Sawan 2021: इस बार सावन में बन रहा है ऐसा विशेष संयोग, श्रावण सोमवार में ऐसी पूजा से मिलेगा लाभ

25  जुलाई से श्रावण मास आरम्भ हो रहा है। चंद्र प्रधान इस मास में शिवजी की पूजा को महत्त्वपूर्ण और प्रभावकारी माना जाता है। जल तत्त्व प्रधान चंद्रमा एक ओर वातावरण में नमी लेकर आता है, तो दूसरी ओर मनुष्यों को भी प्रभावित करता है। इसीलिए तिरछे चंद्र को मस्तक पर धारण करके उसकी शोभा बढ़ाने वाले भगवान अशुतोष की पूजा इस मास में अति महत्त्वपूर्ण है।

 

यह श्रावण मास रविवार से ही प्रारम्भ हो रहा है और रविवार को ही समाप्त हो रहा है। ऐसा योग कम ही पड़ता है। वे जातक जिनकी कुंडली में चंद्र नीच का है या पाप ग्रहों से युक्त है, इस योग में उन्हें भी लाभ होता है। इस बार श्रावण में दो बार श्रवण नक्षत्र पड़ रहा है तथा चार सोमवार पड़ रहे हैं। इन चारों सोमवार में यदि प्रत्यक्ष विधान के अनुसार पूजा की जाए, तो रोगों और पारिवारिक क्लेश का नाश होता है। इस श्रावण में सोमवार को इस प्रकार पूजा करें, लाभ होगा।

प्रथम सोमवार : 26 जुलाई, धनिष्ठा  नक्षत्र। शक्कर युक्त दूध से प्रात:काल शिव जी का अभिषेक करें। सायंकाल शिव-पार्वती का पूजन करें।

द्वितीय सोमवार : 2 अगस्त, कृत्तिका नक्षत्र। अनार के रस से शिव जी का अभिषेक करें।

तृतीय सोमवार : 9 अगस्त, आश्लेषा नक्षत्र। शिवजी का दूध से अभिषेक कर चंदन का लेप करे ंऔर शेष चंदन को माथे पर लगाएं।

चतुर्थ सोमवार : 16 अगस्त , अनुराधा नक्षत्र। दूध में शहद मिला कर पीपल के पत्ते का चम्मच बना कर उससे शहद मिश्रित दूध का अभिषेक करें।

शिव सत्य हैं, समर्पण हैं, त्याग हैं और परिभाषित होने से परे हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि ‘आत्मा त्वं गिरिजा मति: सहचरा: प्राणा: शरीरं गृहं’ अर्थात जिस तरह सत्य और शक्ति एक दूसरे के बगैर अधूरे हैं, जिस तरह आत्मा और मन के बगैर शरीर जागृत नहीं हो सकता, उसी तरह शिव और पार्वती की एक दूसरे के बगैर कल्पना नहीं की जा सकती। श्रावण मास एक ऐसा अवसर है, जब मनुष्य अपने में अंतर्निहित सत्य स्वरूप शिव और ऊर्जा के रूप में विद्यमान शक्ति को एकाकार कर सकता है। श्रवण नक्षत्र से नाम प्राप्त श्रावण मास में शिव पूजा करने से समस्त रोगों, विकारों एवं क्लेशों का नाश होता है।

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