Video: पहला मॉनसून नहीं झेल पाई PM Modi की ₹300 करोड़ वाली दीवार, बारिश नहीं, भ्रष्टाचार ने खोली पोल!

मध्य प्रदेश के रीवा ज़िले में ₹300 करोड़ की लागत से बने नए एयरपोर्ट की बाउंड्री वॉल पहली ही बारिश में भरभरा कर गिर गई। यह वही एयरपोर्ट है, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अक्टूबर 2024 में किया था। महज़ 10 महीने में दीवार का गिर जाना, निर्माण गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है जिसमें दीवार के साथ मिट्टी बहती दिखाई देती है। इससे निर्माण सामग्री, वर्कमैनशिप और सरकारी निगरानी तंत्र पर सवाल उठ रहे हैं।

वायरल वीडियो से खुली भ्रष्टाचार की परतें

वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे तेज़ बारिश के बहाव ने एयरपोर्ट की दीवार को ढहने पर मजबूर कर दिया। आसपास की ज़मीन की कटाई से साफ ज़ाहिर होता है कि निर्माण की आधारशिला ही कमज़ोर रही होगी। स्थानीय लोगों का कहना है कि “बाउंड्री वॉल में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया था, तभी पहली ही बारिश में यह हाल हो गया।”

केवल दीवार नहीं, रीवा का इको पार्क और नाले भी बहे

बारिश की मार सिर्फ एयरपोर्ट तक सीमित नहीं रही। शहर का इको पार्क, कई नाले और मोहल्ले भी जलमग्न हो गए। प्रशासन ने दावा किया है कि रनवे पूरी तरह सुरक्षित है, लेकिन बाहरी हिस्सों में जलभराव और बाउंड्री वॉल के धंसने को प्राकृतिक नहीं, प्रशासनिक विफलता बताया जा रहा है।

देशभर में पहली बारिश में ढहता इंफ्रास्ट्रक्चर

1️⃣ वडोदरा, गुजरात (9 जुलाई 2025)
गम्भीर ब्रिज का एक हिस्सा गिरा, 21 मौतें, कई वाहन नदी में समा गए। पुल 1985 में बना था लेकिन मरम्मत न होने से हादसा हुआ।

2️⃣ पुणे, महाराष्ट्र (15 जून 2025)
कुंडमाला पुल अचानक गिरा, 4 मौतें, 51 घायल। हादसे के वक्त पुल पर दर्जनों लोग मौजूद थे।

3️⃣ मलप्पुरम, केरल (19 मई 2025)
NH-66 की निर्माणाधीन लेन बारिश में धंसी, 7 घायल। मंत्री ने ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट किया।

4️⃣ हिमाचल प्रदेश (जून-जुलाई 2025)
₹752 करोड़ की संपत्ति नष्ट, 92 लोगों की मौत। मानसून में 252 सड़कें और कई पुल बंद।

5️⃣ दिल्ली–देहरादून एक्सप्रेसवे (जून 2025)
₹12,000 करोड़ की लागत वाला नया एक्सप्रेसवे गड्ढों से भर गया, निर्माण पर सवाल।

6️⃣ नागपुर, महाराष्ट्र (जून 2025)
पर्दी अंडरपास और कालमना गढ़ रोड जैसे इलाकों में सड़कें धंसीं और अंडरपास पानी से लबालब हुए।

मानकों की अनदेखी या केवल प्राकृतिक आपदा?

प्रशासन दावा कर रहा है कि बारिश की तीव्रता असामान्य थी, लेकिन स्थानीय नागरिक और विशेषज्ञ इसे “निर्माण माफिया” और “ठेकेदार-प्रशासन गठजोड़” का परिणाम बता रहे हैं। एयरपोर्ट अथॉरिटी ने कहा कि “दीवार को 50 साल टिकने की योजना थी”, लेकिन शुरुआती बारिश में गिरना इस दावे को झुठला देता है।

जनता और विपक्ष की प्रतिक्रिया: जवाब चाहिए

सोशल मीडिया पर कई यूज़र्स सरकार से जवाब मांग रहे हैं।
एक यूज़र ने लिखा—

“₹300 करोड़ में जो दीवार टिक नहीं पाई, वो एयरपोर्ट क्या टिकेगा?”

वहीं विपक्षी दलों ने जांच की मांग करते हुए इसे “प्रोजेक्ट लूट की मिसाल” बताया।

पहली बारिश ने खोल दी भ्रष्ट निर्माण की परतें

रीवा एयरपोर्ट की घटना महज़ एक अपवाद नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय पैटर्न बन चुकी है। भारी निवेश, तेज़ उद्घाटन, बिना निगरानी और घटिया निर्माण की लहर पूरे देश में साफ देखी जा रही है।
जब तक निर्माण मानकों की सख्ती, ठेकेदारों की जवाबदेही, और जनता की भागीदारी सुनिश्चित नहीं होती — ऐसी घटनाएं जनता की जान, जेब और विश्वास तीनों को नुकसान पहुंचाती रहेंगी।

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