जाटलैंड में शहीदी दिवस पर राव का शक्ति प्रदर्शन

अहीरवाल में भूपेंद्र यादव को विकल्प के रूप में उभारने की कोशिश को इंद्रजीत की चुनौती, कहा- इलाके की इज्जत से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं

हरियाणा के झज्जर जिले के गांव पाटौदा में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह भाजपा आलाकमान को संदेश देते हुए शहीदी दिवस दिवस के बहाने अपना शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं। रैली को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत ने कहा कि वह आज मन की बात कहना चाहते हैं। भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें बहुत कुछ दिया है। उन्हें और कुछ नहीं चाहिए, लेकिन अपनी और इलाके की इज्जत के साथ खिलवाड़ बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करेंगे। राव ने पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के 75 पार के नारे का भी मजाक उड़ाया।

कहा- जब स्वस्थ हूं तो रिटायरमेंट क्यों लूं
राव ने कहा कि हरियाणा में 2014 में पहली बार बनी भारतीय जनता पार्टी की सरकार और वर्तमान सरकार में हमारा योगदान है। केंद्रीय मंत्री ने इस पर सवाल किया कि क्या उन्हें इस योगदान का वाजिब इनाम मिला। उन्होंने इशारों में कहा कि भगवान के घर देर है अंधेर नहीं। राव ने कहा कि इस बार पता नहीं कहां से 75 पार का नारा आया। हम भी सोचने लगे कि 75 ही नहीं अबकी बार तो 80 पार सीटें होंगी। लेकिन पता नहीं तीन चार महीने में ऐसा क्या हुआ कि सिर्फ 47 पर सिमट गए। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वह पहले सोच रहे थे कि रिटायर हो जाएं, लेकिन विरोधी होने पिंच करके उन्हें फिर से सोचने को मजबूर कर दिया। अब फैसला कर लिया है कि जब स्वस्थ हूं तो राजनीति जारी रखूंगा।

झज्जर के गांव पाटौदा में शहीदी दिवस पर रैली को संबोधित करते राव।

निशाना : जिस थाली में खाते हैं उसमे छेद नहीं करते
राव ने कहा कि 2014 के चुनाव से पहले अहीरवाल इलाके को कांग्रेस का गढ़ कहा जाता था। वहां से तमाम भाजपा उम्मीदवारों को जीत दिलाई। इस बार अहीरवाल में दो-चार सीटों में घात हो गई। उनमें भी 1 सीट रेवाड़ी की जिसे हम आसानी से जीत सकते थे लेकिन अपनी ही पार्टी के जयचंदों ने हरवा दी। बगैर नाम लिए हरको बैंक के चेयरमैन अरविंद यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें इनाम भी मिल गया। दरअसल, अरविंद यादव पर ही चुनाव के समय भितरघात का आरोप लगा था। सरकार बनने के बाद उन्हें हरको बैंक का चेयरमैन बनाया गया। राव ने कहा कि वह जिस थाली में खाते हैं उसमें छेद नहीं करते।

केंद्र सरकार किसानों से बात करे

कृषि कानूनों पर केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने कहा कि भाजपा और पार्टी के नेता थोड़े से क्षेत्र में सिमट कर रह गए हैं। खासकर उनके ही इलाके में हैं। उन्होंने कहा कि हम सब मिलकर कहना चाहते हैं कि केंद्र सरकार को किसानों से भी बात करनी चाहिए। राव तुलाराम के शहीद दिवस पर जाटलैंड में हो रही इस रैली में राव इंद्रजीत एक तीर से कई निशाने साधने की तैयारी में हैं। गुरुवार दोपहर शुरू हुई रैली में राव ने प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ के अलावा प्रदेश सरकार के 2 मंत्री, 4 सांसद और 4 विधायकों को ही आमंत्रित किया है।

झज्जर के गांव पाटौदा में राव की रैली के दौरान पहुंची महिलाएं।

अरविंद शर्मा ने उठाई अहीर रेजिमेंट की मांग
रैली को संबोधित करते हुए रोहतक से सांसद डॉ अरविंद शर्मा ने मंच सेअहीर रेजिमेंट की मांग उठाई। शर्मा ने कहा कि अहीर रेजिमेंट के संबंध में वह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भी मिल चुके हैं। साथ ही उन्होंने कोसली में सेना भर्ती सब सेंटर (BRO) खुलवाने की मांग रखी। वहीं सोनीपत से भाजपा सांसद रमेश कौशिक ने भी अपने भाषण में राव इंद्रजीत की तारीफ की।
बेटी आरती बोलीं- भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं
राव इंद्रजीत की बेटी आरती राव ने पिता के राजनीतिक विरोधियों पर शायराना अंदाज में साधा निशाना। आरती ने कहा कि भगवान का आशीर्वाद और जनता का सहयोग रहा तो चुनाव जरूर लड़ूंगी। चुनाव कहां से लड़ना है ये समय पर पता चलेगा। उन्होंने कहा कि राव इंद्रजीत की ताकत उनके समर्थक है। भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं। गौरतलब है कि आरती राव ने 2019 में विधानसभा चुनाव के लिए रेवाड़ी से टिकट की दावेदारी की थी।

