसेक्स के इतिहास की बात करें, तो मार्केट के लिए रोलरकोस्टर राइड से कम नहीं रहा। सभी तरह के उतार चढ़ाव के चलते मार्केट अच्छी पोजीशन पर है।

वो समय जब सेंसेक्स ने चौंकाया

1990-1999 के बीच

इस दौर में सेंसेक्स ने 25 जुलाई 1990 में 1000 प्वाइंट को छुआ था। तब मार्केट 1001 प्वाइंट पर बंद हुआ था।

1991 में पहली बार लिबरल इकॉनोमी पॉलिसी लागू की गई। इसका असर साल 1992 में देखने को मिला। इस समय सेंसेक्स ने 2000 का आंकड़ा पार किया था। इसी साल हर्षद मेहता स्केम सामने आने के बाद भी सेंसेक्स ने अपनी रफ्तार बनाए रखी।

1999 में सेंसेक्स ने रिकॉर्ड दर्ज करते हुए 5000 के आंकड़े को पार किया। सेंसेक्स के इतिहास में ये पहली बार हुआ था।

2000 से 2005 के बीच

21वीं सदी की शुरुआत अच्छी रही। इस समय स्टॉक मार्केट में IT कंपनियों को भी शामिल किया गया। इसका असर मार्केट पर देखने को मिला। सेंसेक्स 6000 प्वाइंट के आंकड़े को पार कर गया। ये रिकॉर्ड साल 2 जनवरी 2004 को टूटा, जब सेंसेक्स में 6026 प्वाइंट पर बंद हुआ।2005 में सेंसेक्स ने फिर एक बार सभी को चौंकाया। इसमें सेंसेक्स 7000 के आंकड़े को पार कर गया। इसकी वजह रिलायंस ग्रुप को फायदा हुआ था।

2005 में जून और दिसंबर के बीच सेंसेक्स ने फिर उछाल मारी और 9000 प्वाइंट को पार कर गया।

2005 से 2010 के बीच

फरवरी 2006 में ऐतिहासिक उछाल मारते हुए पहली बार 10,003 के स्तर पर पहुंचा। ज्यादा खरीदी के चलते साल 2006 और 2007 में उछाल देखने को मिली।

2007 में सेंसेक्स एक साल के भीतर 10,000 से 20,000 प्वाइंट के आंकड़े पर पहुंच गया।

2008 से 2010 के बीच मार्केट के लिए समय अच्छा नहीं रहा। 2008 के बाद बाजार के आर्थिक मंदी की चपेट में आने से सेंसेक्स क्रैश हो गया। नवंबर 2010 में मार्केट 21004.96 पर बंद हुआ।

2013 से 2015 के बीच

2013 में बाजार में 21,003.97 के आंकड़े पर पहुंचा।2014 में सेंसेक्स हेंग सेंग इंडेक्स से ज्यादा प्वाइंट पर बंद हुआ। इस कारनामे के बाद सेंसेक्स एशिया का सबसे ज्यादा वैल्यू वाला स्टॉक एक्सचेंज बन गया। इसी साल सेंसेक्स 21,000 से जाकर 28000 प्वाइंट पर बंद हुआ।

जनवरी 2015 की शुरूआत में सेंसेक्स 29,278 प्वाइंट पर बंद हुआ। इसी साल साल सेंसेक्स ने 30000 के आंकड़े को पार किया। इसकी वजह RBI ने रैपो रेट में कटौती की थी।

2017-2019 के बीच

इस साल सेंसेक्स लगातार बढ़ोत्तरी करता रहा और 38,000 के आंकड़े को पार कर गया। 23 मई 2019 को मार्केट ने ऐतिहासिक उछाल मारते हुए पहली बार 40,000 के आंकड़े को पार किया।

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