बोले-राजनीतिक महायुद्ध का कुरुक्षेत्र साबित होगा मऊ का मैदान, छोटे दलों के साथ आने से पूरे फार्म में अखिलेश

उत्‍तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले एक-एक कर कई छोटे दलों के साथ आने से समाजवादी पार्टी और उसके राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अखिलेश यादव का हौसला बढ़ा हुआ है। अखिलेश यादव बुधवार को ओमप्रकाश राजभर के साथ मऊ में सुभासपा की महापंचायत का मंच साझा कर रहे हैं। इसके पहले फेसबुक पर एक पोस्‍ट में उन्‍होंने लिखा कि ग़रीबों, दमितों, शोषितों, वंचितों, दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों, मज़दूरों, किसानों, महिलाओं, युवाओं, शिक्षकों, कारोबारियों, नौकरीपेशा व पेशेवरों के अधिकारों की रक्षा के लिए झूठी व फ़रेबी भाजपा-सत्ता के ख़िलाफ़ ‘मऊ का हलधरपुर मैदान एक राजनीतिक महायुद्ध का कुरुक्षेत्र साबित होगा’।

दरअसल, मिशन यूपी-2022 के लिए अखिलेश एक खास रणनीति पर काम कर रहे हैं। वह काफी पहले यह साफ कर चुके हैं कि इस चुनाव में समाजवादी पार्टी किसी बड़े दल से समझौता नहीं करेगी। उन्‍होंने कहा था कि छोटे दलों से ही समझौता किया जा सकता है। अखिलेश के इस ऐलान के बाद अलग-अलग दलों के साथ उनका गठबंधन धीरे-धीरे आकार ले रहा है। अलग-अलग इलाकों में क्षेत्रीय ताकतों को इस तरह जोड़ जा रहा है ताकि जातीय समीकरण सपा के वोट बैंक को बढ़ाने में मदद करें। सपा की कोशिश इस बार 10 प्रतिशत वोट की छलांग लगाने की है। इस मुहिम में रालोद, सुभासपा, जनवादी पार्टी, एनसीपी, महान दल, तृणमूल कांग्रेस सपा के हमसफर बन रहे हैं।

इसी क्रम में पिछले चुनाव में भाजपा का सहयोगी दल सुभासपा भी सपा के साथ आया है। इसके मुखिया ओम प्रकाश राजभर द्वारा बुलाई गई रैली में आज अखिलेश यादव खासतौर पर शिरकत कर रहे हैं। वसपा को भरोसा है कि सुभासपा के आने से पूर्वांचल के कुछ हिस्सों में राजभर व अन्य ओबीसी वर्ग उनके साथ आ सकता है। उधर, पश्चिमी यूपी के संभल, कासगंज, बदायूं, व पूर्वांचल के प्रयागराज, कुशीनगर व मिर्जापुर आदि क्षेत्रों में असर रखने वाले महान दल सपा का साझेदार है। महान दल ने हाल में सपा के समर्थन में प्रदेश भर में रैली निकाली है। इसी तरह जनवादी पार्टी सोशलिस्ट भी सपा को जिताने की अपील के साथ प्रदेश में जनक्रांति यात्रा निकाल चुकी है। पूर्वांचल के मऊ, गाजीपुर, महाराजगंज, चंदौली में चौहान समाज (नोनिया बिरादरी)का कई प्रभाव माना जाता है। पश्चिम यूपी की जाट बेल्ट में प्रभावी माने जाने वाली रालोद पहले से ही सपा के साथ है। यहां किसान आंदोलन से जुड़े लोगों का भी गैरभाजपा दलों खासतौर पर सपा को समर्थन है। पश्चिमी यूपी में एमवाई के फार्मूले के साथ रालोद को साथ लेकर किसानों को जोड़ने की कोशिश है।

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बताया जा रहा है कि जल्‍द ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी का भी सपा के साथ गठबंधन होगा। वह अखिलेश की विजय रथ यात्रा में शामिल होंगी। ममता बनर्जी मुख्यमंत्री रहते लोकसभा चुनाव में भी अखिलेश के लिए यूपी में रैली कर चुकी हैं। जबकि सपा ने बंगाल चुनाव में बिना शर्त समर्थन किया था। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री व विपक्षी राजनीति में बड़े नेता शरद पवार की एनसीपी से भी सपा का करार हो चुका है। वैसे तो यह दोनों दल यहां कोई प्रभाव नहीं है लेकिन यूपी के कई नेता सपा में शामिल हुए बिना इन दलों के जरिए चुनाव टिकट सपा से पा सकते हैं।

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