ट्विटर के पूर्व अधिकारी धर्मेंद्र चतुर समेत पांच को दोबारा नोटिस

गाजियाबाद. लोनी जिले में मुस्लिम बुजुर्ग से मारपीट के वायरल वीडियो मामले में ट्विटर इंडिया (Twitter) के पूर्व स्थानीय शिकायत अधिकारी धर्मेंद्र चतुर समेत पांच लोगों को नोटिस जारी किया गया है. धर्मेंद्र चतुर (Dharmendra Chatur) का नाम ट्विटर इंडिया के एमडी मनीष माहेश्वरी (Manish Maheshwari) द्वारा लिया गया है. गाजियाबाद पुलिस (Ghaziabad Police) ने मामले में पहली बाहर कांग्रेस नेता शमा मोहम्मद और एक मीडिया संस्थान के मालिक को भी नोटिस जारी किया है. पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत दोबारा नोटिस जारी किया है. इसमें आरोपियों को एक हफ्ते के अंदर हाजिर होकर जवाब देने के लिए कहा गया है.

इससे पहले पुलिस ने ट्विटर इंडिया के प्रमुख मनीष माहेश्वरी को गाजियाबाद पुलिस ने एक बुजुर्ग मुस्लिम व्यक्ति पर हमले की जांच के सिलसिले में तलब किया था, लेकिन वह उसके सामने पेश नहीं हुए. वहीं कर्नाटक उच्च न्यायालय ने गाजियाबाद पुलिस को माहेश्वरी के खिलाफ कठोर कार्रवाई शुरू करने से रोक दिया. न्यायमूर्ति जी नरेंद्र की एकल पीठ ने अपने अंतरिम आदेश में कहा कि पुलिस डिजिटल तरीके से माहेश्वरी से पूछताछ कर सकती है.

इन लोगों को जारी हुआ था नोटिस
गाजियाबाद पुलिस ने 15 जून को ट्विटर इंक, ट्विटर कम्युनिकेशंस इंडिया, समाचार वेबसाइट द वायर, पत्रकार मोहम्मद जुबैर और राणा अय्यूब के अलावा कांग्रेस नेताओं सलमान निजामी, मस्कूर उस्मानी, शमा मोहम्मद और लेखिका सबा नकवी के खिलाफ मामला दर्ज किया था. उन लोगों के खिलाफ एक वीडियो प्रसारित होने को लेकर मामला दर्ज किया गया था, जिसमें बुजुर्ग अब्दुल शमद सैफी ने दावा किया है कि कुछ युवकों ने उनकी कथित रूप से पिटाई की और पांच जून को उन्हें ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने के लिए भी कहा.

जानें क्या है पूरा मामला
पुलिस ने दावा किया है कि वीडियो सांप्रदायिक अशांति पैदा करने के लिए साझा किया गया था. माहेश्वरी की ओर से पेश वकील सी वी नागेश ने कहा कि किसी ने ट्विटर पर एक वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि एक मुस्लिम को ‘जय श्री राम’ और ‘वंदे मातरम’ का नारा लगाने के लिए मजबूर किया गया था और मना करने पर उनकी दाढ़ी काट दी गयी.

उन्होंने कहा कि इसके बाद माहेश्वरी को सीआरपीसी की धारा 161 के तहत ईमेल से नोटिस जारी किया गया. इसके जवाब में वह पेश होने के लिए वस्तुतः तैयार हैं. उन्होंने अदालत से कहा कि जल्दी ही पुलिस ने धारा 41 (ए) के तहत नोटिस जारी कर उन्हें बेंगलुरू से गाजियाबाद की यात्रा कर 24 घंटे के भीतर व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिये कहा, जो माहेश्वरी के लिए संभव नहीं था.

ट्विटर की दलील
उन्होंने दलील दी कि जब अदालत की कार्यवाही डिजिटल हो रही है, तो उनके मुवक्किल से डिजिटल तरीके से पूछताछ क्यों नहीं की जा सकती. अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ट्विटर कम्युनिकेशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के कर्मचारी हैं, जो मार्केटिंग और बिक्री से संबंधित है और वह निदेशक मंडल के सदस्य नहीं है जो उस कथित वीडियो को अपलोड करने के लिए जिम्मेदार हैं, जिसके आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई है.अदालत ने इस तथ्य पर गौर किया कि आरोप यह है कि आरोपी संख्या आठ और नौ द्वारा ट्विटर मंच पर एक वीडियो अपलोड किया गया था और इससे याचिकाकर्ता का कोई लेना-देना नहीं है.

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