कोरोना से भी ज्यादा जानलेवा हैं यूपी की सड़कें, रोज मर रहे करीब इतने लोग

लखनऊ. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की सड़कें अब जानलेवा हो गई हैं. अगर रोजाना सड़क हादसों (Road Accidents) में मरने वालों का औसत देखें तो वह कोरोना से हो रही मौतों से भी ज्यादा है. यही वजह है कि प्रदेश की सड़कों को खूनी कहा जाने लगा हैं. अगर इस साल 31 जुलाई तक के आंकड़ों की बात करें तो राज्य में 12366 लोग सड़क हादसों में दमतोड़ चुके हैं. यानी हर दिन होने वाली मौतों का आंकड़ा 58 से अधिक है. यह आंकड़ा पिछले सात महीनों में मरने वालों का औसत कोरोना से भी कहीं अधिक है.

एक  रिपोर्ट के मुताबिक इस वर्ष एक जनवरी से 31 जुलाई तक के जो आंकड़े हैं उसके मुताबिक राज्य में 21522 एक्सीडेंट हुए. इन हादसों में 14113 लोग घायल हुए जबकि 12366 लोगों ने जान गंवाई. गौरतलब है कि पिछले साल कोरोना लॉकडाउन की वजह से सड़क हादसों में कमी आई थी. लेकिन इसके बावजूद सड़क दुर्घटनाओं में मौतों का यह सिलसिला थम नहीं रहा. जनवरी से जुलाई के बीच 17985 सड़क हादसे हुए. इनमें 11893 लोग घायल हुए और 10100 की जान चली गई यानि रोज 47 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई.

अगर इन आंकड़ों की तुलना 2019 से करें तो यह जरुर है कि सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या में कमी आई है. वर्ष 2019 में जनवरी से जुलाई के बीच सात महीनों में 26096 एक्सीडेंट हुए थे. इनमें 17769 लोग घायल हुए, जबकि मरने वालों की संख्या 14209 थी. तब रोज मरने वालों का औसत 67 था.

ये है वजह
जानकार बताते हैं कि हादसों की मुख्य वजह अप्रशिक्षित लोगों द्वारा गाड़ी चलना है. ऐसे लोगों की संख्या बहुत ज्यादा है जिन्हे ड्राइविंग और ट्रैफिक नियमों की जानकारी नहीं. इसके अलावा आज सड़कें भी पहले से बेहतर हैं, जिसकी वजह से तेज रफ़्तार में गाड़ी चलाना भी हादसे की वजह है. साथ ही हादसे के बाद समय पर इलाज मुहैया न हो पाने से भी मृत्यदर ज्यादा हो जाती है.

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