समाजवादी पार्टी और भाजपा के बीच छिड़ा संगीतवार

उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव 2023 चुनाव का बिगुल बज चुका है ऐसे में सभी पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है साथ ही उनके उम्मीदवार मैदान में उतर चुके हैं लेकिन प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी ने नया दांव फेंका है भाजपा और सपा के बीच संगीत वार शुरू हो गया है। दोनों पार्टियां गाना लॉन्च कर एक दूसरे की कमियां गिना रही हैं। भाजपा ने अपने ट्विटर हैंडल से सपा मुखिया अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए एक वीडियो सॉन्ग लॉन्च किया। जिस गाने में कहा गया है की ‘गुंडे पुकारते हैं अखिलेश आइए’। सपा ने इस पर पलटवार किया है। सपा ने भी भाजपा को घेरते हुए अपने ट्विटर हैंडल से एक गाना लॉन्च कर दिया – ‘जो जनता को सताए हैं हम उनको हटाएंगे’। अब यूपी की राजनीति इन दो गानों पर टिकी है ।भाजपा ने इस गाने के जरिए समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव पर निशाना साधा है। गाने में मुजफ्फरनगर दंगों, महिलाओं के खिलाफ अपराध, मुख्तार, गायत्री प्रजापति का भी जिक्र किया गया है। इस गाने के वीडियो में अतीक अहमद को भी दिखाया गया है। भाजपा ने अपने वीडियो के जरिए समाजवादी पार्टी को कानून व्यवस्था के मुद्दे पर घेरने की कोशिश की है।

तो दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी की ओर से जारी जवाबी वीडियो गाने में महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दे को लेकर भाजपा को घेरा गया है। गाने में अपने अधिकार के लिए लड़ रहे छात्र एवं युवा-युवतियों पर पुलिसिया लाठीचार्च को दिखाया गया है। आवारा पशुओं से किसानों को हो रही परेशानी को भी जगह दी गई है।

इसके अलावा सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार, कोरोना के दौरान अस्पतालों की बदहाल व्यवस्था और सरकारी स्कूलों की दयनीय हालत का भी जिक्र किया गया है। गाने में मुख्यमंत्री योगी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, दोनों उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक को दिखाते हुए उन्हें हटाने की बात कही गई है। वीडियो में अखिलेश सरकार के दौरान बने एक्सप्रेस वे समेत अन्य विकास कार्य को झलक भी दिखाई गई है। उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव दो चरणों में होगा। 18 में से 9 मंडलों में 4 मई को पहले चरण में तथा बाकी 9 मंडलों में दूसरे चरण में 11 मई को मतदान होगा। इस तरह सूबे के कुल 75 जिलों में मतगणना 13 मई को होगी। लेकिन जिस तरीके से उत्तर प्रदेश की राजनीति अब अलग-अलग तरीके से वार करने के लिए आतुर है। इस बात से तो साफ अंदाजा लगाया जा सकता है की राजनीति में अब कोई समय सीमा नहीं बची है। आरोप और प्रत्यारोप की चलती ये सियासी कड़ियां देश और प्रदेश को किस दिशा की ओर ले जाएंगे यह तो आने वाला वक्त ही तय करेगा।

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