भूपेंद्र सिंह की आशीर्वाद यात्रा पर निशाना
अहीरवाल के कद्दावर नेता राव इंद्रजीत सिंह को एक माह पहले उस समय चुनौती मिलती नजर आई, जब केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने इलाके में जन आशीर्वाद यात्रा निकाली। इसे अहीरवाल में राव के एक विकल्प तैयार करने के रूप में देखा गया। हालांकि राव ने भूपेंद्र यादव की आशीर्वाद यात्रा पर कभी बयानबाजी नहीं की। चुप्पी साधने के साथ ही अब सही समय पर उन्होंने जाटलैंड कहे जाने वाले क्षेत्र के गांव पाटौदा के स्टेडियम में पंडाल लगाकर शक्ति प्रदर्शन किया। रैली में भीड़ जुटाने के लिए राव समर्थित मंत्री, विधायक और नेताओं ने 10 दिनों तक अहीरवाल में खूब पसीना बहाया। गुरुग्राम से लेकर महेंद्रगढ़ जिले तक के नेताओं को भीड़ जुटाने की जिम्मेदारी दी गई।

शहीदी दिवस पर झज्जर के गांव में आयोजित रैली में जुटी भीड़ी

रामपुरा हाउस की रैली इसलिए भी है खास
अहीरवाल की राजनीति का गढ़ रामपुरा हाउस की यह रैली इसलिए भी खास है क्योंकि इसका आयोजन जाटलैंड कहे जाने वाले झज्जर में हैं। हालांकि जिस पाटौदा गांव में रैली है, वहां यादवों का दबदबा है। राव खुद कह चुके हैं कि वह कुएं के मेंढक थोड़े हैं, जो अपने इलाके को सीमित करें। रैली के जरिए राव हाईकमान को भी संदेश देना चाहते हैं कि उनकी जड़ें अहीरवाल ही नहीं, बल्कि हरियाणा के दूसरे इलाकों में भी जम चुकी हैं। वहीं रैली में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ को छोड़कर राज्य के किसी बड़े नेता को आमंत्रित नहीं किया गया है।

रैली को संबोधित करते हुए हरियाणा भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष धनखड़।

23 सितंबर राव के लिए रहा खास
रामपुरा हाउस के लिए 23 सितंबर का दिन हमेशा से ही खास रहा है। 5 बार सांसद और 4 बार विधायक रहे राव इंद्रजीत सिंह के सामने जब भी चुनौती आई, उन्होंने हर बार इसी दिन को ताकत दिखाने के साथ बड़े फैसले लेने के लिए चुना। वर्ष 2004 से पहले रेवाड़ी के राव तुलाराम स्टेडियम में पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल को अपनी ताकत दिखाने का समय रहा हो या फिर 23 सितंबर 2012 को पटौदी की रैली। हर बार राव ने विरोधियों को चुनौती देने के लिए यही दिन को चुना। वहीं 23 सितंबर 2013 के दिन रेवाड़ी के राव तुलाराम स्टेडियम में रैली के समय ही राव ने कांग्रेस छोड़ने की बात की। बाद में वह भाजपा में शामिल हो गए थे। भाजपा में शामिल होने के बाद 23 सितंबर के मौके पर ही राव इंद्रजीत सिंह ने बड़ी रैली की थी। रैली में तत्कालीन गृहमंत्री एवं वर्तमान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अलावा मुख्यमंत्री मनोहर लाल को बुलाया था।

मंच पर बैठे राव, धनखड़, अश्विनी शर्मा धर्मबीर और रमेश कौशिक।

एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश
झज्जर के पाटौदा की होने वाली रैली में राव इंद्रजीत सिंह एक तीर से कई निशाने साधने की फिराक में हैं। एक ओर रैली में भीड़ जुटाकर खुद को जनाधार वाला नेता बताना और अहीरवाल से बाहर निकल बड़ी रैली करने का संदेश देना है। रैली भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ के विधानसभा क्षेत्र बादली में हो रही है। इसके लिए समय भी वह चुना गया है जब जाटलैंड के इलाकों में कृषि कानूनों के विरोध में भाजपा नेताओं का सबसे ज्यादा विरोध हो रहा है। झज्जर में खुद ओमप्रकाश धनखड़ का कई बार विरोध हो चुका है। वहीं झज्जर को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा का गढ़ कहा जाता रहा है। हुड्‌डा और राव के बीच कड़वाहट जग जाहिर है। हुड्डा के मुख्यमंत्री रहते समय राव उनके धुर विरोधी रहे हैं।

Related Articles

Back to top button