AI या डॉक्टर ? अब घर बैठे खुद ही करें अपना टैस्ट… टेक्नोलॉजी का नया खेल

अब बीमारी की जांच के लिए न खून की जरूरत, न मशीन की। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI in Healthcare) की मदद से केवल एक सेल्फी से व्यक्ति के स्वास्थ्य की सटीक जानकारी मिल सकती है। अमेरिका के मशहूर संस्थान हार्वर्ड मेडिकल स्कूल और मास जनरल ब्रिघम द्वारा विकसित “FaceAge” नामक AI टूल, चेहरे की फोटो से जैविक उम्र (Biological Age) का अनुमान लगाता है, जो किसी भी बीमारी विशेषकर कैंसर के जोखिम का शुरुआती चरण में पता लगाने में मददगार साबित हो सकता है।
फेसएज: एक तस्वीर से पूरी रिपोर्ट
FaceAge टूल एक सेल्फी को स्कैन करके व्यक्ति की जैविक उम्र, स्वास्थ्य स्थिति और भविष्य की संभावित बीमारियों का विश्लेषण करता है। यह टूल त्वचा की बनावट, मांसपेशियों की टोन और हड्डी की संरचना जैसी सूक्ष्म विशेषताओं को पहचानने के लिए हजारों तस्वीरों पर प्रशिक्षित डीप लर्निंग एल्गोरिदम का उपयोग करता है। इसकी मदद से शरीर की आंतरिक स्थिति की सटीक जानकारी मिलती है, जो सामान्य जन्मतिथि आधारित उम्र से कहीं अधिक भरोसेमंद मानी जा रही है।
कैंसर डाइग्नोसिस में मिलेगी बड़ी मदद
AI टूल FaceAge खासतौर पर कैंसर जैसी घातक बीमारियों का समय रहते पता लगाने में सक्षम है। शोध में यह सामने आया कि यह टूल MRI, CT स्कैन, बायोप्सी और लैब टेस्ट जैसे पारंपरिक तरीकों की तुलना में अधिक सटीक भविष्यवाणी कर सकता है कि किसी रोगी में कैंसर से बचने की संभावना कितनी है। विशेषज्ञ मानते हैं कि समय रहते बीमारी पकड़ में आ जाए तो मृत्यु दर को काफी हद तक रोका जा सकता है।
जैविक आयु बनाम वास्तविक उम्र
FaceAge से मिलने वाली जैविक आयु (Biological Age) व्यक्ति के स्वास्थ्य का बेहतर संकेत देती है, क्योंकि यह उम्र केवल वर्षों की गणना पर आधारित नहीं होती। उदाहरण के लिए, एक 65 वर्षीय व्यक्ति जो स्वस्थ जीवनशैली अपनाता है, उसकी जैविक उम्र 45 वर्ष तक हो सकती है। वहीं एक 28 वर्षीय व्यक्ति, जो धूम्रपान और अस्वस्थ आहार लेता है, उसकी जैविक उम्र 40 से ऊपर भी हो सकती है। यह टूल ऐसे स्वास्थ्य जोखिमों को पहले ही उजागर कर देता है।
6,000 से ज्यादा कैंसर रोगियों पर सफल परीक्षण
FaceAge का परीक्षण 6,000 से अधिक कैंसर रोगियों पर किया गया, जिनके चेहरों की भंगिमाएं उनके क्रोनोलॉजिकल एज (Chronological Age) से मेल नहीं खाती थीं। परिणामों में यह पाया गया कि जिन रोगियों की जैविक उम्र अधिक थी, उनकी जीवित रहने की संभावना कम थी। इससे यह साबित होता है कि AI से मिली उम्र की गणना पारंपरिक उम्र से कहीं अधिक प्रामाणिक और उपयोगी है।
AI टूल से जुड़े स्मार्टलैब और भविष्य की उम्मीदें
हालांकि सुपरस्पेशलिटी अस्पतालों में स्मार्टलैब और अत्याधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं, लेकिन जांच में आने वाली जटिलताएं, लागत और समय को लेकर सवाल बने हुए हैं। खासकर रेडियोलॉजिस्ट और पैथोलॉजिस्ट से भी गलतियों की संभावना रहती है। ऐसे में FaceAge और अन्य AI टूल्स हेल्थकेयर इंडस्ट्री में एक नया अध्याय शुरू कर सकते हैं।
फिलहाल ट्रायल में, लेकिन मुफ्त वर्जन उपलब्ध
FaceAge अभी क्लिनिकल ट्रायल के चरण में है और आम जनता के लिए पूर्ण रूप से उपलब्ध नहीं है। हालांकि, इसका एक मुफ्त वर्जन इंटरनेट पर उपलब्ध है जहां कोई भी व्यक्ति अपनी सेल्फी अपलोड करके संभावित जैविक उम्र की जांच कर सकता है। यह न केवल आपकी सेहत के बारे में चेतावनी देता है बल्कि आपको अपनी जीवनशैली में बदलाव लाने के लिए भी प्रेरित कर सकता है।