तेज प्रताप के साले पर गिरी गाज, अनुष्का यादव के भाई 6 साल के लिए RLJP से निष्काषित.. बढ़ती जा रही दरार

राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) ने एक बड़ा और सख्त कदम उठाते हुए पार्टी नेता आकाश यादव को 6 वर्षों के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है। आकाश यादव पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे और आरजेडी नेता तेज प्रताप यादव के साले हैं। वह तेज प्रताप की पत्नी अनुष्का यादव के भाई हैं। यह कार्रवाई उनके “पार्टी विरोधी गतिविधियों” और अनुशासनहीनता के चलते की गई है।

कौन हैं आकाश यादव?

आकाश यादव तेज प्रताप यादव की पत्नी अनुष्का यादव के भाई हैं, जिनका रिश्ता पहले ही विवादों में रहा है। अनुष्का और तेज प्रताप के वैवाहिक संबंध वर्षों से चर्चा का विषय रहे हैं और अब राजनीति में भी उनके पारिवारिक रिश्ते सवालों के घेरे में आ गए हैं। आकाश यादव कुछ समय से RLJP में सक्रिय थे और सोशल मीडिया के माध्यम से पार्टी में अपनी मौजूदगी दर्ज कराते रहते थे।

क्यों हुआ निष्कासन?

RLJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने आकाश यादव को पार्टी से निष्कासित करने की घोषणा की। पार्टी ने स्पष्ट किया कि आकाश यादव पर आरोप है कि उन्होंने पार्टी लाइन के खिलाफ बयानबाज़ी की, पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियाँ कीं और संगठनात्मक अनुशासन का उल्लंघन किया। पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि यह निर्णय पार्टी की गरिमा बनाए रखने और अनुशासनहीनता के विरुद्ध ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति के तहत लिया गया है।

पारस गुट की मजबूती और पार्टी का रुख

RLJP इस समय एनडीए का हिस्सा है और पशुपति पारस के नेतृत्व में पार्टी आने वाले बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी हुई है। ऐसे में आकाश यादव की गतिविधियाँ पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा रही थीं। पार्टी के अनुसार, आकाश का व्यवहार “जनप्रतिनिधित्व की मर्यादा और पार्टी सिद्धांतों के खिलाफ” था।

तेज प्रताप-आरएलजेपी संबंधों पर असर?

तेज प्रताप यादव और पशुपति पारस के रिश्ते वैसे भी राजनीतिक रूप से एक-दूसरे के विरोध में रहे हैं। आकाश यादव को निष्कासित करने का असर तेज प्रताप और RLJP के संबंधों पर भी पड़ सकता है, क्योंकि यह निर्णय एक पारिवारिक रिश्ते को भी राजनीतिक मोर्चे पर चुनौती देता है।

भविष्य की रणनीति और संदेश

RLJP ने इस निष्कासन के ज़रिए स्पष्ट संदेश दिया है कि पार्टी किसी भी नेता को, चाहे वह किसी भी प्रभावशाली परिवार से क्यों न जुड़ा हो, अनुशासनहीनता पर बख्शेगी नहीं। पार्टी संगठन को मज़बूत बनाए रखने और सार्वजनिक छवि को सुरक्षित रखने के लिए यह फैसला आवश्यक बताया गया।

परिवार बनाम पार्टी अनुशासन

इस घटना ने एक बार फिर साबित किया है कि भारतीय राजनीति में परिवार और संगठन के हित टकरा सकते हैं। आकाश यादव का निष्कासन केवल एक व्यक्तिगत मामला नहीं बल्कि एक राजनीतिक सख्ती का उदाहरण है, जहाँ पार्टी ने साफ कर दिया है कि अनुशासन से कोई ऊपर नहीं है।

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