SC ने यूपी सरकार के विज्ञापनों पर रोक लगाने की मांग वाली जनहित याचिका की खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता द्वारा दूसरी बार सुनवाई टालने पर नाराजगी जाहिर

लखनऊ. सुप्रीम कोर्ट से उत्‍तर प्रदेश की योगी सरकार को राहत देने वाली एक खबर सामने आई है. उत्‍तर प्रदेश सरकार के विज्ञापनों पर रोक लगाने को लेकर शीर्ष अदालत में एक जनहित याचिका दायर की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इस याचिका पर सुनवाई करते हुए इसे खारिज कर दिया. कोर्ट का यह फैसला योगी सरकार के लिए काफी राहत वाला है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता द्वारा दूसरी बार सुनवाई टालने पर नाराजगी जाहिर करते हुए जनहित याचिका को खारिज कर दिया. बता दें कि जनहित याचिका दायर करने वाले याची ने सुप्रीम कोर्ट से उत्‍तर प्रदेश सरकार के सभी विज्ञापनों को रोकने को लेकर निर्देश देने की गुहार लगाई थी.

लोगों को गुमराह करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च

बता दे कि याचिका में कहा गया था कि उत्तर प्रदेश सरकार अपनी विफलताओं को छिपाने और लोगों को गुमराह करने के लिए विज्ञापनों और इवेंट मैनेजमेंट पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. प्रदेश सरकार सरकारी खजाने के पैसे का विज्ञापनों पर दुरुपयोग कर रही है. नकली लोकप्रियता हासिल करने की कोशिश के लिए यूपी सरकार सभी लोक कल्याण और विकास फंड का पैसा विज्ञापन पर खर्च कर रही है. याची ने अपनी अर्जी में कहा था कि यूपी सरकार द्वारा करोड़ों रुपये का विज्ञापन सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी उल्लंघन है.  बता दें कि उत्‍तर प्रदेश सरकार के विज्ञापनों पर रोक लगाने को लेकर वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता सीआर जया सुकिन की ओर से सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई थी.

प्रदेश के लोगों को गुमराह करने के लिए किया

जनहित याचिका में आगे कहा गया था कि उत्‍तर प्रदेश सरकार ने यूपी राज्य के बाहर विज्ञापन जारी करने पर करोड़ों रुपये खर्च किए हैं, जो उसकी जिम्मेदारी से परे है. 20 करोड़ लोगों का जीवन और जनता का पैसा बचाने के लिए अदालत को दखल देने की जरूरत है. याचिका में ये भी कहा गया है कि लोगों की गाढ़ी कमाई के करोड़ों रुपये विज्ञापनों और आयोजनों पर खर्च कर सरकार लगातार जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रही है, जबकि राज्य में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. आरोप लगाया गया है कि उत्तर प्रदेश राज्य सरकार के विज्ञापन में अधिकांश तस्वीरें और तथ्य उत्तर प्रदेश राज्य से संबंधित नहीं हैं. अधिकांश तस्वीरें अन्य राज्यों या अन्य देशों से ली गई हैं,  लेकिन उत्तर प्रदेश राज्य ने इन तस्वीरों का उपयोग अपनी उपलब्धियों और प्रदेश के लोगों को गुमराह करने के लिए किया है.

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